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Friday, 22 November, 2024
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बिहार खुद को ‘बैडलैंड’ टैग से मुक्त करने के लिए एक लड़ाई लड़ रहा है – और निवेशक भी इसकी ओर खिंच रहे हैं

बिहार बिजनेस कनेक्ट 2023 में उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव का कहना है कि एकमात्र मुद्दा लोगों के परसेप्शन की है. उन्होंने कहा, ''इसके पास मानव संसाधन, कच्चा माल, बाजार और बुनियादी ढांचा है.''

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पटना: हाल ही में संपन्न वैश्विक निवेशकों के शिखर सम्मेलन में व्यवसाय और प्रशासनिक जगत के लोगों ने वैचारिक चर्चा की, एक आम सहमति उभरी कि सालों से बिहार के प्रति एक नकारात्मक धारणा बनी हुई है जो इसके विकास में बाधक बन रहा है.

खराब कानून व्यवस्था, शासन और बुनियादी ढांचे से उत्पन्न चिंताओं ने एक ऐसी छवि बनाई है जो बिहार के महत्वाकांक्षी लक्ष्य – तीन वर्षों में शीर्ष 10 औद्योगिक राज्यों की सूची में प्रवेश करना और इतने ही वर्षों में शीर्ष पांच में शामिल होना – के रास्ते में आती है.

बिहार के उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संदीप पौंड्रिक ने दिप्रिंट को बताया, ‘बिहार में वे सभी चीज़ें हैं जो किसी भी उद्योग के लिए आवश्यक हैं – मानव संसाधन, कच्चा माल, बाजार और बुनियादी ढांचा. लेकिन एकमात्र मुद्दा बिहार के प्रति नकारात्मक छवि है.”

पौंड्रिक ने बिहार बिजनेस कनेक्ट 2023 के मौके पर कहा, “काफी लोग वास्तव में बिहार नहीं आए ही नहीं हैं, लेकिन अभी भी राज्य के बारे में उनकी धारणा बहुत नकारात्मक है. हम इसे बदलने की कोशिश कर रहे हैं.” इसके लिए, हमें लगता है कि ज़रूरी है कि लोग बिहार आएं.

नकारात्मक धारणा को बदलने के लिए – जिसे कई लोग ऐतिहासिक कारणों और फिल्मों में इसे जिस तरह से दिखाया जाता है, उसे जिम्मेदार मानते हैं – और औद्योगिक परिवर्तन की शुरुआत करने के लिए, बिहार ने पिछले सप्ताह दो दिवसीय शिखर सम्मेलन का आयोजन किया, जो एक दशक से अधिक समय में इस तरह का पहला आयोजन था.

शिखर सम्मेलन में बिहार के बाहर की 400 फर्मों सहित 600 फर्मों ने भाग लिया, और भारत पेट्रोलियम, अडाणी समूह, होलटेक इंटरनेशनल, अल्ट्राटेक सीमेंट, वरुण बिवरेजेज़, सावी लेदर, भारती एयरटेल, माइक्रोमैक्स और पटेल एग्री इंडस्ट्रीज, सामान्य विनिर्माण, खाद्य प्रसंस्करण, सर्विसेज़, आईटी और आईटीईएस, व कपड़ा और चमड़े जैसे विविध क्षेत्रों वाली कंपनियों से 50,000 करोड़ रुपये के निवेश किए जाने का आश्वासन मिला.

पौंड्रिक ने कहा, ”आखिरी बड़ी इन्वेस्टर मीट (निवेशकों की बैठक) 2012 में पटना में हुई थी. इस वैश्विक बैठक की तैयारी में, हमने विभिन्न महानगरों और बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, ताइवान और जापान जैसे कुछ देशों में रोड शो, छोटी इन्वेस्टर्स मीट आयोजित कीं. लेकिन इस बड़े स्तर पर निवेशकों की बैठक लंबे समय के बाद हो रही है.

रील और रियल लाइफ में बिहार

जबकि तीसरे सबसे अधिक आबादी वाले राज्य के लिए श्रम आपूर्ति कभी भी कोई समस्या नहीं है, लेकिन बुनियादी ढांचे के निर्माण – सड़क, बिजली आपूर्ति, कनेक्टिविटी – की प्रगति से प्रभावित होकर, खर्च और निवेश करने की इच्छुक कंपनियां बिहार का रुख कर रही हैं.

