नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र में लगातार उठाए गए सुधारों की वजह से वर्ष 2006 से अब तक 62.8 अरब डॉलर (लगभग 4.81 लाख करोड़ रुपये) का संस्थागत निवेश आया है।
संपत्ति सलाहकार फर्म जेएलएल इंडिया ने एक बयान में यह जानकारी दी। इसके मुताबिक, ‘‘वर्ष 2014 में शुरू हुए सिलसिलेवार सुधारों ने आने वाले वर्षों में पूंजी प्रवाह बढ़ाने का काम किया। वर्ष 2006 से मार्च, 2022 तक इस क्षेत्र में आए 62.8 अरब डॉलर के कुल संस्थागत निवेश में से 58 प्रतिशत निवेश वर्ष 2015 के बाद आया है।’’
जेएलएल ने कहा कि वर्ष 2014 में आरईआईटी की शुरुआत, 2016 में रियल एस्टेट विनियमन एवं विकास (रेरा) अधिनियम, बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम, जीएसटी, और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मानकों में क्रमिक छूट जैसे सुधारों से रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और पेशेवर प्रबंधन को बल मिला।
बयान के मुताबिक, इन सुधारों का असर यह हुआ कि वर्ष 2015 से मार्च, 2022 तक भारतीय रियल एस्टेट में 36.7 अरब डॉलर का संस्थागत निवेश आया।
जेएलएल की प्रबंध निदेशक एवं भारतीय पूंजी बाजार प्रमुख लता पिल्लै ने कहा कि फिलहाल सौदों की आवक बहुत अच्छी स्थिति में नजर आ रही है और 2022 के कैलेंडर वर्ष में इसके महामारी-पूर्व स्तर तक पहुंच जाने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि डेटा सेंटर और भंडारगृह क्षेत्रों में निवेश के लिए कई कंपनियों के इच्छुक होने से प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण की स्थिति बन सकती है।
उन्होंने कहा कि जहां घरेलू पूंजी का आवासीय क्षेत्र से जुड़े सौदों पर ध्यान केंद्रित रहा वहीं विदेशी निवेशकों का ध्यान मुख्य रूप से वाणिज्यिक संपत्तियों पर रहा।
भाषा प्रेम अजय
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