इंदौर (मध्यप्रदेश), 21 जनवरी (भाषा) देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में हर रोज 550 टन गीले कचरे से बायो-सीएनजी बनाने की क्षमता वाला संयंत्र पखवाड़े भर में नियमित उत्पादन शुरू कर सकता है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) से बनकर तैयार इस संयंत्र को एशिया में अपनी तरह की सबसे बड़ी बायो-सीएनजी इकाई बताया जा रहा है।
इंदौर नगर निगम (आईएमसी) की आयुक्त प्रतिभा पाल ने शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया,‘‘हमारे बायो-सीएनजी संयंत्र में सभी मशीनों का परीक्षण पूरा हो चुका है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि इसमें अगले 15 से 20 दिन के भीतर पूरी क्षमता से नियमित उत्पादन शुरू हो जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि एशिया के इस सबसे बड़े बायो-सीएनजी संयंत्र में हर रोज 550 टन गीले कचरे से 18,000 किलोग्राम बायो-सीएनजी और बड़ी मात्रा में कम्पोस्ट खाद बनाई जा सकेगी।
पाल ने बताया कि इस संयंत्र में बनने वाली बायो-सीएनजी का इस्तेमाल आईएमसी की शहरी परिवहन बसों में किया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि आईएमसी के देवगुराड़िया ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 15 एकड़ में फैला यह संयंत्र एक निजी कंपनी के लगभग 150 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक इस संयंत्र में आईएमसी के खजाने से कोई पूंजी नहीं लगाई गई है, बल्कि इसे गीला कचरा मुहैया कराने के बदले निजी कंपनी की ओर से शहरी निकाय को हर साल 2.5 करोड़ रुपये का प्रीमियम प्रदान किया जाएगा।
अधिकारियों ने करार के हवाले से बताया कि निजी कम्पनी द्वारा शहरी निकाय को संयंत्र से बेची जाने वाली बायो-सीएनजी का दाम सामान्य सीएनजी की प्रचलित बाजार दर से पांच रुपये प्रति किलोग्राम कम रखा जायेगा।
मोटे अनुमान के मुताबिक कोई 35 लाख की आबादी वाले इंदौर में हर रोज तकरीबन 1,200 टन कचरे के सुरक्षित निपटान की अलग-अलग सुविधाएं विकसित की गई हैं जिसमें 600 टन गीला कचरा और 600 टन सूखा कचरा शामिल है।
अधिकारियों ने बताया कि इंदौर का स्वच्छता मॉडल ‘3 आर’ (रिड्यूज, रीयूज और रीसाइकिल) के सूत्र पर आधारित है जिसकी बदौलत यह शहर केंद्र सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण में लगातार पांच साल से देश भर में अव्वल बना हुआ है।
भाषा हर्ष रंजन रमण
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