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बिहार की अर्थव्यवस्था 12 साल में 3.5 गुना होकर 8.54 लाख करोड़ रुपये पर: आर्थिक समीक्षा

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पटना, 28 फरवरी (भाषा) बिहार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने शुक्रवार को कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था का आकार 2011-12 में 2.47 लाख करोड़ रुपये से 3.5 गुना होकर 2023-24 में 8.54 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

उपमुख्यमंत्री चौधरी ने बजट सत्र के पहले दिन राज्य विधानसभा में 2024-25 के लिए बिहार आर्थिक समीक्षा पेश करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘बिहार ने पिछले दो दशकों में महत्वपूर्ण आर्थिक वृद्धि की है, जिसके परिणामस्वरूप कई सामाजिक-आर्थिक संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। मौजूदा बाजार कीमतों पर बिहार की अर्थव्यवस्था का आकार 2011-12 में 2.47 लाख करोड़ रुपये से 3.5 गुना होकर 2023-24 में 8.54 लाख करोड़ रुपये हो गया है।’’

उन्होंने कहा कि नवीनतम उपलब्ध अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2023-24 के लिए बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) मौजूदा कीमतों पर 8,54,429 करोड़ रुपये और स्थिर (2011-12) कीमतों पर 4,64,540 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2023-24 में, कर राजस्व 1,61,965 करोड़ रुपये था, जो इसे राजस्व प्राप्तियों का सबसे महत्वपूर्ण घटक बनाता है।’’

चौधरी ने कहा कि कुल प्राप्ति में कर राजस्व का हिस्सा 2019-20 में 75.3 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 83.8 प्रतिशत हो गया है।

उन्होंने कहा कि 2023-24 में, सहायता अनुदान कुल 26,125 करोड़ रुपये (कुल प्राप्तियों का 13.5 प्रतिशत) था, जबकि गैर कर स्रोतों का योगदान 5,257 करोड़ रुपये (2.7 प्रतिशत) था।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि 2011-24 के दौरान बिहार ने भारत के प्रमुख राज्यों में उत्तर प्रदेश (10.1 प्रतिशत) और कर्नाटक (7.7 प्रतिशत) के बाद परिवहन और संचार क्षेत्र में तीसरी सबसे बड़ी वृद्धि (7.6 प्रतिशत) दर्ज की।

जहां तक कृषि और संबद्ध क्षेत्रों का सवाल है, रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘खरीफ में चावल और रबी में गेहूं बिहार में प्राथमिक फसल चक्र का हिस्सा हैं। सत्र 2022-23 और 2023-24 के बीच चावल और गेहूं का उत्पादन क्रमशः 21.0 प्रतिशत और 10.7 प्रतिशत बढ़ गया है।

इसके अलावा, 2020-21 और 2023-24 के बीच मक्के का उत्पादन 66.6 प्रतिशत बढ़ गया है।

बागवानी के क्षेत्र में 2022-23 से 2023-24 के बीच कुल आम उत्पादन में 9.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। बिहार में लीची का क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा है। 2022-23 और 2023-24 के बीच लीची के बागानों का क्षेत्रफल 6.0 प्रतिशत बढ़ गया है जबकि कुल उत्पादन 11.7 प्रतिशत बढ़ गया है।’’

राज्य में 2021-22 से 2022-23 के बीच निर्माण गतिविधियां 22 प्रतिशत की दर से बढ़ीं। इसने द्वितीयक क्षेत्र के जीएसडीपी में 50.2 प्रतिशत का योगदान दिया। इसके बाद विनिर्माण का स्थान आता है और 2022-23 में विनिर्माण क्षेत्र ने द्वितीयक क्षेत्र के जीएसडीपी में 37.0 प्रतिशत का योगदान दिया।

जहां तक औद्योगिक वृद्धि का सवाल है, रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘राज्य निवेश संवर्धन बोर्ड (एसआईपीबी) को (सितंबर 2024 तक) 75,293.76 करोड़ रुपये की राशि के 3,752 निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। 2022-23 और 2024-25 के बीच (सितंबर 2024 तक) उद्योगों में कुल निवेश 3.5 गुना बढ़ गया। सूक्ष्म उद्यमों ने 2022-23 की तुलना में 2023-24 में छह गुना निवेश आकर्षित किया है।

रिपोर्ट के अनुसार, बिजली क्षेत्र में राज्य ने 2022-23 में 403.4 करोड युनिट उर्जा अधिशेष दर्ज हुआ था। 2017-18 से 2023-24 के दौरान अधिकतम मांग लगभग 1.4 गुना हुई जबकि इसी अवधि के दौरान बिजली आपूर्ति भी 1.5 गुना हो गई।

सामाजिक क्षेत्र में निवेश से अर्थव्यवस्था को व्यापक लाभ होता है। पिछले 18 वर्षों में 2005-06 और 2023.24 के बीच राज्य में सामाजिक सेवाओं पर खर्च 13 गुना हो गया है।

भाषा अनवर अनुराग रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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