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Tuesday, 7 May, 2024
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‘लोकतंत्र के लिए नया खतरा’ – डीपफेक पर जल्द बनेंगे नए नियम और कानून, सभी कंपनियां हुई सहमत

उद्योग जगत के नेताओं से चर्चा के बाद आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने करीब 10 दिन में कार्ययोजना बनाने का वादा किया है. कंपनियों का कहना है कि वे सरकार के इस विचार से सहमत हैं कि डीपफेक नया खतरा है.

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नई दिल्ली: केंद्र ने गुरुवार को कहा कि वह डीपफेक सामग्री पर तत्काल नए नियम लागू करेगा क्योंकि यह “लोकतंत्र के लिए नया खतरा” बनकर उभरा हैं.

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि डीपफेक ने समाज और संस्थानों में विश्वास को कमजोर कर दिया है और सोशल मीडिया के कारण यह अनियंत्रित हो रहा है.

मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, उद्योग निकाय नैसकॉम और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) विशेषज्ञों सहित हितधारकों के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, “सोशल मीडिया के कारण डीपफेक तेजी फैल जाता है… अपलोड होने के कुछ ही मिनटों के भीतर ये सब वायरल हो जाता हैं. इसलिए, हमें समाज में विश्वास को मजबूत करने और अपने लोकतंत्र की रक्षा के लिए बहुत जरूरी कदम उठाने की जरूरत है.”

मंत्री ने कहा कि “लंबी और स्पष्ट” चर्चा के परिणामस्वरूप अगले 10 दिनों के भीतर एक स्पष्ट कार्य योजना के साथ आने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया.

उन्होंने कहा कि सरकार और उद्योग मुख्य रूप से चार क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेंगे – पोस्ट किए जाने से पहले और बाद में डीपफेक सामग्री का पता लगाना, डीपफेक सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए एक प्रभावी तंत्र, प्रभावी और शीघ्र रिपोर्टिंग और शिकायत निवारण तंत्र, और बड़े पैमाने पर जागरूकता.

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उन्होंने कहा कि सभी कंपनियां सरकार के विचार से सहमत हैं कि डीपफेक नया खतरा हैं.

मंत्री ने कहा, “नियम या तो एक नया कानून बन सकते हैं या मौजूदा कानूनों में संशोधन किए जा सकते हैं. उन्होंने इस बारे में बहुत अधिक सख्त विनियमन की आवश्यकता को समझा. हम आज से विनियमन का मसौदा तैयार करना शुरू करने पर सहमत हुए हैं. हमारे पास थोड़े समय के भीतर नियमों का एक नया सेट होगा.”

वैष्णव ने कहा कि सरकार ऐसी सामग्री बनाने और अपलोड करने वाले लोगों के लिए दंड पर भी विचार करेगी और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को भी दंडित करेगी.

मंत्री ने सवाल किया, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इसे बनाने वाले लोगों की पहचान की जाए… उनके पास दंड का अपना सेट होगा. इसके साथ ही, प्लेटफ़ॉर्म वे उपकरण हैं जिनके माध्यम से यह सामग्री फैल रही है… उन्हें इसकी जिम्मेदारी भी लेनी होगी कि वे क्या अनुमति दे रहे हैं… क्या वे समाज को इस तरह के नुकसान को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहे हैं? क्या वे इसके लिए पर्याप्त तकनीकी कदम उठा रहे हैं?”

वैष्णव ने कहा कि सरकार इस बीच जनता से टिप्पणियां और इनपुट भी लेगी और दिसंबर की शुरुआत में हितधारकों से फिर से मुलाकात करेगी.

केंद्र का यह कदम सोशल मीडिया पर मशहूर हस्तियों को निशाना बनाने वाले हाल ही में वायरल हुए डीपफेक वीडियो पर उठाई गई गंभीर चिंताओं से उपजा है.

हाल ही में G20 वर्चुअल शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एआई, विशेष रूप से डीपफेक तकनीक के प्रतिकूल प्रभाव पर बढ़ती वैश्विक आशंका को रेखांकित किया था.

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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