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Thursday, 28 March, 2024
होमदेश‘उड़ता हरियाणा’, पंजाब सीमा से सटे इलाके में नशे की लत ने युवाओं पर कसा शिकंजा, स्थिति गंभीर

‘उड़ता हरियाणा’, पंजाब सीमा से सटे इलाके में नशे की लत ने युवाओं पर कसा शिकंजा, स्थिति गंभीर

पिछले साल हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सिरसा के ओढ़न गांव में एक रैली में स्वीकार किया था कि सिरसा और फतेहाबाद जिलों में नशे के कारण 40 मौतें हुई हैं.

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चंडीगढ़: हरियाणा के सिरसा जिले में भाखड़ा नहर के किनारे लोगों की अच्छी-खासी भीड़ लगी थी. वो सभी हैरान थे. उनके सामने एक ऐसे युवक की लाश पड़ी थी, जिसकी उम्र मुश्किल से बीस साल के आस-पास होगी. वह अभी भी अपनी मोटरसाइकिल पर सवार था और उसके दाहिने हाथ पर एक सिरिंज चिपकी हुई थी.

यह साफ था कि खुद को इंजेक्शन लगाते हुए ही उस युवक की मौत हुई थी.

यह घटना पिछले साल 23 मई की है. लेकिन यह कोई पहला या आखिरी मामला नहीं था. सिरसा में नशीली दवाओं के चलते इससे पहले और बाद में कई मौतें हुईं है और यह उन्हीं में से एक थी. दरअसल जिले में महीने-दर-महीने कैसे एक मूक खतरा युवाओं के जीवन को लील रहा है ये उसकी एक भयावह तस्वीर है.

अकेले मई महीने में ही वहां सात लोगों ने नशे के कारण अपनी जान गंवाई थी. उसी महीने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सिरसा के ओढ़न गांव में एक रैली के दौरान स्वीकार किया था कि सिरसा और फतेहाबाद जिलों में इस साल अब तक 40 लोगों की मौत हुई है.

पिछले कुछ महीनों में स्थानीय मीडिया ने सिरसा के रानिया, पक्का शहीदान, दादू गांव और डबवाली जैसे इलाकों से नशीली दवाओं से होने वाली मौतों की रिपोर्ट की है.

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दिप्रिंट से बात करते हुए सिरसा पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने 2022 में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत 624 मामले दर्ज किए थे और 1,051 लोगों को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने इस दौरान 5.790 किलो हेरोइन, 40 किलो अफीम, 4,650 किलो पोस्त भूसी (पॉपी हस्क) और 64 किलो गांजा भी बरामद किया था.

इसकी तुलना में पुलिस ने 2021 में एनडीपीएस एक्ट के तहत 446 एफआईआर दर्ज की थी और 785 लोगों को गिरफ्तार किया था. उन्होंने इस दौरान 6.987 किलोग्राम हेरोइन, 56 किलोग्राम अफीम, 2,250 किलोग्राम पॉपी हस्क और 24 किलोग्राम गांजा बरामद किया था।

माता-पिता बेबस हैं. वो अपने बच्चों को इस खतरे का शिकार होते हुए देख रहे हैं. लेकिन अब सिरसा में पुलिस, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कलाकारों और सरकारी एजेंसियां एक साथ मिलकर आगे आई हैं. उन्होंने जागरूकता पैदा करने और युवाओं को नशे की लत से बचाने के लिए हाथ मिलाया है.

पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के ट्राइ-जंक्शन पर स्थित सिरसा लंबे समय से राज्य में ड्रग्स का केंद्र रहा है. एक दशक पहले तक यह जिले में अफीम और पॉपी हस्क की तस्करी के लिए कुख्यात था.

मादक पदार्थों के तस्कर इस जिले का इस्तेमाल राजस्थान और मध्य प्रदेश से पंजाब की ओर अफीम और पोस्त भूसे की तस्करी के लिए किया करते थे. हालांकि, पिछले कुछ सालों से ‘चिट्टा’ की लत क्षेत्र में चिंता का एक प्रमुख कारण बनी हुई है.

स्थानीय निवासियों का आरोप है कि अधिकांश बड़े तस्कर दिल्ली या पंजाब से ‘चिट्टा’ (हेरोइन का एक सामान्य नाम) लाते हैं और पेडलर्स को खेप की आपूर्ति करते हैं. और ये छोटे तस्कर सिर्फ एक फोन कॉल पर घर के दरवाजे तक नशीले पदार्थ पहुंचा देते हैं.

सरकारी सुविधाओं के अभाव में पिछले कुछ सालों में जिले में बड़ी संख्या में निजी नशामुक्ति केंद्र खुल गए हैं.

सिरसा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अर्पित जैन ने स्वीकार किया कि हरियाणा के इस हिस्से में स्थिति गंभीर है. उन्होंने बताया कि पुलिस ने इस समस्या को हल करने के लिए एक दोहरी रणनीति अपनाई है – तस्करों को पकड़ना और भविष्य में नशा करने वालों की मदद करना.

उन्होंने आगे कहा कि पिछले एक साल के दौरान जिला पुलिस ने लगभग 600 जागरूकता शिविर आयोजित किए हैं.


