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Tuesday, 15 July, 2025
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अदाणी समूह देश में विश्व-स्तरीय, किफायती स्वास्थ्य परिवेश बनाएगाः गौतम अदाणी

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(फाइल फोटो के साथ)

मुंबई, 11 जुलाई (भाषा) अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने शुक्रवार को स्वास्थ्य देखभाल में आमूलचूल बदलाव लाने की रूपरेखा पेश की। उन्होंने कहा कि देश में कृत्रिम मेधा (एआई) पर केंद्रित एक किफायती, विश्व-स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल परिवेश तैयार करने की योजना है।

अदाणी ने यहां ‘सोसाइटी फॉर मिनिमली इन्वेजिव स्पाइन सर्जरी- एशिया प्रशांत’ के पांचवें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को नया स्वरूप देने की जरूरत है।

विविध कारोबारों में सक्रिय समूह के प्रमुख ने कहा कि तीन साल पहले उनके 60वें जन्मदिन पर उनके परिवार ने स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और कौशल विकास के लिए 60,000 करोड़ रुपये देने का संकल्प लिया था।

अदाणी ने कहा, ‘हमने स्वास्थ्य सेवा में इसलिए कदम रखा कि इसकी रफ्तार पर्याप्त नहीं थी…।’

उन्होंने कहा, ‘बदलाव की रफ्तार तात्कालिकता के साथ भविष्य की मांगों का तालमेल नहीं बिठा पा रही थी। जल्द ही यह सच सामने आया कि स्वास्थ्य सेवा को क्रमिक सुधार की नहीं, बल्कि समूची प्रणाली को नए सिरे से तैयार करने की जरूरत है। विकास की नहीं, बल्कि बुद्धिमत्ता और सहानुभूति में निहित एक क्रांति की जरूरत है।’

अदाणी ने पहले घोषित किए जा चुके ‘अदाणी हेल्थकेयर मंदिरों’ का जिक्र करते हुए कहा कि अहमदाबाद और मुंबई में स्थापित होने वाले 1,000 बिस्तरों वाले ये एकीकृत चिकित्सा परिसर ‘विश्व स्तरीय, किफायती, एआई-प्रधान स्वास्थ्य सेवा परिवेश’ होंगे। यहां पर ऐसी अवसंरचना होगी कि महामारी या आपात स्थिति में तेजी से उसका विस्तार किया जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि ये परिसर क्लिनिकल देखभाल, अनुसंधान और अकादमिक प्रशिक्षण के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में काम करेंगे, जो मेयो क्लिनिक की वैश्विक विशेषज्ञता से निर्देशित होंगे।

अदाणी ने भविष्य के लिए तैयार स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को पांच मुख्य सिद्धांतों पर आधारित बनाने का दृष्टिकोण पेश किया।

इन सिद्धांतों में पारंपरिक सीमाओं को तोड़ने वाली एकीकृत देखभाल, मॉड्यूलर और बढ़ाई जा सकने लायक अवसंरचना, रोबोटिक्स और एआई पर केंद्रित शिक्षा, नर्सिंग एवं पैरामेडिकल प्रशिक्षण में मजबूत निवेश और मरीजों को प्राथमिकता देने वाला बीमा मॉडल शामिल हैं।

अदाणी ने शैक्षणिक प्रशिक्षण के विकास पर जोर देते हुए कहा कि डॉक्टरों को केवल इलाज ही नहीं करना चाहिए, बल्कि रोबोटिक्स, एआई, प्रणालीगत सोच और स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन में कौशल के साथ नेतृत्व भी करना चाहिए। उनकी शिक्षा में सहानुभूति, नैतिकता और उद्यमशीलता को भी शामिल होना चाहिए।

भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली ने उल्लेखनीय प्रगति की है लेकिन अब भी चुनौतियां मौजूद हैं। भारत में प्रति 10,000 लोगों पर केवल 20.6 डॉक्टर, नर्स एवं एएनएम हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक 44.5 प्रति 10,000 से काफी कम है।

इस कमी को ग्रामीण-शहरी असंतुलन और बढ़ा देता है क्योंकि लगभग 74 प्रतिशत डॉक्टर शहरी क्षेत्रों में सेवाएं देते हैं।

भाषा प्रेम

प्रेम रमण

रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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