नयी दिल्ली, 24 अगस्त (भाषा) भारतीय स्टेट बैंक के बाद, बैंक ऑफ इंडिया ने भी दिवालिया हो चुकी रिलायंस कम्युनिकेशंस के ऋण खाते को धोखाधड़ी वाला घोषित किया है और इस मामले में कंपनी के पूर्व निदेशक अनिल अंबानी का नाम भी लिया है।
शेयर बाजार को दी जानकारी में बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) ने 2016 में कथित तौर पर धन के हेरफेर का हवाला दिया है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बीओआई ने अगस्त 2016 में रिलायंस कम्युनिकेशंस को उसके चालू पूंजीगत व्यय और परिचालन व्यय तथा मौजूदा देनदारियों के भुगतान के लिए 700 करोड़ रुपये का ऋण दिया था।
रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) ने शेयर बाजार को दी जानकारी में बैंक के पत्र के बारे में बताया है। इसके अनुसार अक्टूबर 2016 में जारी की गई स्वीकृत राशि का आधा हिस्सा एक सावधि जमा में निवेश किया गया था, जिसकी स्वीकृति पत्र के अनुसार अनुमति नहीं थी।
आरकॉम ने कहा कि उसे 22 अगस्त को बैंक ऑफ इंडिया से आठ अगस्त का एक पत्र मिला है, जिसमें बैंक द्वारा ”कंपनी, अनिल धीरजलाल अंबानी (कंपनी के प्रवर्तक और पूर्व निदेशक) और मंजरी अशोक कक्कड़ (कंपनी की पूर्व निदेशक) के ऋण खातों को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने” के फैसले की जानकारी दी गई है।
इससे पहले, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने भी इस साल जून में ऐसा ही किया था, जिसमें ऋण की शर्तों का उल्लंघन करते हुए लेनदेन करके बैंक के धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था।
एसबीआई की शिकायत के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को रिलायंस कम्युनिकेशंस और अंबानी के आवास से जुड़े परिसरों की तलाशी ली।
सीबीआई ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक ने रिलायंस कम्युनिकेशंस और अंबानी, जो एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी के छोटे भाई हैं, द्वारा कथित हेराफेरी के चलते 2,929.05 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा किया है। इसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसी ने शिकायत दर्ज की।
अनिल अंबानी के प्रवक्ता ने एक बयान में ”सभी आरोपों और अभियोगों का पुरजोर खंडन किया” और कहा कि वह ”अपना बचाव करेंगे।”
प्रवक्ता ने कहा, ”एसबीआई द्वारा दर्ज की गई शिकायत 10 साल से भी ज्यादा पुराने मामलों से संबंधित है। उस समय अंबानी कंपनी के गैर-कार्यकारी निदेशक थे और कंपनी के दैनिक प्रबंधन में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।” पाण्डेय
पाण्डेय
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