नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (वायईडीएसए) के उस निर्णय को सही ठहरा दिया जिसमें किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा देने के लिए भूमि आवंटियों से अतिरिक्त राशि की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार के वर्ष 2014 के आधिकारिक आदेश को गलत और संपत्ति हस्तांतरण कानून के प्रावधानों का उल्लघंन बताया गया था।
न्यायाधीश गवई ने 66 पृष्ठ के अपने आदेश में कहा, ‘‘यह एक घिसापिटा कानून है कि नीतिगत फैसले में तब तक हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि यह मनमाना, गलत मंशा वाला, गैर-तार्किक और सांविधिक प्रावधानों का उल्लघंन नहीं करता हो। ऐसे में हमारा मानना है कि उच्च न्यायालय को राज्य सरकार के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था, क्योंकि यह जनहित में लिया गया निर्णय था।
भाषा जतिन अजय
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