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Sunday, 22 December, 2024
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आगे बढ़ेगी मानसून की बारिश, धान की बुवाई पर टिप्पणी करना जल्दबाजी: कृषि मंत्री तोमर

खरीफ फसलों की बुवाई जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है. धान एक प्रमुख खरीफ (गर्मी में बोई जाने वाली) फसल है. 

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नई दिल्ली: कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में मानसून की बारिश प्रगति करेगी, जो खरीफ की बुवाई के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि धान के रकबे के बारे में टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी.

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 15 जुलाई तक, धान की बुवाई चालू खरीफ सत्र में 17.4 प्रतिशत घटकर 128.50 लाख हेक्टेयर (एलएच) रह गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 155.53 लाख हेक्टेयर थी. हालांकि, दलहन, मोटे अनाज और तिलहन के बुवाई रकबा 7-9 प्रतिशत अधिक हैं.

मौसम विभाग ने इस साल सामान्य मानसून रहने का अनुमान जताया है.

खरीफ बुवाई के काम की प्रगति और धान के कम रकबे के बारे में पूछे जाने पर, तोमर ने कहा, ‘अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. मुझे उम्मीद है कि मानसून की बारिश आगे बढ़ेगी.’

यह पूछे जाने पर कि क्या धान के रकबे में 17 प्रतिशत की गिरावट की भरपाई हो सकेगी, उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि इस पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी. हमें इंतजार करना चाहिए.’

मंत्री भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 94वें स्थापना दिवस के मौके पर बोल रहे थे.

पूर्व कृषि आयुक्त एस के मल्होत्रा ​​ने कहा कि धान की बुवाई के लिए 10 अगस्त तक का समय है और इस अंतर को पाटने के लिए पर्याप्त समय है.

अपने पिछले सप्ताह की तुलना में पिछले सप्ताह, धान खेती के रकबे में सुधार हुआ है. आठ जुलाई तक बुवाई 24 प्रतिशत कम थी. धान के रकबे में गिरावट की भरपाई के लिए इस महीने की बारिश महत्वपूर्ण होगी.

भारत में इस मौसम में सामान्य से 14 प्रतिशत अधिक बारिश हुई, लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में कम बारिश हुई है.

उत्तर प्रदेश में वर्षा की कमी सामान्य से 65 प्रतिशत कम थी, जबकि राज्य में एक जून से 15 जुलाई के बीच सामान्य 220 मिमी की तुलना में केवल 77.3 मिमी वर्षा हुई थी. झारखंड में वर्षा की कमी 49 प्रतिशत थी जबकि बिहार में वर्षा की कमी 42 प्रतिशत थी.

खाद्यान्न श्रेणी में, दलहन खेती का रकबा नौ प्रतिशत बढ़कर 72.66 लाख हेक्टेयर हो गया, जो एक साल पहले की अवधि में 66.69 लाख हेक्टेयर था.

मोटे अनाज का बुवाई क्षेत्र 87.06 लाख से 8 प्रतिशत बढ़कर 93.91 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि मक्का का रकबा 56.69 लाख से घटकर 49.90 लाख हेक्टेयर रह गया है. बाजरा खेती का रकबा 20.88 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 34.46 लाख हेक्टेयर हो गया.

गैर-खाद्यान्न श्रेणी में, तिलहन का क्षेत्र 124.83 लाख हेक्टेयर से 7.38 प्रतिशत बढ़कर 134.04 लाख हेक्टेयर हो गया. तिलहन के तहत सोयाबीन का रकबा 90.32 लाख हेक्टेयर से 10 प्रतिशत बढ़कर 99.35 लाख हेक्टेयर हो गया है. कपास का रकबा अब तक 6.44 प्रतिशत बढ़कर 96.58 लाख हेक्टेयर से 102.8 लाख हेक्टेयर हो गया है. गन्ने का रकबा 53.70 लाख लाख हेक्टेयर से मामूली रूप से घटकर 53.31 लाख हेक्टेयर रह गया है.

जूट और मेस्टा खेती का रकबा अब तक थोड़ा कम यानी 6.89 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह रकबा 6.92 लाख हेक्टेयर था.

खरीफ फसलों की खेती का रकबा पिछले वर्ष की इसी अवधि के 591.3 लाख हेक्टेयर से मामूली वृद्धि के साथ चालू खरीफ सत्र में 15 जुलाई तक 592.11 लाख हेक्टेयर हो गया है.

खरीफ फसलों की बुवाई जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है. धान एक प्रमुख खरीफ (गर्मी में बोई जाने वाली) फसल है.

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.


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