नयी दिल्ली, चार मई (भाषा) रिजर्व बैंक द्वारा प्रमुख नीतिगत दरों में बढ़ोतरी के फैसले से रियल एस्टेट की वृद्धि पर असर पड़ेगा और घरों की मांग प्रभावित हो सकती है। उद्योग से जुड़े लोगों ने यह आशंका व्यक्त की।
आरबीआई ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए नीतिगत दर (रेपो) को 0.40 फीसदी बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया है। साथ ही नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 4.5 प्रतिशत करने का भी फैसला किया है। इससे बैंकों के पास 87,000 करोड़ रुपये की नकदी घटेगी।
इस फैसले पर टिप्पणी करते हुए रियल एस्टेट उद्योग के संगठन क्रेडाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन पटोदिया ने कहा, ‘‘कम रेपो दरों ने महामारी के दौरान रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा दिया था। आरबीआई द्वारा रेपो दर में वृद्धि रियल एस्टेट उद्योग के लिए हैरान करने वाली है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम रियल्टी क्षेत्र में वृद्धि के रुझान देख रहे हैं और डेवलपर्स महामारी की चुनौतियों के बीच काफी हद तक जुझारू क्षमता दिखाते रहे हैं। हालांकि, यह वृद्धि उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को प्रभावित करेगी, लेकिन हमें लगता है कि घर खरीदार इसे स्वीकार कर लेंगे।’’
क्रेडाई-एमसीएचआई के अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा कि मुद्रास्फीति के साथ रेपो दर में अचानक वृद्धि से उद्योग की वृद्धि प्रभावित होगी।
उन्होंने कहा कि कच्चे माल की बढ़ती कीमतों और ब्याज दर बढ़ने से लोग घर खरीदने का इरादा टाल सकते हैं।
एनरॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि यह बढ़ोतरी कम ब्याज दर का दौर खत्म होने की ओर संकेत करती है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा सीमेंट, इस्पात, मजदूरी आदि लागत बढ़ने से आवासीय क्षेत्र का बोझ बढ़ेगा।
भाषा पाण्डेय अजय
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