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Monday, 18 November, 2024
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टेक लैंड में ई-भक्ति: कर्नाटक के मंदिर लाइव दिखाएंगे पूजा, घर भेजेंगे प्रसाद

कर्नाटक इस योजना को आधिकारिक रूप से 27 मई को शुरू करने जा रहा है, और पहले चरण में, राज्य भर के 50 प्रमुख मंदिर इसमें हिस्सा लेंगे.

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बेंगलुरू: कर्नाटक सरकार ने फैसला किया है कि राज्य के मंदिरों को पूजा और दूसरे अनुष्ठान लाइव दिखाने, तथा प्रसाद और तीर्था (पवित्र जल) जैसे धार्मिक चढ़ावों को, भक्तों के यहां पहुंचाने की अनुमति दी जाएगी. धार्मिक बंदोबस्ती के लिए राज्य मंत्री, कोटा श्रीनिवास पुजारी ने दिप्रिंट को बताया कि ये फैसला इसलिए लिया गया है, क्योंकि श्रद्धालुओं की ओर से मांग बढ़ रही थी, कि उन्हें मंदिरों में पूजा करने की अनुमति दी जाए.

पुजारी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सभी धार्मिक संस्थाएं बंद हैं, इसलिए ऐसे में धार्मिक लोगों की जरूरत पूरी करने का एक ही तरीक़ा था, कि उन्हें मंदिरों में चल रहे अनुष्ठान को लाइव देखने, या उसमें शामिल होने की अनुमति दे दी जाए.

पुजारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुझे श्रद्धालुओं के अनुरोध मिलते रहते हैं, कि वो पूजा करना चाहते हैं. लॉकडाउन में श्रद्धालुओं को मंदिर जाने की अनुमति नहीं है. इसलिए हमें ये विचार आया कि मंदिरों के प्रशासन से कहा जाए कि अपनी ऑनलाइन मौजूदगी का लाभ उठाते हुए, श्रद्धालुओं को ऑनलाइन अपनी सेवा बुक करने के लिए आकर्षित किया जाए, और मंदिरों की पूजा को भी लाइव दिखाया जाए.’

उन्होंने ये भी कहा कि प्रसाद और तीर्थ (पवित्र जल) जैसे चढ़ावों को, कोरियर के ज़रिए श्रद्धालु के घर भेज दिया जाएगा. ‘कर्नाटक इस योजना को आधिकारिक रूप से 27 मई को शुरू करने जा रहा है, और पहले चरण में, राज्य भर के 50 प्रमुख मंदिरों को अपनी सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी जाएगी.

राज्य में 34,500 मंदिर हैं, लेकिन सभी प्रमुख मंदिरों के प्रशासन से अपने यहां वैब कैमरे लगाने का अनुरोध किया गया है, जिससे भक्त हर रोज़ पूजा में शामिल हो सकें. इन प्रमुख मंदिरों में उडुपी का कोल्लूर मूकाम्बिका, बेगुलूरू का बाणशंकरी मंदिर, नानजंगूड़ कानानजंदेश्वर मंदिर, मैसूरु का चामुंडेश्वरी मंदिर, और मंगलूरू मंदिर के निकट कुक्के सुब्रामण्य का सुब्रामण्येश्वर शामिल हैं.


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पुजारी ने कहा, ‘कुछ मंदिर ऐसे हैं जो अपने यहां गर्भगृह के भीतर, पूजा की वीडियो शूटिंग की इजाज़त नहीं देते. हम उसका सम्मान करेंगे. लेकिन दूसरी जगहों पर हम इनफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराएंगे, जिससे भक्तों को भगवान से जुड़ने में मदद मिलेगी.’ मंदिर भक्तों से सेवाओं का पैसा ले सकते हैं राज्य की ओर से मंदिरों को अनुमति दी जाएगी कि अपनी सेवाओं के लिए वो भक्तों से पैसा एकत्र कर सकते हैं, क्योंकि पुजारी के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान मंदिरों की सालाना आय में, 40 प्रतिशत की गिरावट आ गई है.

पुजारी ने ये भी कहा कि राज्य को मंदिरों से कुछ आमदनी होती है,लेकिन अधिकतर पैसा परिसरों के रखरखाव, मंदिर कर्मचारियों की तनख़्वाह, और भक्तों के लिए प्रसाद में इस्तेमाल हो जाता है. पुजारी के अनुसार, ‘मंदिरों की आय हुण्डियों (दानपात्रों) में किए गए दान से प्राप्त होती है. हुण्डियों से राज्य को साल भर में औसतन 8 से 14 करोड़ रुपए के बीच मिल जाते हैं. लॉकडाउन के चलते हमें एक पैसा नहीं मिला है.’  ‘मंदिर कर्मचारियों को भुगतान करना होता है. कई मंदिर कर्मचारी जो लोगों के दान पर गुज़ारा करते हैं, उन्हें अपने लिए भोजन जुटाने में भी दिक़्क़त हो रही है.

फिलहाल हमने उनके लिए भी प्रबंध किया है.’ पूजा के लाइव प्रसारण का विचार रोहिणी सिंधुश्री ने पेश किया, जो एक आईएएस अधिकारी हैं, और जिनके पास हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग की कमिश्नर का भी चार्ज है. इससे पहले वो हासन ज़िले की डिप्टी कमिश्नर थीं, जहां उन्होंने 12 साल में एक बार होने वाले, प्रसिद्ध महामस्तकाभिषेक का प्रबंध किया था.उस आयोजन के दौरान उन्होंने उस अनुष्ठान के लाइव प्रसारण की अनुमति दी थी. सिंधुश्री ने दिप्रिंट से कहा, ‘ऑनलाइन सेवाएं होती हैं, लेकिन इस समय, भक्तों को लाइव प्रसारण से भी सहायता मिलेगी.’


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