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Thursday, 30 January, 2025
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एफटीए में पर्यावरण, नये मुद्दों पर बाध्यकारी प्रतिबद्धताएं निर्यात को कर सकती हैं प्रभावित: रिपोर्ट

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नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) भारत के अन्य देशों के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) में पर्यावरण और श्रम जैसे नये मुद्दों पर बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं से भविष्य में देश का निर्यात प्रभावित हो सकता है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटवि की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।

एफटीए: शानदार, व्यर्थ, या त्रुटिपूर्ण? आसियान, जापान और दक्षिण कोरिया के साथ भारत के एफटीए का मूल्यांकन…शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के लिये एफटीए का परिणाम पहले से ही बहुत अच्छा नहीं है। ऐसे में अगर नये मुद्दों को लेकर दायित्व लिया जाता है, तो एफटीए के परिणाम और खराब हो सकते हैं।

इसमें कहा गया है कि कई विकासशील देशों की तरह भारत में भी कई नये मुद्दों पर नियामकीय व्यवस्था उभर रही हैं।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘घरेलू स्तर पर नियामकीय रूपरेखा तैयार होने के बाद ही वैश्विक प्रतिबद्धताएं ली जानी चाहिए।’’

यूरोपीय संघ और ब्रिटेन जैसे देश प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते में नये मुद्दों को शामिल करने पर जोर दे रहे हैं।

भारतीय व्यापार सेवा के पूर्व अधिकारी अजय श्रीवास्तव जीटीआरआई के सह-संस्थापक हैं। वह जापान और आस्ट्रेलिया के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौतों पर बातचीत में शामिल रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, जिन मुक्त व्यापार समझौतों पर बातचीत हो रही है, भारत कई नये मुद्दों पर चर्चा कर रहा है। वे विषय प्रत्यक्ष रूप से व्यापार से जुड़े नहीं हैं।

विषयों को विकसित देशों के अनुरोध पर शामिल किया गया है। इसमें पर्यावरण, श्रम, बौद्धिक संपदा अधिकार, आंकड़ों का रखरखाव, डिजिटल व्यापार, स्त्री-पुरुष समानता, लघु एवं मझोले उद्यम, भ्रष्टाचार निरोधक उपाय, अच्छी नियामकीय व्यवस्था और टिकाऊ खाद्य प्रणाली शामिल हैं।

इनमें से अधिकतर विषय महत्वपूर्ण हैं और बहुपक्षीय तथा क्षेत्रीय संस्थानों में चर्चा की जा रही है, जहां भारत सहित अधिकतर देश सक्रिय भागीदार हैं।

इसमें कहा गया है, ‘‘एफटीए में इन मुद्दों पर प्रतिबद्धताएं बहुत कठिन साबित हो सकती हैं और इससे विनिर्माण और सेवाओं की लागत में वृद्धि होगी।’’

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘इसी तरह, घरेलू स्तर पर नीति तैयार नहीं होने पर आंकड़ा प्रवाह और डिजिटल व्यापार के मामले में प्रतिबद्धता लेना भारत के हित में नहीं है।’’

भाषा

रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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