नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) भारत चाहता है कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) अंतरराष्ट्रीय खाद्य सहायता और मानवीय राहत मुहैया कराने के लिए सार्वजनिक भंडार से खाद्यान्नों के निर्यात की अनुमति दे।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा कि डब्ल्यूटीओ को खासतौर पर सरकारों के स्तर पर इस तरह की निर्यात सुविधा जरूर देनी चाहिए।
भारत संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के लिए खाद्यान्नों की आपूर्ति के बारे में डब्ल्यूटीओ के साथ बाध्यकारी प्रतिबद्धता के पक्ष में नहीं है। अधिकारी ने कहा कि ऐसा करने से अपनी घरेलू खाद्य सुरक्षा चिंताओं से निपटने के लिए भारत की नीतिगत गुंजाइश कम हो जाएगी।
अधिकारी ने कहा, ‘‘डब्ल्यूटीओ में भारत लगातार यह मांग उठाता रहा है कि अंतरराष्ट्रीय खाद्य सहायता या मानवीय आधार पर मदद पहुंचाने के लिए सार्वजनिक भंडार से निर्यात की अनुमति सरकार के स्तर पर दी जानी चाहिए।’’
डब्ल्यूटीओ के मौजूदा प्रावधानों के तहत सार्वजनिक भंडार से खाद्यान्न के निर्यात की अनुमति नहीं है। इसके पीछे डब्ल्यूटीओ का यह मत है कि सार्वजनिक भंडार में रखा गया खाद्यान्न सब्सिडी वाला होता है।
सिंगापुर की अगुवाई में करीब 80 देश डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों को डब्ल्यूएफपी के तहत खरीदे गए खाद्यान्नों पर निर्यात बंदिश न बढ़ाकर बाध्यकारी प्रतिबद्धता स्वीकार करने का दबाव डाल रहे हैं। हालांकि, कुछ देशों ने घरेलू खाद्य सुरक्षा चिंताओं की वजह से इस पर आपत्ति भी जताई है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘भारत डब्ल्यूटीओ के साथ किसी तरह की बाध्यकारी प्रतिबद्धता के पक्ष में नहीं है। ऐसा करने पर दूसरे जरूरतमंद एवं पड़ोसी देशों को सरकार-से-सरकार के स्तर पर खाद्यान्न मुहैया कराने की नीतिगत गुंजाइश कम हो जाएगी।’’
भारत का यह मत है कि अगर विश्व खाद्य कार्यक्रम को यह छूट दी जाती है तो इसके दायरे में सरकार-से-सरकार के स्तर पर होने वाली आपूर्ति को रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास सरकार-से-सरकार के स्तर पर दूसरे देशों को खाद्यान्न देने का लचीलापन होना चाहिए।’’
संयुक्त राष्ट्र के बैनर तले संचालित विश्व खाद्य कार्यक्रम 120 देशों में संघर्ष या आपदा की वजह से विस्थापित हुए लोगों को खानपान मुहैया कराने का काम करता है।
जिनेवा में अगले महीने होने वाले डब्ल्यूटीओ के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में इस मसले पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। दुनिया के 164 देशों की भागीदारी वाले डब्ल्यूटीओ का सर्वोच्च नीति-निर्धारक निकाय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन ही होता है।
अधिकारी ने कहा कि अपनी घरेलू खाद्य सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए भारत के डब्ल्यूएफपी के लिए रियायत देने पर राजी होने की संभावना नहीं है।
भाषा
प्रेम अजय
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