नयी दिल्ली, 27 अप्रैल (भाषा) सरकार ने बुधवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी एलआईसी के शेयर बिक्री आकार को कम कर 20,557 करोड़ रुपये किया गया है और यह बिल्कुल उपयुक्त है। इसका आकार बाजार में मौजूदा धारणा को ध्यान में रखकर निर्धारित किया गया है ताकि पूंजी प्रवाह पर कोई असर नहीं हो।
सरकार ने यह भी कहा कि यह निर्गम खासकर खुदरा निवेशकों के लिये मूल्य को बढ़ाने वाला है।
निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने बिक्री पेशकश के माध्यम से एलआईसी की शेयर बिक्री की घोषणा की। उन्होंने देश की सबसे बड़ी वित्तीय क्षेत्र की इकाई और बाजार के सबसे बड़े निवेशक के कम मूल्यांकन (लगभग छह लाख करोड़ रुपये) को सही ठहराने की भी कोशिश की।
उन्होंने कहा कि 10 निवेश बैंकरों और मूल्यांककों ने इसका मूल्य निकालने को लेकर पूरा प्रयास किया। इसका कारण इसके मूल्यांकन को लेकर कोई मानक नहीं था।
हालांकि, पांडेय ने इसका कोई जवाब नहीं दिया कि जब बाजार में उतार-चढ़ाव है और विदेशी संस्थागत निवेशक लगातार पैसा निकाल रहे हैं तथा सरकार का राजकोष मजबूत है, ऐसे में निर्गम को जल्दबाजी में लाने की क्या जरूरत थी। उन्होंने कहा कि सरकार को बुनियादी ढांचे में निवेश को कोष चाहिए।
सरकार एलआईसी में 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 20,557 करोड़ रुपये जुटाएगी।
इससे पहले, फरवरी में सरकार ने लगभग 10 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित मूल्यांकन पर पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने और लगभग 60,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई थी।
पांडेय ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बाजार के मौजूदा हालात को देखते हुए एलआईसी की शेयर बिक्री का आकार बिल्कुल उपयुक्त है। इससे मौजूदा बाधाओं को देखते हुए पूंजी प्रवाह पर असर नहीं पड़ेगा।’’
उन्होंने कहा कि देश की मूल्यवान कंपनी का आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) सभी भारतीयों को संपत्ति बढ़ाने का एक मौका दे रहा है। सरकार चाहती है कि एलआईसी इक्विटी बाजार में लंबे समय तक मूल्य सृजन करने वाले बनी।
दीपम सचिव ने कहा, ‘‘कंपनी के निर्गम को इस समय सूचीबद्ध कराने का निर्णय कई कारणों से लिया गया। इसमें बाजार में मांग, बाजार का स्थिर होना, उतार-चढ़ाव में कमी, घरेलू पूंजी प्रवाह और कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन शामिल है।
भाषा
रमण अजय
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