दिसम्बर 2015 में जब से नितीश कुमार ने शराब पर प्रतिबन्ध लगाया है तब से बिहार के पड़ोसी राज्यों, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल, ने अपने-अपने उत्पाद राजस्व में नियमित वृद्धि देखी है।
नई दिल्ली: दिसम्बर 2015 में बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार द्वारा प्रतिबन्ध लगाने के निर्णय ने राज्य के राजकोष पर 3000 रुपये से अधिक का बोझ डाला है। लेकिन बिहार का नुकसान पड़ोसियों के लिए एक लाभ रहा है।
बिहार में शराबबंदी के बाद के वर्षों में पश्चिम बंगाल और झारखण्ड जैसे राज्यों ने अपने उत्पाद राजस्व में नियमित वृद्धि देखी है।
झारखण्ड ने 2015-16 में 912 करोड़ रुपये से अगले वित्त वर्ष में 961 करोड़ रूपये की वृद्धि देखी है और 2017-18 में यह आंकड़ा 1600 करोड़ रुपये तक पहुँचने की उम्मीद है।
पश्चिम बंगाल के लिए ये संख्याएं और भी बड़ी हैं। 2015-16 में इसका उत्पाद राजस्व 4,014 करोड़ रुपये से बढ़कर 2016-17 में 5,201 करोड़ रुपये हो गया था। अनुमान है कि 2017-18 में यह आंकड़ा 5,781 करोड़ रुपये हो सकता है।
यद्यपि बिहार के लिए यह सब अवनति है। प्रतिबन्ध की घोषणा से ठीक पहले बिहार का उत्पाद राजस्व 2015-16 के लिए 3142 करोड़ रुपये था। अगले वर्ष यह ध्वस्त होकर मात्र 46 करोड़ रुपये रह गया और अनुमान है कि 2017-18 में यह एक पूर्ण शून्य के साथ समाप्त हो जायेगा।
कई क्षेत्रों में राजस्व हानि
पटना विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर संजय पांडे ने कहा कि “जहाँ तक राज्य उत्पाद शुल्क का सवाल है तो बिहार सरकार राजस्व खो रही है। शराब प्रतिबन्ध का आतिथ्य व्यवसाय के साथ-साथ व्यापार क्षेत्र पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।”
उन्होंने कहा, “शराब प्रतिबन्ध के परिणामस्वरूप पड़ोसी राज्य और अधिक धन प्राप्त कर रहे हैं क्योंकि बिहार के शराबी अब शराब पीने के लिए अपने निकटतम पड़ोसी राज्य में जाते हैं।”
मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा था कि वह प्रतिबन्ध के कारण राजस्व में गिरावट के बारे में चिंतिति नहीं थे और उन्हें उपभोग्य सामग्रियों पर अधिक खर्च के कारण बेहतर संकलन द्वारा नुकसान की भरपाई की उम्मीद थी। लेकिन विशेषज्ञों को इतना यकीन नहीं है।
पटना के एक राजनीतिक विश्लेषक एन.के. चौधरी ने कहा, “अर्थशास्त्र के एक छात्र के रूप में मैं कह सकता हूँ कि नितीश कुमार ने कई अनुत्पादक व्यय किये हैं जैसे – दूसरे म्यूजियम और अन्य फैंसी इमारतों का निर्माण। एकमात्र चीज जो नितीश कुमार के लिए बनाने को बची है वह है ताजमहल।”
राजनीतिक लागत और लाभ के लिए, चौधरी का मानना था कि कुमार को महिलाओं से वोट मिलेंगे क्योंकि उन्हें शराब कानून से काफी फायदा हुआ है।
बिहार में शराब पर प्रतिबन्ध ने राज्य में एक समृद्धशाली अवैध व्यापार को जन्म दिया है। हालाँकि राज्य की सीमा पार करके दूसरे राज्य में जाना उन लोगों के लिए एक विकल्प है जो कानून के सख्त प्रावधान से डरे हुए हैं।
बिहार उत्पाद (संशोधन) अधिनियम, 2016 के अनुसार शराब की बोतलों के स्वामित्व में पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को 10 वर्ष की अवधि से लेकर आजीवन कारावास एवं 1 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक के जुर्माने के साथ दण्डित किया जा सकता है।
वहां सरकारी अधिकारियों पर निषेध कानून का उल्लंघन करने के बहुत सारे आरोप लगते रहे हैं। बीजेपी के सांसद हरि मांझी के बेटे राहुल कुमार को हाल ही में गया में शराब पीने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
Read in English : Bihar booze ban: Bane for state, boon for neighbours