चंडीगढ़, 29 सितंबर (भाषा) भारतीय सेना की पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कटियार ने सोमवार को कहा कि पूर्व के मुकाबले अब शत्रु को कहीं अधिक कड़ा दंड दिया जाएगा, क्योंकि सेना ने एक अभ्यास के दौरान एकीकृत तरीके से ड्रोन, ड्रोन रोधी प्रणाली और मानव रहित हथियारों के उपयोग का प्रदर्शन किया है।
कटियार ने हरियाणा के अंबाला जिले में नारायणगढ़ फील्ड फायरिंग रेंज में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन का काफी इस्तेमाल किया गया था और उससे सीख लेते हुए हमने अपने ड्रोन युद्ध प्रशिक्षण को मजबूत किया है… इस बार दुश्मन को दी जाने वाली सजा पहले से कहीं अधिक कड़ी होगी।’’
एक पखवाड़े पहले लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय की हीरक जयंती समारोह के अवसर पर पश्चिमी कमान मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए कहा था कि यदि पाकिस्तान या उसके द्वारा समर्थित आतंकवादी संगठन फिर से कोई आतंकवादी हमला करते हैं, तो ‘‘इस बार हमारा जवाब पहले से भी अधिक कठोर होगा।’’
पश्चिमी और दक्षिण पश्चिमी कमानों ने 25 सितंबर से ‘वायु समन्वय’ नामक संयुक्त अभ्यास किया – जो दो प्रमुख ऑपरेशन ‘थियेटर’ में निर्बाध तालमेल को प्रदर्शित करता है।
इस अभ्यास में ड्रोन, ड्रोन रोधी प्रणाली और मानव रहित हथियारों को वास्तविक परिस्थितियों में एकीकृत किया गया, जिससे भविष्य के युद्ध के लिए सेना की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और रणनीतियों को मान्यता मिली।
इसमें युद्धक्षेत्र में अनुकूलन, नवाचार और गति से संचालन करने की भारतीय सेना की क्षमता को रेखांकित किया गया, साथ ही प्रशिक्षण, तकनीकी नवाचार और राष्ट्र की सीमाओं की सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के उच्च मानकों की पुष्टि हुई।
इस युद्धाभ्यास के दौरान विभिन्न प्रकार के स्वदेशी ड्रोन की क्षमता का प्रदर्शन किया गया।
भविष्य के युद्ध में ड्रोन की चुनौती को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कटियार ने कहा, ‘‘हम पूरी तरह तैयार हैं। ऑपरेशन सिंदूर में भी पाकिस्तान ने खूब ड्रोन का इस्तेमाल किया था और उनके अधिकांश ड्रोन हमने नष्ट कर दिए थे।’’
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का लगातार उन्नयन होता है, हम भी अपनी तकनीक विकसित कर रहे हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि अगले युद्ध में पाकिस्तान की ओर से जो भी ड्रोन आएंगे, हम उन्हें अपने ड्रोन रोधी और एडी गन (वायु रक्षा प्रणाली) से नष्ट करने में सक्षम होंगे। इस मौके पर उनके साथ अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ‘‘आपने इस फायरिंग रेंज में देखा कि हम अपने अभियानों में ड्रोन का किस तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। आपने इन ड्रोनों की क्षमता देखी। अभ्यास के तहत पांच किलोमीटर की रेंज और पांच किलोग्राम आयुद्ध क्षमता वाले सामरिक ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है।’’
पश्चिमी कमान प्रमुख ने कहा कि भारतीय सेना ने उच्च क्षमता वाले ड्रोन भी हासिल किए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आज का अभ्यास मुख्य रूप से उन ड्रोन के साथ था, जिन्हें हम स्वयं बना रहे हैं…और स्थानीय उद्योग जो हमें आपूर्ति कर रहे हैं या उन्हें बनाने में मदद कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि अगले युद्ध में ड्रोन की संख्या काफी अधिक होगी, हमें कई हजार ड्रोन की आवश्यकता होगी।
लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने कहा कि इसका उद्देश्य यह है कि स्थानीय उद्योग की मदद से हम इन ड्रोनों का निर्माण स्वयं कर सकें।
उन्होंने कहा,‘‘हमने यहां (अभ्यास के दौरान) अपने ड्रोन-रोधी उपकरण भी तैनात किए हैं, जिनमें से अधिकांश हमारे पास सेवा में हैं तथा और अधिक ड्रोन-रोधी उपकरण बनाए जा रहे हैं।’’
सैन्य अधिकारी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में, ‘‘हमने इस ड्रोन रोधी उपकरण का इस्तेमाल किया और जैसा कि आप जानते हैं कि पाकिस्तान से जो ड्रोन आए थे, लगभग सभी ड्रोन को हमने अपने ड्रोन रोधी उपकरण और अपनी वायु रक्षा के साथ नष्ट कर दिया।’’
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि ड्रोन का उपयोग प्रत्येक सैन्य बल और सेवा (बख्तरबंद कोर, पैदल सेना…) द्वारा किया जाएगा तथा सामग्री की आपूर्ति में भी इसका उपयोग किया जाएगा।
भाषा धीरज अविनाश
अविनाश
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