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Tuesday, 5 November, 2024
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DU के अकादमिक परिषद ने 4 साल के इंटीग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन प्रोग्राम को लागू करने की मंजूरी दी

बैठक शुक्रवार देर रात डेढ़ बजे तक चली. परिषद ने प्राथमिक शिक्षा स्नातक (बी.एल.एड) प्रोग्राम की जगह 4 साल के इंटीग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन प्रोग्राम को लागू करने के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी.

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नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के अकादमिक परिषद ने चार साल के इंटीग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन प्रोग्राम (आईटीईपी) को लागू करने जैसे कुछ विवादास्पद प्रस्तावों सहित कई प्रस्तावों को मंजूरी दी है.

इस मामले से वाकिफ अधिकारियों ने बताया कि परिषद ने बीए राजनीति शास्त्र पाठ्यक्रम से प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायर मोहम्मद इकबाल पर एक चैप्टर को हटाने सहित पाठ्यक्रम में कई परिवर्तनों को भी मंजूरी दी है.

बैठक शुक्रवार देर रात डेढ़ बजे तक चली थी. परिषद ने प्राथमिक शिक्षा स्नातक (बी.एल.एड) प्रोग्राम की जगह 4 साल के इंटीग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन प्रोग्राम को लागू करने के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी.

अकादमिक परिषद (एसी) के 6 सदस्यों ने प्रस्ताव के खिलाफ असहमति जताते हुए कहा कि इस संबंध में शिक्षकों से कोई परामर्श नहीं किया गया.

एसी की निर्वाचित सदस्य माया जॉन ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सदस्यों की असहमति के बावजूद आईटीईपी को पारित किया गया. हम हितधारकों के हितों की रक्षा के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.’’

माया जॉन उन सदस्यों के समूह का हिस्सा थीं, जिन्होंने प्रस्ताव को लेकर असहमति जताई थी.

बी.एल.एड. की जगह आईटीईपी को लागू किया जाएगा. बी.एल.एड. प्रोग्राम को 1994 में शुरू किया गया था. दिल्ली विश्वविद्यालय एकमात्र विश्वविद्यालय था जिसका अपना इंटिग्रेटेड चार वर्षीय प्रोग्राम है.

अपने असहमति पत्र में सदस्यों ने तर्क दिया कि आईटीईपी पर एनसीटीई की अधिसूचना को सीधे अकादमिक परिषद में लाकर पाठ्यक्रम समिति और टीचर्स फैक्लटी को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है.

बैठक में जो एक और विवादास्पद प्रस्ताव पारित किया गया, वह स्नातक कार्यक्रमों को लेकर छात्रों के व्याख्यान और ट्यूटोरियल के लिए कक्षा में छात्रों की संख्या क्रमशः 60 और 30 करने से संबंधित था.

एसी सदस्यों के एक वर्ग ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि व्याख्यान, ट्यूटोरियल और प्रैक्टिकल की कक्षाओं में छात्रों की संख्या बढ़ाने से पढ़ने-पढ़ाने की प्रक्रिया पर नकारात्मक असर पड़ेगा.

विभिन्न पाठ्यक्रमों के कई सेमेस्टर के पाठ्यक्रम परिषद में प्रस्तुत किए गए और अनुमोदित किए गए.

वैधानिक निकाय के सदस्यों ने पुष्टि की कि परिषद ने राजनीति शास्त्र पाठ्यक्रम से पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि मुहम्मद इकबाल पर एक अध्याय को हटाने संबंधी प्रस्ताव भी पारित किया.

अविभाजित भारत के सियालकोट में 1877 में जन्मे इकबाल ने प्रसिद्ध गीत ‘‘सारे जहां से अच्छा, हिंदोस्ता हमारा-हमारा’’ लिखा था. उन्हें अक्सर पाकिस्तान का विचार देने का श्रेय दिया जाता है.

अधिकारियों ने कहा कि ‘आधुनिक भारत राजनीतिक विचार’ शीर्षक से अध्याय बीए के छठे सेमेस्टर के पाठ्यक्रम का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि यह मामला अब विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा जो इस पर अपना अंतिम फैसला सुनाएगी.

परिषद ने विभाजन संबंधी अध्ययन और आदिवासी अध्ययन से संबंधित विषय पर दो नए केंद्र स्थापित करने पर प्रस्ताव पारित किया है.

एसी के कुछ सदस्यों ने इन दो प्रस्तावों के खिलाफ भी असहमति जताई.

अकादमिक परिषद के एक सदस्य ने कहा, “राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में बदलाव के संबंध में एक प्रस्ताव लाया गया था. प्रस्ताव के अनुसार, इकबाल पर एक चैप्टर था, जिसे पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है.”

वहीं, डीयू के अकादमिक परिषद ने शुक्रवार को स्वतंत्रता और विभाजन अध्ययन केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव भी पारित किया.

अधिकारियों ने बताया कि यह केंद्र देश के विभाजन से जुड़ी ‘हाई वोल्टेज राजनीति’ के अलावा इस विषय पर शोध की सुविधा प्रदान करेगा कि तत्कालीन केंद्रीय नेतृत्व अलगाववाद को रोकने में कैसे नाकाम रहा था.

दस्तावेज़ के मुताबिक, यह इस बात पर भी ध्यान केंद्रित करेगा कि “कांग्रेस कार्य समिति ने (महात्मा) गांधी से परामर्श किए बिना विभाजन के लिए सहमति दी थी.”

एक अधिकारी ने बताया, “यह (प्रस्ताव) शुक्रवार को अकादमिक परिषद की बैठक के दौरान पेश किया गया और सदस्यों द्वारा पारित किया गया. अब इसे कार्यकारी परिषद के समक्ष पेश किया जाएगा.”


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