नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस के मौके पर जिन लोगों को प्रतिष्ठित पद्म सम्मान दिए जाने की घोषणा की गई है, उनमें पांच दशकों से वंचित लोगों का इलाज कर रहे एक डॉक्टर, सांप पकड़ने वाले दो विशेषज्ञ और एक महिला शामिल हैं जिन्होंने पूरी श्रीमद्भगवद्गीता को संस्कृत में रेशम के एक कपड़े पर बुन दिया है.
अधिकारियों ने बताया कि पुरस्कार पाने वालों में से कई गुमनाम नायक भी हैं जो चुपचाप समाज और लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं और जिन्हें नरेंद्र मोदी सरकार 2014 में सत्ता में आने के बाद से सम्मानित कर रही है.
इस साल 106 गणमान्य लोगों को पद्म सम्मान के लिए चुना गया है. इनमें छह लोगों को पद्म विभूषण, नौ लोगों को पद्म भूषण और 91 लोगों को पद्म श्री सम्मान के लिए चुना गया है. यह सम्मान पाने वाले लोगों में एक कृषि वैज्ञानिक भी शामिल हैं. इसके अलावा अंडमान- निकोबार द्वीप समूह के एक डॉक्टर को भी सम्मान के लिए चुना गया है जिन्होंने जारवा जनजाति को विलुप्त होने से बचाया. वहीं भारत के पसंदीदा पेय रसना के निर्माता को भी प्रतिष्ठित सम्मान के लिए चुना गया है.
मशहूर कन्नड़ लेखक एस एल भैरप्पा को पद्म भूषण के लिए चुना गया है. उनकी रचनाओं का 14 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया है. 18 भाषाओं में 20,000 से अधिक गीतों का अपना स्वर देने वाली मशहूर गायिका वाणी जयराम के साथ ही तेलंगाना के वैदिक विद्वान और आध्यात्मिक नेता स्वामी चिन्न जीयर और दिल्ली के प्रोफेसर कपिल कपूर को भी पद्म भूषण के लिए चुना गया है.
लड़कियों को वैदिक शिक्षा प्रदान करने वाले आर्य समाज आध्यात्मिक नेता सुकमा आचार्य; सेवानिवृत्त सेना चिकित्सक और पिछले 50 वर्षों से जबलपुर में वंचित लोगों का इलाज कर रहे मुनीश्वर चंदावर; सांप पकड़ने वाले दो विशेषज्ञ- वदिवेल गोपाल और मासी सदाइयां को पद्म श्री के लिए चुना गया है.
रेशम के कपड़े पर संस्कृत में भगवद गीता की बुनाई के लिए मशहूर असम की हेमप्रभा चुटिया; बिहार की 87 वर्षीय कलाकार सुभद्रा देवी और कर्नाटक के खादर वल्ली दुदेकुला को भी पद्म श्री के लिए चुना गया है. दुदेकुला को पांच प्रकार के बाजरा को बचाने का श्रेय है जो गायब हो रहे थे.
गुजरात के अरीज खंबाटा (मरणोपरांत) ने पसंदीदा पेय रसना का उत्पादन शुरु किया था वहीं हेम चंद्र गोस्वामी मुखौटा बनाने की असम की सदियों पुरानी संस्कृति को संरक्षित कर रहे हैं. उन्हें भी पद्म श्री के लिए चुना गया है.
राधा चरण गुप्ता उत्तर प्रदेश के 87 वर्षीय वयोवृद्ध गणित हैं और उन्हें भारत में गणित के इतिहास पर शोध का श्रेय है. उनके साथ ही अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन की ग़ज़ल गायक जोड़ी; उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में पीतल नक्काशी के विशेषज्ञ शिल्पकार दिलशाद हुसैन और त्रिपुरा के सामाजिक कार्यकर्ता बिक्रम बहादुर जमातिया को भी पद्म श्री के लिए चुना गया है.
वंचित बच्चों को मुफ्त कोचिंग प्रदान करने वाले बिहार के आनंद कुमार को भी इस सम्मान के लिए चुना गया है.
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