नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है। कोविड महामारी के प्रभाव और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण महंगाई की ऊंची दर को देखते हुए एडीबी ने वृद्धि दर के अनुमान में 0.3 प्रतिशत की कमी की है।
इससे पहले, अप्रैल में एडीबी ने भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
बहुपक्षीय वित्तपोषण संस्थान ने बीते वित्त वर्ष 2021-22 के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 8.9 प्रतिशत से घटाकर 8.7 प्रतिशत किया था।
एडीबी ने 2022 के लिये एशियाई विकास परिदृश्य को लेकर अपनी पूरक रिपोर्ट में कहा कि निजी खपत में नरमी और विनिर्माण में गिरावट से भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2021-22 की चौथी तिमाही जनवरी-मार्च में 4.1 प्रतिशत रही।
इसमें कहा गया है, ‘‘भारत पर कोविड-19 के नये स्वरूप ओमीक्रोन का असर हुआ है। इसके अलावा यूक्रेन युद्ध का आर्थिक प्रभाव पड़ा है। इसके कारण वित्त वर्ष 2021-22 के लिये जीडीपी वृद्धि अनुमान को संशोधित कर 8.9 प्रतिशत से 8.7 प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं चालू वित्त वर्ष के लिये इसे 7.5 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत किया गया है।’’
एडीबी ने बयान में कहा, ‘‘हालांकि उपभोक्ता भरोसा लगातार बेहतर हुआ है, लेकिन उम्मीद से अधिक महंगाई से ग्राहकों की खरीद क्षमता घटी है।’’
इसमें कहा गया है कि उत्पाद शुल्क में कटौती, उर्वरक और गैस सब्सिडी के प्रावधान तथा मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने के कार्यक्रम की अवधि बढ़ाये जाने से चीजें कुछ सुधरी हैं।
हालांकि, कर्ज महंगा होने से कंपनियों का निजी निवेश नरम पड़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) महंगाई को काबू में लाने के लिये लगातार नीतिगत दर बढ़ा रहा है।
एडीबी ने दक्षिण एशिया के 2022 के लिये जीडीपी वृद्धि अनुमान को सात प्रतिशत से कम कर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। वहीं 2023 के लिये इसे 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.1 प्रतिशत किया गया है। इसका मुख्य कारण श्रीलंका में आर्थिक संकट और उच्च मुद्रास्फीति तथा भारत में मौद्रिक नीति को कड़ा किया जाना है।
एशियाई विकास बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अल्बर्ट पार्क ने कहा, ‘‘महामारी का आर्थिक प्रभाव ज्यादातर एशियाई देशों में कम हुआ है, लेकिन हम पूरी तरह और भरोसेमंद पुनरुद्धार से दूर हैं।’’
भाषा
रमण अजय
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