नयी दिल्ली, 31 मार्च (भाषा) एनबीसीसी की गुरुग्राम परियोजना ‘ग्रीन व्यू’ के परेशान घर खरीदारों ने बृहस्पतिवार को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी से अपना पैसा ‘रिफंड’ करने की मांग की। साथ ही घर खरीदारों ने कहा कि उन्हें जो ‘उत्पीड़न’ झेलना पड़ा है, उसके लिए उन्हें मुआवजा भी दिया जाना चाहिए। एनबीसीसी की ग्रीन व्यू परियोजना को असुरक्षित घोषित किया जा चुका है।
घर खरीदारों ने 15 प्रतिशत ब्याज के साथ अपने निवेश और न्यूनतम 25 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है।
एसोसिएशन ऑफ अपार्टमेंट ओनर्स (एओएओ), एनबीसीसी ग्रीन व्यू, सेक्टर-डी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उसने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को एक महीने से अधिक समय पहले जांच के लिए एक पत्र लिखा था। दरअसल इस परियोजना के पूरा होने के महज चार वर्षों के अंदर ही दीवारों में दरारें आने लगीं जिससे इसे असुरक्षित घोषित कर दिया गया।
संवाददाता सम्मेलन में एसोसिएशन के अध्यक्ष जी मोहंती ने कहा कि लगभग 90 अपार्टमेंट, मालिकों या किरायेदारों के कब्जे में थे लेकिन उन सभी को मार्च के पहले सप्ताह के दौरान ही खाली कर दिया गया था और अब ये लोग खुद किराये पर रह रहे हैं। गुरुग्राम में अधिकारियों के आदेश देने के बावजूद एनबीसीसी ने हमें पैसा वापस नहीं किया है।’’
एक आवंटी गौरव सिंह ने कहा, ‘‘हमारी मांग के चार पहलू हैं। हम चाहते हैं कि एनबीसीसी को फ्लैट खरीदने के लिए हमारे द्वारा भुगतान की गई कीमत, साथ ही पंजीकरण शुल्क और आंतरिक कार्यों पर खर्च को 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करना चाहिए और साथ ही 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए।’’
गौरतलब है कि गुरुग्राम के सेक्टर 37डी में स्थित ‘एनबीसीसी ग्रीन व्यू’ ग्रुप हाउसिंग परियोजना 2011 में शुरू की गई थी जबकि निर्माण कार्य 2012 में शुरू हुआ था। इस परियोजना के तहत फ्लैटों का आवंटन 2015 में किया जाना था, लेकिन 250 आवंटियों को 2017 में कब्जा देने की पेशकश की गई।
भाषा रिया रिया अजय
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