कोलकाता, सात मार्च (भाषा) पश्चिम बंगाल में रंगों का त्योहार ‘डोल जात्रा (डोल यात्रा)’ पारंपरिक हर्षोल्लास से मनाया गया और विभिन्न समुदायों के लोगों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाया एवं बधाई दी।
कोलकाता और राज्य के अन्य जिलों में बड़े उत्साह से होली मनायी गयी तथा बच्चों ने एक-दूसरे पर पिचकारी से रंग चलाये एवं रंगीन पानी से भरे गुब्बारे फेंके।
राज्य में राधाकृष्ण मंदिरों में विशेष प्रार्थनाएं की गयीं । नादिया जिले के मायापुर में इस्कॉन मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगी थी।
डोल जतरा में शामिल होने के लिए आये आलम शेख ने कहा, ‘‘ बंगाल सांस्कृतिक केंद्र है और सभी धर्म यहां सद्भाव के साथ फलते-फूलते हैं। मैं हर साल अपने मित्रों के साथ होली मनाता हूं।’’
हालांकि दसवीं और बारहवीं के कई विद्यार्थी बोर्ड परीक्षाओं के चलते होली का आनंद नहीं ले पाये।
कुछ गैर सरकारी संगठनों ने दिव्यांग बच्चों एवं बुजुर्गों को इस त्योहार की खुशी में शामिल करने के लिए विशेष प्रयास किये।
भाषा राजकुमार माधव
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