मुंबई, 17 मई (भाषा) रेटिंग एजेंसी इक्रा का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 12 से 13 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। इक्रा ने अप्रैल में कारोबार गतिविधि सूचकांक 13 माह के दूसरे सर्वोच्च स्तर पर होने का जिक्र करते मंगलवार को कहा कि पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर काफी अच्छी रह सकती है।
हालांकि, इक्रा ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी की वृद्धि दर के 7.2 प्रतिशत के अनुमान को बरकरार रखा है। इसके पीछे बढ़ती मुद्रास्फीति एवं नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी जैसे कारण हैं।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘अप्रैल महीने के लिए हमारा कारोबार गतिविधि सूचकांक यह संकेत देता है कि एक साल पहले और कोविड-पूर्व स्तर की तुलना में गतिविधियां करीब 16 प्रतिशत अधिक रही हैं।’’
उन्होंने कहा कि तीव्र वृद्धि का सिलसिला मई में भी कायम रह सकता है। इस तरह वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दहाई अंकों में रहते हुए 12-13 प्रतिशत तक रहनी चाहिए। हालांकि, यह तीव्र वृद्धि आगे बनी नहीं रह पाएगी और मात्रा एवं संख्या के लिहाज से सालाना वृद्धि मध्यम रह सकती है।
नायर का मानना है कि लागत बढ़ने से सकल मूल्य संवर्द्धन (जीवीए) वृद्धि दर इकाई अंक में ही बनी रह सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘यही कारण है कि हमने वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी वृद्धि के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा है।’’
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति एवं वृद्धि के लिए सबसे बड़ा जोखिम ईंधन की बढ़ती कीमतें एवं यूक्रेन संकट का संभावित असर हैं। अगर रूस एवं यूक्रेन के बीच छिड़ा युद्ध जल्दी थमता नहीं है, तो इसका प्रभाव अनुमान से कहीं ज्यादा होगा।
नायर ने कहा कि रिजर्व बैंक जून एवं अगस्त में होने वाली अगली दो द्विमासिक समीक्षा में नीतिगत दरों में 0.25-0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है। वहीं रिजर्व बैंक का भावी कदम युद्ध की दिशा एवं जिंस कीमतों पर इसके असर से तय होगा।
भाषा
प्रेम अजय
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