मुंबई, 27 मार्च (भाषा) अगले वित्त वर्ष में 1,400 से अधिक बड़ी कंपनियों को पांच लाख करोड़ रुपये का नया कर्ज (पुनर्वित्त) जुटाना होगा। हालांकि कंपनियों के मजबूत बही-खातों और स्थिर आमदनी के कारण वैश्विक संकट के बावजूद इसमें कोई कठिनाई नहीं आएगी। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
दरअसल यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण जो वैश्विक संकट पैदा हुआ है उसमें मुद्रास्फीति बढ़ने और उसके परिणामस्वरूप ब्याज दरों में वृद्धि होने की आशंका है।
रेटिंग एजेंसी ‘इंडिया रेटिंग्स’ का विश्लेषण कहता है कि शीर्ष 1,423 गैर वित्तीय और भारी कर्ज के बोझ से दबी कंपनियों को अगले वित्त वर्ष में पांच लाख करोड़ रुपये का पुनर्वित्तपोषण जुटाना होगा। सख्त मौद्रिक नीति, जिंसों की अस्थिर कीमतें और भू-राजनीतिक जोखिम बढ़ने के बावजूद कंपनी पुनर्वित्त जोखिम का प्रबंधन करने में समक्ष रहेंगी।
इसमें कहा गया कि सुगम परिचालन वाली स्थिति में अगले वित्त वर्ष में पांच लाख करोड़ रुपये के पुनर्वित्त की आवश्यकता होगी जो चालू वित्त वर्ष में 4.98 लाख करोड़ रुपये है।
वहीं अनिश्चितता की स्थिति और कार्यशील पूंजी की आश्यकता बढ़ने पर पुनर्वित्त 33 फीसदी बढ़कर 6.6 लाख करोड़ हो जाएगा।
भारी कर्ज लेने वाले क्षेत्र मसलन कच्चा तेल, बिजली, उपभोक्ता सामान और लौह तथा इस्पात को 2.32 लाख करोड़ रुपये या कुल आवश्यकता का 47 प्रतिशत कर्ज लेने की जरूरत पड़ेगी। हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक इन क्षेत्रों की मजबूत वित्तीय स्थिति के कारण इसमें उन्हें कोई परेशानी नहीं आएगी।
भाषा मानसी अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.