मुंबई, 21 अप्रैल (भाषा) चालू वित्त वर्ष में उर्वरक सब्सिडी के 1.05 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान के मुकाबले 1.65 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्चस्तर को छूने की संभावना है। एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर कच्चे माल और उर्वरकों की लागत में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण सब्सिडी में यह वृद्धि होगी।
क्रिसिल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की उर्वरक सब्सिडी 1.65 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर को छूने के लिए तैयार है तथा उर्वरक विनिर्माताओं की ऋण साख को बनाए रखने के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) और अतिरिक्त सब्सिडी के लिए संशोधन महत्वपूर्ण है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमारा आकलन है इस वित्तवर्ष की दूसरी छमाही में उर्वरकों की मांग में साल-दर-साल तीन प्रतिशत की वृद्धि तथा कच्चे माल एवं उर्वरक की कीमतों में कमी के अनुमान पर आधारित है। यदि दूसरी छमाही में मांग, अपेक्षा से कहीं अधिक रहती है, या लागत की कीमतों में भी नरमी नहीं आती है, तो सब्सिडी खर्च 1.8-1.9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो वित्त वर्षों में सरकार ने 1.2 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया है और बजटीय सब्सिडी में वृद्धि की है।
किसानों को बेहतर फसल उपज के लिए उर्वरकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने को सरकार खुदरा बिक्री मूल्य (आरएसपी) को बाजार दर से काफी कम रखती है और सब्सिडी भुगतान के माध्यम से यूरिया निर्माताओं को प्रतिपूर्ति करती है।
हालांकि, इससे यूरिया निर्माताओं की लाभप्रदता काफी हद तक सुरक्षित रहती है, लेकिन बढ़ती लागत के बावजूद आरएसपी अपरिवर्तित रहने का मतलब यह होगा कि सरकार को एक बड़ा सब्सिडी खर्च देना होगा।
इसी तरह, गैर-यूरिया उर्वरकों में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख उर्वरक सामग्री – फॉस्फोरिक एसिड और रॉक फॉस्फेट – की कीमतें भी पिछले 12 महीनों में मार्च, 2022 तक क्रमशः 92 प्रतिशत और 99 प्रतिशत बढ़ी हैं।
क्रिसिल ने कहा कि इसके अलावा रूस, बेलारूस और यूक्रेन गैर-यूरिया उर्वरक सामग्री के प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश हैं, तथा रूस-यूक्रेन युद्ध स्थिति को और बिगाड़ेगा।
गैर-यूरिया उर्वरक निर्माताओं के लिए, सरकार पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरों के अनुसार सब्सिडी का भुगतान करती है, जिसकी घोषणा इस वित्तवर्ष के लिए की जानी बाकी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सब्सिडी भुगतान में किसी भी तरह की देरी या इसके कम रहने पर उर्वरक निर्माताओं के नकदी प्रवाह पर असर पड़ सकता है और इससे कार्यशील पूंजी की जरूरत बढ़ सकती है।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.