नयी दिल्ली, नौ जून (भाषा) भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के कामकाज में सुधार के प्रयासों का समर्थन करेगा, लेकिन इसके साथ कम विकसित और विकासशील देशों के लिये विशेष तथा अलग व्यवहार तथा विवाद समाधान व्यवस्था जैसे प्रमुख स्तंभ कायम रहने चाहिए। एक अधिकारी ने यह बात कही।
जिनेवा स्थित 164 सदस्यों वाला डब्ल्यूटीओ एक बहुपक्षीय संस्थान है। यह वैश्विक आयात-निर्यात के लिये नीतियां तैयार करता है। साथ ही व्यापार संबंधित मुद्दों पर दो या अधिक देशों के बीच विवादों के समाधान का निपटान करता है।
डब्ल्यूटीओ के कामकाज में सुधार प्रमुख मुद्दों में से एक है। यह मुद्दा आगामी मंत्री स्तरीय बैठक में उठेगा। चार दिन का मंत्री स्तरीय सम्मेलन जिनेवा में 12 जून से शुरू होगा। पिछली बैठक 2017 में अर्जेंटीना में हुई थी।
डब्ल्यूटीओ का मंत्री स्तरीय सम्मेलन निर्णय लेने वाला उच्च निकाय है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि डब्ल्यूटीओ एक महत्वपूर्ण संगठन है। इसकी बहुपक्षीय प्रकृति बनायी रखी जानी चाहिए और इसीलिए इसके कामकाज में सुधार के किसी भी प्रयास का हम समर्थन करते हैं। लेकिन इन सुधारों के साथ विकासशील देशों के लिये विशेष और अलग व्यवहार, आम सहमति आधारित रुख, कानून का शासन तथा विवाद समाधान व्यवस्था जैसे डब्ल्यूटीओ के महत्वपूर्ण स्तंभ बनाये रखे जाने चाहिए।’’
विकसित देश विशेष और अलग व्यवहार तथा डब्ल्यूटीओ की मौजूदा विवाद समाधान व्यवस्था को लेकर समय-समय पर मुद्दे उठाते रहे हैं।
जिनेवा बैठक में जो अन्य मुद्दे उठेंगे, उसमें कृषि और खाद्य सुरक्षा, मत्स्यपालन सब्सिडी तथा भारत तथा दक्षिण अफ्रीका के पेटेंट प्रावधानों में छूट समेत कोविड-19 महामारी को लेकर डब्ल्यूटीओ के कदम शामिल हैं।
प्रस्तावित मत्स्यपालन सब्सिडी के बारे में अधिकारी ने कहा कि भारत अपने मछुआरों के हितों की रक्षा करेगा।
इस समझौते के लिये बातचीत का उद्देश्य अवैध, बिना जानकारी वाले और अनियमित तरीके से मछली पकड़ने के मामले में सब्सिडी को समाप्त करना है। इसके तहत उस सब्सिडी को प्रतिबंधित करना है जो जरूरत से अधिक मछली पकड़ने को बढ़ावा देती है।
भारत कृषि और खाद्य सुरक्षा के मामले में सार्वजनिक भंडारण के मुद्दे का स्थायी समाधान चाह रहा है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘हम बैठक में किसानों के हित के लिये खड़े होंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था को कोई नुकसान नहीं हो। यह सरकार मामले के स्थायी समाधान के लिये लड़ेगी।’’
भाषा
रमण अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.