मुंबई, दो दिसंबर (भाषा) कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की तमाम कोशिशों के बावजूद एनएसई में सूचीबद्ध आधे से अधिक कंपनियों में कार्यरत महिलाओं की संख्या अब भी 10 प्रतिशत से कम है। एक रिपोर्ट में मंगलवार को यह जानकारी दी गई।
गैर-सरकारी संगठन ‘उदैति’ की कार्यबल में महिला-पुरुष भागीदारी पर जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, एनएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों के भीतर महिलाओं का कार्यबल में प्रतिनिधित्व पिछले दो वर्षों से 18 प्रतिशत पर स्थिर है।
हालांकि पिछले वर्ष कुल कार्यबल में छह प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई जबकि महिला कर्मचारियों की संख्या सात प्रतिशत बढ़ी। यह दर्शाता है कि महिलाएं कार्यबल में पहले से अधिक संख्या में आ रही हैं, लेकिन उनकी आनुपातिक हिस्सेदारी पर्याप्त तेजी से नहीं बढ़ रही।
रिपोर्ट में एनएसई पर सूचीबद्ध 1,386 कंपनियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। इसमें महिला-पुरुष प्रतिनिधित्व, वेतन अंतर, नेतृत्व में समावेश, कार्यस्थल छोड़ने और लौटने की दर जैसे पहलुओं की समीक्षा शामिल है।
रिपोर्ट कहती है कि अस्पतालों और क्लिनिकल लैब में महिलाओं की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत से बढ़कर 48 प्रतिशत हो गई है जबकि उपभोक्ता सेवाओं में यह 30 प्रतिशत से बढ़कर 34 प्रतिशत हुई। लेकिन सूचना प्रौद्योगिकी (34 प्रतिशत) और बैंकिंग क्षेत्रों (26 प्रतिशत) में कोई सुधार नहीं हुआ।
इसके साथ ही महिला और पुरुष कर्मचारियों के बीच वेतन का अंतर घटा है। वित्त वर्ष 2023-24 के 6.7 प्रतिशत से मुकाबले यह फासला वित्त वर्ष 2024-25 में घटकर 3.3 प्रतिशत हो गया। हालांकि कपड़ा, धातु और विविध क्षेत्रों में वेतन अंतर अब भी बड़ा है।
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम को लेकर जागरूकता बढ़ी है। महिला कर्मचारियों के अब खुलकर सामने आने से ऐसी शिकायतें 16 प्रतिशत बढ़ गई हैं। लेकिन लंबित मामलों में 28 प्रतिशत बढ़ोतरी होने से कार्यस्थल पर शिकायतों के निपटान की धीमी रफ्तार भी सामने आती है।
उदैति की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) पूजा शर्मा गोयल ने कहा कि श्रम कानूनों में सुधार, कंपनियों की लिंग-समर्थ नीतियां और नियोक्ताओं एवं सरकार की निरंतर कार्रवाई महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ा सकती है।
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