पौंड्रिक के अनुसार, राज्य ने औद्योगिक क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए पिछले वर्ष अकेले लगभग 2,000 करोड़ रुपये खर्च किए.

पिछले दशक में सड़क नेटवर्क में 130 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जबकि बिजली की उपलब्धता 700 मेगावाट से 10 गुना बढ़कर 7,000 मेगावाट हो गई है. बिहार सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, रेलवे से जुड़े होने के अलावा, हर दिन पटना हवाई अड्डे से दिल्ली से 13 सहित लगभग 54 उड़ानें होती हैं.

लेकिन, किसी के प्रति बनाई गई धारणा की लड़ाई जीतना काफी कठिन है. बैकपैक के सबसे बड़े भारतीय निर्माताओं में से एक, हाई स्पिरिट कॉमर्शियल वेंचर्स के प्रबंध निदेशक तुषार जैन ने दिप्रिंट को बताया, “फिल्में हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. बिहार की जो छवि इसमें दिखाई जाती है लोग वही मानते हैं.”

जैन ने 18 महीने पहले बिहार में अपनी पहली फैक्ट्री स्थापित की और केवल 56 दिनों में इसे शुरू कर दिया.

उन्होंने बताया, ”मुझसे कहा गया कि तुम पागल हो और बिहार में फैक्ट्री नहीं चलेगी. लेकिन हमने कर दिया. हमने चंपारण में एक और कारखाना स्थापित किया है. सबसे अच्छी बात यह है कि हम लगभग 4,000 लोगों को वापस लाने में सक्षम हुए, जिन्हें नौकरी की तलाश में उन्हें (अपने परिवारों को) छोड़ना पड़ा था.”

भारतीय उद्योग परिसंघ के बिहार राज्य परिषद के उपाध्यक्ष और रुबन पाटलिपुत्र अस्पताल के प्रबंध निदेशक सत्यजीत कुमार सिंह ने कहा कि, पहले, वित्तीय संस्थान एक पूर्वाग्रह से भरे हुए थे लेकिन अब वह बदल गया है.

सिंह ने 1979 में बिहार छोड़ दिया और 1996 में पटना में मेडिकल केयर फेसिलिटी स्थापित करने के लिए लौट आए. उन्होंने कहा, “वित्तीय संस्थानों में भी पूर्वाग्रह था. मुझे अपना पहला एक करोड़ का ऋण प्राप्त करने के लिए 1996 में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा. साथ ही क्रेडिट कार्ड नहीं बल्कि डेबिट दे रहा हूं, क्योंकि मैं पटना में हूं. ये चीजें वहां थीं…”

उन्होंने कहा, आज चीजें अलग हैं, वित्तीय संस्थान ज्यादा खुला रुख अपना रहे हैं.

सिंह ने कहा, “ऐसी जगहें हैं जो कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार के मामले में बदतर हैं लेकिन इसके बावजूद, उनकी सोच उन जगहों को लेकर उस तरह से नकारात्मक नहीं है जैसी कि बिहार के लिए है. तो, धारणा को बदलने की जरूरत है.”

ईडीआईएफ मेडिकल सिस्टम्स के बिजनेस हेड फैज़ अहमद ने कहा, “बुनियादी ढांचा काफी बेहतर हो गया है. बिहार में अच्छी सड़कें हैं, बिजली कोई मुद्दा नहीं है और कानून-व्यवस्था भी अब कोई समस्या नहीं है. जनशक्ति कभी कोई मुद्दा नहीं थी. कनेक्टिविटी बहुत अच्छी है. हमारे पास पटना और दरभंगा में हवाई अड्डे हैं…लोग आसानी से बिहार आ-जा सकते हैं.’

उन्होंने कहा कि ईडीआईएफ मेडिकल सिस्टम्स ने मधुबनी के पंडौल में एक दवा विनिर्माण संयंत्र का निर्माण शुरू कर दिया है.


