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Sunday, 14 September, 2025
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मप्र में मौसम की मेहरबानी से ‘ड्यूरम’ गेहूं का उत्पादन छू सकता है 90 लाख टन का स्तर: आईएआरआई

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इंदौर, चार मार्च (भाषा) मध्यप्रदेश में मौजूदा रबी सत्र के दौरान अनुकूल मौसमी हालात के चलते ‘ड्यूरम’ गेहूं की पैदावार बढ़कर 90 लाख टन पर पहुंच सकती है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के इंदौर स्थित क्षेत्रीय केंद्र के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को यह अनुमान जाहिर किया।

‘ड्यूरम’ गेहूं का इस्तेमाल सूजी, दलिया, सेमोलिना और पास्ता तैयार करने में होता है। मध्यप्रदेश, देश में गेहूं की इस किस्म का सबसे बड़ा उत्पादक है।

आईएआरआई के क्षेत्रीय केंद्र के प्रमुख और प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जंग बहादुर सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मौजूदा रबी सत्र के दौरान राज्य में करीब 16 लाख हेक्टेयर में ‘ड्यूरम’ गेहूं बोया गया और इसकी पैदावार बढ़कर 90 लाख टन पर पहुंच सकती है।

सिंह ने बताया, ‘‘इस रबी सत्र में खासकर रात का तापमान कम रहने से ड्यूरम गेहूं की फसल को खासा फायदा हुआ। सही समय पर बुआई और बारिश का दौर गत अक्टूबर तक जारी रहने से भी इसकी फसल की पैदावार को बल मिला।’’

उन्होंने बताया कि पिछले रबी सत्र के दौरान राज्य में ‘ड्यूरम’ गेहूं का रकबा 15 लाख हेक्टेयर के आस-पास दर्ज किया गया था और इसकी पैदावार लगभग 80 लाख टन रही थी।

‘ड्यूरम’ गेहूं को आम बोलचाल में ‘मालवी’ या ‘कठिया’ गेहूं कहा जाता है और इस प्रजाति के गेहूं के दाने सामान्य किस्मों के गेहूं से कड़े होते हैं।

सिंह ने बताया, ‘‘पास्ता, सूजी, दलिया और सेमोलिना तैयार करने के लिए आदर्श माने जाने वाले ड्यूरम गेहूं की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बड़ी मांग है। इससे राज्य के किसान इसकी खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं।’’

उन्होंने बताया कि इंदौर, उज्जैन और धार जिलों की गिनती ‘ड्यूरम’ गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक इलाकों में होती है। सूबे का 50 प्रतिशत ‘ड्यूरम’ गेहूं इन्हीं तीन जिलों में उगाया जाता है।

भाषा हर्ष मनीषा ब्रजेन्द्र

ब्रजेन्द्र

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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