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Tuesday, 24 December, 2024
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स्पेक्ट्रम आवंटन नीति का यूरोप, 120 देशों के साथ ‘तालमेल’ बैठाया जाए : सैटकॉम उद्योग

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नयी दिल्ली, तीन मई (भाषा) उपग्रह संचार उद्योग संगठन एसआईए ने दूरसंचार नियामक ट्राई की स्पेक्ट्रम नीलामी पर सिफारिशों को लेकर चिंता जतायी है। संगठन ने सरकार को पत्र लिखकर स्पेक्ट्रम आवंटन नीति के मामले में यूरोप और 120 से अधिक देशों की नीतियों से तालमेल बनाने का आग्रह किया है।

सैटकॉम इंडस्ट्री एसोसिएशन (एसआईए) ने दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव को लिखे पत्र में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की 27.5 से 28.5 गीगाहर्ट्ज और 3.60 से 3.67 गीगाहर्ट्ज बैंड को प्रस्तावित 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी में शामिल करने की सिफारिशों पर चिंता जतायी है।

उद्योग संगठन ने कहा, ‘‘यह निश्चित रूप से मौजूदा कंपनियों और उन लोगों की आजीविका को प्रभावित करेगा जो पहले से ही इस बैंड और स्थापित सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। इसमें उपग्रह के माध्यम से प्रसारण, ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करने को लेकर पर्याप्त निवेश करने वाले शामिल हैं।’’

उल्लेखनीय है कि 26 गीगाहर्ट्ज और 28 गीगाहर्ट्ज बैंड को तकनीकी रूप से मिलीमीटर वेव (एमएम वेव) बैंड कहा जाता है। इसे उच्च ‘फ्रीक्वेंसी’ दायरा माना जाता है। इसमें प्रेषित सिग्नल कम दूरी को कवर करते हैं लेकिन उनकी गति काफी तेज होती है।

एसआईए ने कहा कि सरकार ने मोबाइल सेवा उद्योग को आगे बढ़ाने के लिये सितंबर, 2021 में कई सुधारों की घोषणा की। इसी तरह, 27.5 से 29.5 गीगाहर्ट्ज बैंड की सीमा में फ्रीक्वेंसी को वैश्विक स्तर पर उपग्रहों के लिये संरक्षित रखा जाता है। यहां भी इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

संगठन ने कहा, ‘‘एक क्षेत्र को दूसरे की कीमत पर बढ़ावा देना संरक्षणवाद हो सकता है।’’

एसआईए ने कहा कि वैश्विक निकाय इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (आईटीयू) ने 5जी मोबाइल सेवाओं के लिए केवल 26 गीगाहर्ट्ज बैंड की पहचान की है। इसमें 28 गीगाहर्ट्ज शामिल नहीं है। आईटीयू वैश्विक स्तर पर स्पेक्ट्रम के उपयोग का समन्वय करने के साथ उसे अंतिम रूप देता है।

ट्राई ने उपग्रह और मोबाइल सेवाओं के लिए साझा आधार पर 26 गीगाहर्ट्ज और 28 गीगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम के उपयोग की सिफारिश की है।

सैटकॉम उद्योग संगठन ने कहा कि मोबाइल और उपग्रह सेवाओं के लिए 28 गीगाहर्ट्ज बैंड के साझा उपयोग पर कोई अध्ययन उपलब्ध नहीं है और इसलिए ऐसा करना भारत के लिये जोखिम भरा होगा।

संगठन ने कहा, ‘‘भारत को इस संदर्भ में अपनी नीति को लेकर यूरोप और 120 से अधिक देशों से तालमेल बैठाना चाहिए। उन्होंने आईएमटी (इंटरनेशनल मोबाइल टेलीकम्युनिकेशन) 5 जी और ईएसआईएम (अर्थ सेटेलाइट इन मोशन/फिक्स्ड सेअेलाइट सर्विस) जीएसओ (जियोस्टेशनरी सेटेलाइट ऑर्बिट) और गैर-जीएसओ को अलग-अलग बैंड में बांटा है।’’

सरकार ट्राई से नीलामी के लिये प्राप्त सिफारिशों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है।

भाषा

रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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