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बिहार को ‘परसेप्शन पैरालिसिस’ से बाहर निकालने की कोशिश

अहमद, जिन्होंने दिल्ली में पढ़ाई और काम किया है, ने कहा कि पहले सामान्य सोच ऐसी थी कि माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे बाहर उद्यम करें. उन्होंने कहा कि ग्रामीण भी उन लोगों को तभी सफल मानेंगे जब उनके पास बिहार के बाहर नौकरी होगी.

उन्होंने बताया, “मेरे पिता 15-20 साल पहले मुझसे कहते थे कि कोई निवेश मत करो क्योंकि गुंडे   रूप से परेशान करेंगे. डर इतना प्रबल था. लेकिन समय के साथ, डर कम हो गया है और लोगों ने व्यवसाय करना शुरू कर दिया है और सफलता हासिल की है. हमने लगभग दो साल पहले बिहार में निवेश करने का फैसला किया और व्यापार करने में हमें कोई बड़ी परेशानी नहीं हुई.”

उन्होंने कहा, इसका उद्देश्य घरेलू बाजार के साथ-साथ निर्यात के लिए बिहार में फार्मास्युटिकल उत्पादों का उत्पादन करना था.

अहमद ने बताया, “सरकार भी उद्योग के मुद्दों को सुनने और उन्हें हल करने के लिए बहुत सक्रिय हो रही है. बिहार की समस्या परसेप्शन पैरलिसिस की थी.”

सीआईआई के सिंह ने बताया कि सरकार के रवैये में बदलाव राजनीतिक अत्यावश्यकताओं से प्रेरित है, उन्होंने कहा कि नकारात्मक धारणा 70 प्रतिशत पहले से मौजूद पूर्वाग्रहों पर और 30 प्रतिशत तथ्यों पर आधारित है, लेकिन अब उस दूसरी श्रेणी में भी चीजें बदल रही हैं.

सिंह ने कहा, “सरकार और राजनीतिक दलों को एहसास हुआ है कि अस्तित्व के लिए उन्हें रिजल्ट देना होगा. सिंगल-विंडो सिस्टम, बिजनेस को प्रोत्साहन, भूमि उपलब्ध कराना, 24×7 बिजली आपूर्ति और यहां तक कि लोगों को रोजगार देने के लिए सब्सिडी सहित अन्य बदलाव भी हैं… पूंजीगत व्यय का लगभग 40 प्रतिशत सरकार द्वारा वहन किया जाता है.”

‘बिहार को वापस देना’

शिखर सम्मेलन के एक सत्र में, नाहर इंडस्ट्रीज के कमल ओसवाल, जो भारत के सूती कपड़े और परिधान के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है, ने सुझाव दिया कि यदि बिहार वस्त्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है तो उसे यह देखने के लिए बांग्लादेश में एक प्रतिनिधिमंडल भेजना चाहिए कि उद्योग कैसे काम करता है.

उन्होंने कहा, “बांग्लादेश में बहुत सारी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां हैं… हमें मजबूत अनुपालन, मजबूत बुनियादी ढांचे और श्रम कानूनों की जरूरत है… तभी अमेरिका आदि देशों से ऑर्डर आएंगे.”

कपड़ा उद्योग भारत में रोजगार सृजन के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है, जो लगभग 45 मिलियन लोगों को सीधे तौर पर रोजगार देता है, जिसमें एक बड़ा हिस्सा महिलाओं और ग्रामीण कार्यबल का है.

दिप्रिंट ने जिन निवेशकों से बातचीत की, वे भी इस बात से सहमत थे कि आईटी क्षेत्र के बढ़ने की बहुत बड़ी गुंजाइश है, और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में बिहार के कई उच्च-स्तरीय अधिकारियों ने अपने राज्य के विकास में योगदान देने में रुचि दिखाई है.

पटना में जन्मे और अमेरिका में बसे एएमडी के मुख्य सूचना अधिकारी हसमुख रंजन ने कहा कि कंपनी इस बात पर विचार कर रही है कि बिहार में अपनी शाखाएं कैसे खोली जाएं. उन्होंने एक सत्र में कहा, “राज्य का, शहर का कर्ज चुकाना है.”

