पुडुचेरी: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने केंद्र शासित प्रदेश में सत्तारूढ़ एआईएनआरसी के नेतृत्व वाले गठबंधन के विधायकों से समर्थन लेने के लिए शनिवार को पुडुचेरी का दौरा किया.
उन्होंने पुडुचेरी के मुख्यमंत्री एन रंगासामी से मुलाकात की और राष्ट्रपति चुनाव में अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन मांगा.
शुक्रवार को भाजपा की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने घोषणा की कि वह राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेगी.
भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने 21 जून को द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया था.
पिछले महीने, मुर्मू ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित वरिष्ठ विपक्षी नेताओं से उनका समर्थन मांगा था.
मुर्मू को बीजू जनता दल के साथ-साथ वाईएसआर कांग्रेस का भी समर्थन मिला है.
मुर्मू की उम्मीदवारी पर आम सहमति बनाने के प्रयास में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कुछ विपक्षी दलों के नेताओं से भी संपर्क किया था. उन्होंने कांग्रेस नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे अधीर रंजन चौधरी, नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला और पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस नेता एचडी देवेगौड़ा से बात की.
भारत के राष्ट्रपति के लिए चुनाव 18 जुलाई को होंगे और नतीजे 21 जुलाई को आएंगे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त होगा.
द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से किसी प्रमुख राजनीतिक दल या गठबंधन की पहली राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं. उन्होंने 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल के रूप में कार्य किया.
ओडिशा के पिछड़े जिले मयूरभंज के एक गांव में एक गरीब आदिवासी परिवार में जन्मी द्रौपदी मुर्मू ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद अपनी पढ़ाई पूरी की. उन्होंने श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर, रायरंगपुर में पढ़ाया. 20 जून, 1958 को जन्मी, उन्होंने रमादेवी महिला कॉलेज भुवनेश्वर में बीए किया.
उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत रायरंगपुर एनएसी के उपाध्यक्ष के रूप में की थी. द्रौपदी मुर्मू 2000 और 2004 के बीच रायरंगपुर से ओडिशा विधानसभा की सदस्य थीं.
एक मंत्री के रूप में, उन्होंने परिवहन और वाणिज्य, पशुपालन और मत्स्य पालन विभागों का कार्यभार संभाला. उन्होंने 2004 से 2009 तक ओडिशा विधानसभा में फिर से विधायक के रूप में कार्य किया.
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