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‘बेटा बचाओ’

यह समस्या कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 30 साल के सुनील कबीरा ने पिछले साल नवंबर में हुए पंचायत चुनाव के दौरान अपनी पत्नी मीना का प्रचार करने के लिए नशे के खिलाफ अपनी चुनावी रणनीति बनाई थी. उन्होंने वोट बटोरने के लिए ‘बेटा बचाओ’ का नारा दिया और मीना चुनाव जीत गईं.

कबीरा ने द प्रिंट को बताया, ‘मैंने अपनी पत्नी के लिए अभियान के दौरान बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं की समस्या को एक बड़ा मुद्दा बनाया था. सरकार के 2014 के नारे ‘बेटी बचाओ’ से प्रेरित होकर मैं ‘बेटा बचाओ’ नारे के साथ आया. जिस तरह से हमारे युवा नशे के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं, यह सही समय है कि लड़कों को बचाने के लिए एक अभियान शुरू किया जाए.’

इधर कुछ एनजीओ और सरकारी एजेंसियां भी सिरसा और इसके आसपास के इलाकों में नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए गंभीर प्रयास करती नजर आ रही हैं.

तरुण भट्टी हरियाणा में ‘मानव अधिकार परिषद’ नामक एक एनजीओ चलाते हैं. उन्होंने पुलिस और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से कबीरा के ‘बेटा बचाओ’ नारे के नाम से ही एक अभियान चलाया हुआ हैं.

भट्टी ने दिप्रिंट को बताया, ‘पिछले तीन सालों में हमने 13 लोगों को पूरी तरह से नशे से मुक्त करने में सफलता पाई है. आपको यह आंकड़ा मामूली लग सकता है, लेकिन हम जानते हैं कि एक ऐसे व्यक्ति को बचाना कितना मुश्किल है, जो पहले से ही चिट्टा जैसे नशे का आदी है.

सिरसा में डबवाली के एक थिएटर कलाकार संजीव शाद सामाजिक मुद्दों पर लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए अपनी कला का इस्तेमाल कर रहे हैं. वह नाटकों के जरिए नशे के दुष्परिणामों से लोगों को आगाह करने में जुटे हुए हैं.

जिले में नशे की स्थिति वास्तव में गंभीर है. लेकिन शाद का मानना है कि हाथ पर हाथ रखकर बैठने का कोई फायदा नहीं है. उन्होंने कहा, ‘तथ्य यह है कि युवाओं में नशीले पदार्थों की लत लगी हुई है और हर कोई इस बात से वाकिफ है. मैं हमेशा सोचता हूं कि इस समस्या को दूर करने के लिए मैं क्या कर सकता हूं.’


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‘बहुआयामी दृष्टिकोण की जरूरत’

मनोविज्ञान पढ़ाने वाले कॉलेज के प्राचार्य डॉ रविंदर पुरी ने कहा कि इस स्थिति से निपटने के लिए एक बहु-आयामी दृष्टिकोण की जरूरत है. ‘नशीले पदार्थों की चपेट में आने वाले लोगों को इलाज के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक सहायता की भी जरूरत होती है. और जो लोग नशे के शिकार होने की कगार पर हैं, उन्हें पहले से ही इसके प्रति आगाह और शिक्षित करना होगा.’

उन्होंने कहा कि समुदाय नशा करने वालों को काउंसलिंग और इलाज मुहैया करने के अलावा उनकी मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. इस धंधे में लिप्त लोगों को पकड़ने के लिए पुलिस के साथ सहयोग करना होगा.

जैन ने दिप्रिंट से कहा, ‘हम हर हफ्ते, कम से कम दो जागरूकता शिविर लगाते हैं और इसके लिए गैर सरकारी संगठनों से भी मदद लेते हैं. इन जागरूकता शिविरों में नुक्कड़ नाटकों और फिल्मों के जरिए नशीली दवाओं के दुष्प्रभावों के बारे में संदेश फैलाया जाता है. हम पूरा प्रयास करते हैं कि महिलाएं इन आयोजनों में अच्छी संख्या में भाग लें. क्योंकि एक मां अपने बच्चों को नशे की ओर जाने से रोकने में सकारात्मक भूमिका निभा सकती है.’

एसपी ने आगे कहा कि जिला पुलिस ने गांवों में युवा और सक्रिय लड़के-लड़कियों को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया है. उन्होंने भारत की महिला हॉकी गोलकीपर सविता पुनिया को भी अपने जागरूकता अभियानों के लिए जोड़ा था. वह  इसी जिले की रहने वाली हैं.

राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने भी सितंबर के अंतिम सप्ताह में सिरसा के ऐलनाबाद में एक कार्यक्रम आयोजित किया था. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, श्रीकांत जाधव ने युवाओं को शपथ दिलाई कि वे अपने जीवन में किसी भी तरह के नशीले पदार्थों या अन्य नशीले पदार्थों का इस्तेमाल नहीं करेंगे. युवाओं को खेलों से जुड़ने के लिए प्रेरित करने के लिए दंगल का भी आयोजन किया गया. मैच में अन्य जिलों व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के पहलवानों ने भाग लिया.

जिला प्रशासन ने मंदिरों और गुरुद्वारों को भी नशीले पदार्थों के खिलाफ अपने साथ जोड़ लिया है. इन जगहों पर ऑडियो चलाकर युवाओं को नशे से दूर रहने की सलाह दी जा रही है.

(अनुवाद: संघप्रिया मौर्या | संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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