नई दिल्ली: यह सिर्फ सिख समुदाय के बीच व्यापक आक्रोश, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की ओर से प्रोडक्शन हाउस को कानूनी नोटिस या शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) की ओर से विरोध ही नहीं था, जिसके कारण केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ में और बदलाव करने को कहा.
दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पंजाब इकाई के नेताओं की ओर से दी गई चेतावनी ने भी इसमें भूमिका निभाई.
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि भाजपा पंजाब के महासचिव जगमोहन सिंह राजू ने इस सप्ताह सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव को एक पत्र लिखकर फिल्म को प्रमाण पत्र देने से पहले इसकी विषय-वस्तु की बेहतर तरीके से जांच करने का अनुरोध किया.
सूचना मंत्रालय ने पहले ही फिल्म को न्यूनतम कट के साथ मंजूरी देने के बावजूद प्रमाणन रोक दिया है. भाजपा के एक सूत्र ने कहा, “बोर्ड ने कंगना की टीम को और अधिक बदलाव करने का निर्देश दिया है और सिख समुदाय की आपत्तियों के बाद किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने से बचने के लिए फिल्म की सामग्री की सावधानीपूर्वक समीक्षा कर रहा है.”
रनौत पहले से ही किसानों के विरोध प्रदर्शन पर अपनी विभिन्न विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही थीं, खासकर चुनावी राज्य हरियाणा में- जहां भारतीय किसान यूनियन ने उन्हें माफ़ी मांगने या परिणाम भुगतने की चेतावनी जारी की थी. इसके कारण भाजपा ने उनके बयानों से खुद को दूर कर लिया है. हरियाणा की आबादी में सिखों की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत है.
शुक्रवार को रनौत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट करके खुलासा किया कि फिल्म का प्रमाणन रोक दिया गया है. उन्होंने वीडियो में हिंदी में कहा, “अफवाहें फैल रही हैं कि मेरी फिल्म इमरजेंसी को सेंसर बोर्ड ने प्रमाणित कर दिया है. यह सच नहीं है. हमारी फिल्म को सीबीएफसी से मंजूरी तो मिल गई, लेकिन सेंसर बोर्ड के सदस्यों को जान से मारने की कई धमकियों के कारण प्रमाणन में देरी हुई.”
अभिनेत्री ने कहा, “इससे हम पर दबाव पड़ा है कि हम फिल्म में श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या, (सिख आतंकवादी जरनैल सिंह) भिंडरावाले और पंजाब दंगों को न दिखाएं. इससे सवाल उठता है कि मैं फिल्म में वास्तव में क्या दिखा सकती हूं? क्या फिल्म को अचानक ब्लैक आउट कर देना चाहिए? यह मेरे लिए अविश्वसनीय समय है और मुझे इस देश की स्थिति पर दुख है.”
शुक्रवार को सीबीएफसी की वेबसाइट पर उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, फिल्म को कुछ संशोधनों के बाद पहले ही मंजूरी दे दी गई थी, जिसमें धूम्रपान पर चेतावनी जोड़ने, “एक सार्वजनिक नेता की मृत्यु” के बाद भीड़ द्वारा चिल्लाए गए “अपमानजनक” शब्द को म्यूट करने और “मिस्टर प्रेसिडेंट” शब्द को हिंदी संस्करण “राष्ट्रपति जी” से बदलने की आवश्यकता शामिल थी.
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के बयान और ऑपरेशन ब्लू स्टार के अभिलेखीय फुटेज वाले खंडों के लिए, अन्य चीजों के अलावा, सीबीएफसी ने दस्तावेज मांगे हैं.
फिल्म के ट्रेलर ने विवाद की शुरुआत तब की जब इसमें मारे गए आतंकवादी भिंडरावाले को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ काम करते हुए दिखाया गया, जिसमें उन्होंने अलग सिख राज्य के बदले में कांग्रेस पार्टी के लिए वोट लाने का वादा किया था. 14 अगस्त को ट्रेलर रिलीज़ होने के तुरंत बाद सिख संगठनों ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की.
पंजाब से लेकर तेलंगाना तक आक्रोश
शुक्रवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के सलाहकार मोहम्मद अली शब्बीर ने सिख प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की और उन्हें आश्वासन दिया कि राज्य फिल्म पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर सकता है.
शिअद की दिल्ली इकाई ने शुक्रवार को रनौत के प्रोडक्शन हाउस को कथित तौर पर गलत ऐतिहासिक तथ्य दिखाने के लिए कानूनी नोटिस भेजा. नोटिस में शिअद (दिल्ली) प्रमुख परमजीत सिंह सरना ने लिखा, “आपातकाल के दौरान शिअद सरदार हरचंद सिंह लोंगोवाल ने आपातकाल का विरोध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. फिल्म ऐसे योगदानों की उपेक्षा करती है और इसके बजाय सिख समुदाय को नकारात्मक और अन्यायपूर्ण तरीके से चित्रित करती है.”
