नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) भारत-मॉरीशस व्यापार समझौते में वस्तुओं के आयात में ‘अचानक’ और ‘असामान्य’ उछाल से घरेलू उद्योग को संरक्षण देने के लिए रक्षात्मक-उपाय (सेफगार्ड) तंत्र संबंधी प्रावधानों को जोड़ा जा सकता है।
दोनों देशों के बीच यह समझौता एक अप्रैल, 2021 से लागू हुआ है। इस तरह के समझौतों के लागू होने के बाद दोनों पक्षों के सहमत होने पर समझौते में अन्य प्रावधान भी जोड़े जा सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि समझौते में सामान्य आर्थिक सहयोग पर भी एक अध्याय जोड़ा जा सकता है। इसे आधिकारिक रूप से वृहद आर्थिक सहयोग और भागीदारी समझौता (सीईसीपीए) कहा जाता है।
रक्षात्मक-उपाय तंत्र तब काम आता है जब किसी वस्तु के आयात में अचानक वृद्धि होती है, जो घरेलू उद्योग को प्रभावित कर सकती है। इस प्रावधान के तहत उस विशेष वस्तु पर रियायती सीमा शुल्क को सभी देशों के लिए लागू होने वाले मौजूदा करों से बदल दिया जाता है। इसमें किसी तीसरे देश के उत्पाद को रोकने के लिए भी सख्त नियम है।
सूत्रों ने कहा कि इन दोनों मुद्दों- रक्षात्मक-उपाय तंत्र और सामान्य आर्थिक सहयोग को समझौते में शामिल करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी लेने की जरूरत होगी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने इस मामले में विभिन्न मंत्रालयों से राय मांगी है, जिसके बाद वह इसे मंत्रिमंडल में लेकर जाएगा। भारत और मॉरीशस ने 22 फरवरी, 2021 को एक प्रकार के मुक्त व्यापार समझौते सीईसीपीए पर हस्ताक्षर किए थे।
इस करार के तहत कपड़ा और रसायन सहित कई भारतीय उत्पाद मॉरीशस में रियायती शुल्क पर बेहतर बाजार पहुंच का लाभ उठा रहे हैं।
समझौते के तहत भारत से निर्यात वाले 310 उत्पाद शामिल हैं। वहीं मॉरीशस को समझौते के तहत भारत में अपने 615 उत्पादों के लिए तरजीही पहुंच उपलब्ध है।
भाषा अजय अजय प्रेम
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