नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने सोमवार को कहा कि देश की कोयला समेत जीवाश्म ऊर्जा क्षमता 2030 तक 5,00,000 मेगावॉट पहुंच जाने का अनुमान है। इतना ही नहीं ऊर्जा की कुल जरूरत का आधा हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से पूरा होगा। इससे अर्थव्यवस्था के लिये कार्बन गहनता घटकर 45 प्रतिशत से कम हो जाएगी।
नॉर्वे-भारत व्यापार शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए सारस्वत ने कहा, ‘‘इसके अलावा, भारत अब से 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी करेगा। वर्ष 2070 तक देश शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल कर लेगा।’’
कार्यक्रम का आयोजन उद्योग मंडल सीआईआई ने नॉर्वे दूतावास के साथ मिलकर किया था।
नीति आयोग के सदस्य ने यह भी कहा कि व्यापक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिये विभिन्न विकल्पों के साथ व्यापक रुख की जरूरत है। इन विकल्पों में हाइड्रोजन, मेथनॉल और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे स्वच्छ ऊर्जा के स्रोत शामिल हैं।
आयात और उत्सर्जन को कम करने के लिए वैकल्पिक ईंधन के उपयोग के बारे में उन्होंने कहा कि वर्तमान में बायो-सीएनजी, एथनॉल और मेथनॉल भारत के पास उपलब्ध वैकल्पिक ईंधन हैं। भविष्य में हरित हाइड्रोजन नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से उपलब्ध होगा। इससे उत्सर्जन में 40 प्रतिशत की कमी आएगी।
भाषा रमण अजय
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