इसमें आगे कहा गया, “इस तरह के चित्रण न केवल भ्रामक हैं, बल्कि पंजाब और राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने के लिए बेहद अपमानजनक और नुकसानदेह भी हैं. यह स्पष्ट है कि कंगना, जो अपने सिख विरोधी रुख के लिए जानी जाती हैं, ने इस विषय को कांग्रेस के खिलाफ वास्तविक राजनीतिक या ऐतिहासिक बयान देने के लिए नहीं बल्कि सिख समुदाय को निशाना बनाने के लिए चुना है.”
पंजाब भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट से कहा: “हम फिल्म के खिलाफ नहीं हैं क्योंकि पार्टी को उम्मीद थी कि आपातकाल पर बनी फिल्म कांग्रेस को खराब तरीके से दिखाएगी जिससे बीजेपी के प्रति अच्छी धारणा बनने से पार्टी को लाभ मिलेगा. लेकिन फिल्म में कुछ दृश्य जो सिख समुदाय पर आक्षेप लगाते हैं, वे पार्टी के लिए अच्छे नहीं हैं.”
इसमें आगे कहा गया, “इस तरह के चित्रण न केवल भ्रामक हैं, बल्कि पंजाब और राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने के लिए बेहद अपमानजनक और नुकसानदेह भी हैं. यह स्पष्ट है कि कंगना, जो अपने सिख विरोधी रुख के लिए जानी जाती हैं, ने इस विषय को कांग्रेस के खिलाफ वास्तविक राजनीतिक या ऐतिहासिक बयान देने के लिए नहीं बल्कि सिख समुदाय को निशाना बनाने के लिए चुना है.”
पंजाब भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट से कहा, “हम फिल्म के खिलाफ नहीं हैं क्योंकि पार्टी को उम्मीद थी कि आपातकाल पर बनी फिल्म कांग्रेस को खराब रोशनी में दिखाएगी और भाजपा को धारणागत लाभ मिलेगा. लेकिन फिल्म में कुछ दृश्य जो सिख समुदाय पर आक्षेप लगाते हैं, वे पार्टी के लिए अच्छे नहीं हैं.”
पंजाब के वरिष्ठ भाजपा नेता हरजोत सिंह ग्रेवाल ने कहा, “सरकार को सर्टिफिकेशन देने से पहले फिल्म की विषय-वस्तु की दोबारा जांच करनी चाहिए. इससे दुश्मनी को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए और एक समुदाय के जख्मों को फिर से हरा नहीं करना चाहिए.”
हरियाणा के एक अन्य भाजपा नेता ने कहा, “पहले ही, किसान आंदोलन पर अपने बयान के ज़रिए कंगना ने किसान समुदाय की भावनाओं को आहत किया है. जाट भाजपा के खिलाफ हैं और दूसरे किसान समुदाय को नाराज़ करना पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है. पार्टी को उनके बयान और उनकी फिल्म से निपटने में सावधानी बरतनी चाहिए.”
‘भाजपा को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए’
एसपीजीसी के बयान ने भी पार्टी पर दबाव बढ़ा दिया है. एसजीपीसी सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने मंगलवार को फेसबुक पर एक वीडियो संदेश में कहा कि भिंडरावाले को गलत तरीके से पेश किया गया है.
गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा, “संत जरनैल सिंह भिंडरावाले सिख धर्म में एक उच्च स्थान रखते हैं और उन्हें आध्यात्मिक रूप से उन्नत व्यक्ति माना जाता है.”
उन्होंने कहा, “जबकि हम ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित फिल्में बनाने का स्वागत करते हैं, हम इस फिल्म में सिख समुदाय को जिस तरह से दिखाया गया है, उसका कड़ा विरोध करते हैं. फिल्म के ट्रेलर में स्पष्ट रूप से सिखों को एक अनुचित, क्रूर और हिंसक समुदाय के रूप में दिखाया गया है.”
अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने भाजपा से फिल्म पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा और सिख समुदाय को जिस तरह से दिखाया गया है, उसे लेकर अभिनेत्री की आलोचना की. उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह (कंगना) भाजपा की सांसद हैं और भाजपा को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह जो कुछ भी दिखा रही हैं, क्या वह इस मुद्दे पर पार्टी का रुख है. सिखों ने इस देश के इतिहास में एक शानदार भूमिका निभाई है, चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम हो, अनाज के सरप्लस का आंदोलन हो या सीमाओं पर युद्ध हो.”
हरसिमरत के अनुसार, उनके ससुर, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व में शिरोमणि अकाली दल देश का पहला राजनीतिक संगठन था जिसने 1975 के आपातकाल के खिलाफ आवाज उठाई थी.
उन्होंने कहा, “श्री बादल आपातकाल लागू करने का विरोध करने वाले पहले लोगों में से थे और हर दिन शिरोमणि अकाली दल का एक जत्था गिरफ्तारी देता था.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
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