पुणे: प्रख्यात शोधकर्ता एवं श्रमिक मुक्ति दल की सह-संस्थापक डॉ गेल ऑम्वेट (81) का लंबी बीमारी के बाद बुधवार को महाराष्ट्र के सांगली जिले के कासेगांव गांव में निधन हो गया. पारिवारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी.
अमेरिका में बतौर विद्यार्थी, डॉ ऑम्वेट ने युद्ध विरोधी प्रदर्शनों समेत कई आंदोलनों में हिस्सा लिया. अमेरिका में अपनी स्नातकोत्तर पढ़ाई पूरी करने के बाद वह भारत लौट आईं और उन्होंने विभिन्न सामाजिक आंदलनों पर तथा महात्मा फूले के कार्यों पर अपना अध्ययन शुरू किया.
अपने डॉक्टरेट शोध (पीएचडी) के दौरान, उन्होंने ‘पश्चिमी भारत में गैर-ब्राह्मण आंदोलन’ पर अपनी थीसिस लिखी और दलितों, महिलाओं और अन्य वंचित वर्गों के लिए काम करना शुरू कर दिया.
डॉ ऑम्वेट ने अपने कार्यकर्ता पति डॉ भरत पाटनकर के साथ श्रमिक मुक्ति दल की सह-स्थापना की और 1983 में भारतीय नागरिक बन गईं.
कार्यकर्ता-शोधकर्ता ने 25 से अधिक पुस्तकें लिखीं जिनमें ‘औपनिवेशिक समाज में सांस्कृतिक विद्रोह- पश्चिमी भारत में गैर-ब्राह्मण आंदोलन’, ‘सीकिंग बेगमपुरा’, ‘भारत में बौद्ध धर्म’, ‘डॉ बाबासाहेब आंबेडकर’ आदि शामिल हैं.
डॉ ऑम्वेट के निधन पर शोक प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि भारत में विभिन्न सामाजिक आंदोलनों, संत साहित्य, लोक परंपराओं में उनका योगदान और महिला अधिकारों पर उनके कार्य हमेशा याद किए जाएंगे.
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