वैश्विक विकास बाजारों के लिए एक्सेंचर एआई प्रमुख प्रशांत कुमार ने एक्सेंचर में बिहार के मामले को सामने रखने का वादा किया. उन्होंने कहा, “बिहार में इमेज की समस्या पूरी तरह से ऐतिहासिक कारणों से है… कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों और भारतीय कंपनियों के लिए पटना प्राथमिकता सूची में नहीं है.”

पौंड्रिक ने कहा कि जब भी वह सॉफ्टवेयर कंपनियों के लोगों से बात करते हैं तो वे पूछते हैं कि क्या बिहार बिजली दे सकता है. “परसेप्शन यह है कि बिहार में बिजली नहीं है. हमारे पास आईटी सहित किसी भी इकाई को 24×7 देने के लिए पर्याप्त शक्ति है.

टाइगर एनालिटिक्स के सीईओ महेश कुमार, जो 30 साल पहले बिहार छोड़कर अब कैलिफोर्निया में बस गए हैं, ने पटना में एक नया कार्यालय खोलने की घोषणा की.

कुमार ने कहा, “बिहार सरकार के साथ मेरा अनुभव अद्भुत रहा. हमारी यह धारणा है कि सार्वजनिक क्षेत्र, विशेषकर बिहार के साथ काम करना कठिन है. लेकिन यहां कार्यालय स्थापित करने में महज तीन माह का समय लगा. मेक्सिको, मलेशिया, फिलीपींस जैसे कुछ अन्य देशों में जहां हमारे कार्यालय हैं, छह महीने से अधिक का समय लगा.’

बिहार के दोस्तों की एक छोटी सी मदद

पौंड्रिक ने कहा, बिहार के युवा, इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेजों से स्नातक होने के बाद, कम वेतन पर भी यहीं रहना चाहते हैं, इसलिए यह “एक क्षमता है जिसका मानव संसाधन के संदर्भ में दोहन किया जा सकता है.”

उन्होंने कहा कि राज्य आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को समर्थन और सब्सिडी प्रदान करने के लिए एक नई नीति लाने पर काम कर रहा है.

राज्य के प्रवासी भारतीयों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश एक ऐसा विचार है जिसे बिहार ने आंध्र प्रदेश से उधार लिया है, पौंड्रिक ने बताया कि 20-25 साल पहले, हैदराबाद आईटी उद्योग में वैसा नहीं था जैसा अब है. लेकिन फिर आंध्र सरकार ने आईटी कंपनियों को आमंत्रित करने और अमेरिका जैसे विदेशों में काम करने वाली स्थानीय प्रतिभाओं को आकर्षित करने का फैसला किया.

पौंड्रिक ने कहा, ”हमें उम्मीद है कि यहां भी वैसा ही होगा. हमारे पास बिहार के लोग हैं जो अच्छी स्थिति में हैं और अमेरिका में सफल कंपनियां चला रहे हैं. मुझे यकीन है कि हम उनके साथ, न केवल उनकी कंपनियों को, बल्कि कई और कंपनियों को भी लाने और एक आईटी इकोसिस्टम बनाने में सक्षम होंगे.”

मौके पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान, बिहार के उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ ने कहा कि धारावाहिकों और फिल्मों में राज्य को जिस तरह से चित्रित किया जाता है, उसके कारण बहुत सारी नकारात्मक धारणाएं हैं.

उन्होंने कहा, ”बिहार शुरुआती समस्याओं से बाहर निकलने के चरण में है. इसे बस निजी उद्योग से थोड़े से प्रोत्साहन की जरूरत है… बिहार अगले तीन वर्षों में देश के शीर्ष 10 राज्यों में और अगले 5 वर्षों में शीर्ष 5 में शामिल होना चाहता है. यह हमारा लक्ष्य है और हम इसी दृष्टिकोण के साथ नीतियों पर काम कर रहे हैं.”

दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के समापन के बाद पौंड्रिक ने स्वीकार किया कि परसेप्शन की प्रवृत्ति को उलटना एक लंबी लड़ाई होने जा रही है. उन्होंने कहा, “शिखर सम्मेलन के दौरान हमें जो प्रतिक्रिया मिली है वह एक अच्छी शुरुआत है.” “अब चुनौती वास्तव में इन निवेशों को राज्य में लाने की है.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)

(इस खबर को अंग्रज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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