नयी दिल्ली, 31 मार्च (भाषा) कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार देश में सूरजमुखी खेती के रकबे और उत्पादन को बढ़ाने के लिए विभिन्न राज्यों और विशेषज्ञों के सुझावों का अध्ययन करने के बाद एक कार्ययोजना तैयार करेगी।
तोमर ने राज्य सरकारों और विशेषज्ञों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद कहा कि जिस तरह देश में दलहन-तिलहन और राष्ट्रीय पाम तेल मिशन शुरू किया गया है, उसी तरह से योजनाबद्ध तरीके से सूरजमुखी उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाएगा।
तोमर के हवाले से एक सरकारी बयान में कहा गया, ‘‘राज्यों और विशेषज्ञों के सुझावों का अध्ययन करने के बाद इस संबंध में विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि सभी प्रमुख राज्य सरकारों और अंशधारकों के साथ-साथ कृषि आयुक्त की उप-समिति एक रूपरेखा तैयार करेगी।
राज्यों से सूरजमुखी का उत्पादन बढ़ाने का आग्रह करते हुए मंत्री ने राज्य सरकारों को सभी सहायता (जैसे बीज, उद्योगों को सूक्ष्म सिंचाई सहायता, आदि) उपलब्ध कराने का भी भरोसा दिलाया।
यहां कृषि भवन में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु और अन्य राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
बैठक में कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी और शोभा करंदलाजे और कृषि सचिव संजय अग्रवाल मौजूद थे।
सूरजमुखी मुख्य रूप से कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा में उगाया जाता है। सूरजमुखी की खेती अन्य राज्यों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ आदि में भी होती है।
बैठक में, उत्तर प्रदेश सरकार – जो सूक्ष्म सिंचाई के समर्थन से सूरजमुखी खेती के रकबे को बढ़ाने में रुचि दिखा रहा है – ने कहा कि सूरजमुखी के लिए सरसों के सफल मॉडल को दोहराने की जरूरत है।
कर्नाटक विशेष रूप से रबी के मौसम में, किसानों की आय बढ़ाने के लिए सुनिश्चित सिंचाई सुविधाओं के साथ सीमांत भूमि में रकबा विस्तार कार्यक्रम को जारी रखने के लिए तैयार है।
आंध्र प्रदेश ने चावल परती क्षेत्रों (टीआरएफए) के विस्तार द्वारा सूरजमुखी की खेती में रुचि दिखाई है।
वहीं पंजाब धान खेती के रकबे का ‘डायवर्जन’ कर सूरजमुखी खेती का रकबा बढ़ाने के लिए तैयार है। हरियाणा ने लगभग 30,000 एकड़ के आलू परती क्षेत्रों में सूरजमुखी खेती को बढ़ाने की योजना बनाई है।
तिलहन क्षेत्र के अंशधारकों ने सूरजमुखी के लिए एक अलग मिनी मिशन, बीज उपलब्धता, रोग-कीट नियंत्रण, बाजार समर्थन और बीमा सहायता के लिए अनुरोध किया है।
भाषा राजेश राजेश अजय
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