नई दिल्ली: अगर कोई आपसे कहे कि वो आपके बच्चे की डीएनए जांच करके, भविष्य में उसके करियर को बढ़ावा दे सकते हैं, तो आपको कैसा लगेगा? ये अजीब सा लग सकता है, लेकिन एक नई एडटेक स्टार्ट-अप, जेनलीप, बिल्कुल यही करने का दावा कर रही है, जिसके लिए वो साइकोमेट्रिक जांच और ज्योतिष ‘विज्ञान’ से थोड़ी सहायता लेती है.
एक्सपर्ट्स ने स्टार्ट-अप के दावों को ‘अवैज्ञानिक’ बताते हुए, उन विनाशकारी प्रभावों की तरफ ध्यान खींचा है, जो इस अभ्यास से बच्चों पर पड़ सकते हैं. उनका कहना है कि बहुत सी चीज़ें तय करने में जिनेटिक्स की एक बड़ी भूमिका होती है, लेकिन वो हमें ‘निश्चित रूप से ये नहीं बता सकती, कि आगे चलकर हमारा जीवन कैसा रहेगा.’
फिर भी, जेनलीप, जो अपने आपको दुनिया की पहली डीएनए-आधारित स्वयं की खोज, नए कौशल सीखने और रोज़गार क्षमता का मंच बताती है, दावा करती है कि उसका काम ‘वैज्ञानिक साक्ष्यों और शोध’ पर आधारित है.
मंगलवार को कंपनी ने कहा कि वो अपने आरंभिक राउण्ड में पहले ही प्रमुख निवेशकों से 60 करोड़ रुपए जुटा चुकी है.
दिप्रिंट से बात करते हुए, जेनलीप के सह-संस्थापक और सीईओ निमीश गुप्ता ने कहा, कि प्लेटफॉर्म का उद्देश्य न केवल बच्चों के करियर विकल्पों का पूर्वानुमान लगाना है, बल्कि वयस्कों की करियर की तरक़्क़ी में भी सहायता करना है.
गुप्ता ने आगे कहा, ‘जिनोमिक्स किसी व्यक्ति की अंदरूनी शक्ति बताएगी कि वो क्या करने में सक्षम हैं, साइकोमेट्रिक विश्लेषण उनकी मानसिक अवस्था बताएगा, और ज्ञानात्मक खगोल विज्ञान से तारकीय गणना के ज़रिए, किसी बच्चे या वयस्क के सही करियर विकल्पों का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है.’
यह भी पढ़े: US-स्थित सॉफ्टवेयर उद्यमी अनंत यार्डी ने अपनी मातृ संस्था IIT दिल्ली को दान किए 1 करोड़ डॉलर
10,000 रुपए में करियर की सफलता का मूल्यांकन
प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण कराने के बाद, यूज़र्स का तीन तरह से मूल्यांकन किया जाएगा. पहले, डीएनए निकालने के लिए लार का नमूना लिया जाएगा. इसके बाद साइकोमेट्रिक जांच और ज्योतिषीय गणना की जाएगी, जो व्यक्ति के जन्म की तिथि और समय पर आधारित होगी. इन तीन डेटा बिंदुओं के आधार पर, प्लेटफॉर्म बच्चे या वयस्क के लिए 10 करियर विकल्प सुझाएगा.
गुप्ता ने कहा, ‘विचार ये है कि सबसे प्रभावी तरीक़े से किसी व्यक्ति की योग्यता, रूचि, और सामर्थ्य की पहचान की जाए. ज़्यादातर समय लोग अपने करियर विकल्पों को लेकर अस्पष्ट रहते हैं, और ग़लत पेशे में पहुंच जाते हैं, जो अक्सर दोस्तों या परिवार के दवाब के कारण होता है. इस प्लेटफॉर्म से हम किसी इंसान के व्यक्तित्व का, 360- डिग्री मूल्यांकन करने की उम्मीद करते हैं.’
गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया कि जेनलीप को जनवरी 2022 में पब्लिक के लिए लॉन्च किया जाएगा और उपभोक्ताओं के लिए प्रोग्राम की शुरुआती क़ीमत 10,000 रुपए होगी.
स्टार्ट-अप की ओर से जारी एक बयान में दावा किया गया कि कुछ प्रमुख शिक्षण संस्थान जेनलीप का उपयोग करने की उम्मीद कर रहे हैं.
यह भी पढ़े: ट्रांसजेंडर मैनुअल को फिर से बहाल करवाना चाहती है ये मां, ऑनलाइन मिला 5600 लोगों का समर्थन
एक्सपर्ट्स ने उठाए दावों की पुष्टि पर सवाल
जिनॉमिक्स और मनोविज्ञान क्षेत्रों के विशेषज्ञ, स्टार्ट-अप के दावों को लेकर बहुत संशय में हैं और उनका सुझाव है कि साइन अप करने से पहले, लोगों को उचित एहतियात बरतनी चाहिए.
आंध्र प्रदेश स्थित क्रिया यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान की सहायक प्रोफेसर अनुस्निग्धा ने दिप्रिंट को बताया, ‘बहुत सारे साइकोमेट्रिक टेस्ट एक समूह के अंदर, सांख्यिकीय मार्कर के तौर पर इस्तेमाल किए जा सकते हैं, लेकिन ये भविष्य की संभावनाओं के पूर्वानुमान का एक अच्छा आधार नहीं हैं.’
‘सही से इस्तेमाल किया जाए, तो साइकोमेट्रिक्स सहायक साबित हो सकती है. लेकिन इस तरह के व्यापक इस्तेमाल के साथ, कंपनी जो दावे कर रही है वो अवैज्ञानिक हैं. बच्चों पर इनके प्रभाव विनाशकारी साबित हो सकते हैं, जो उनकी उम्र पर निर्भर करता है.’
उनके अनुसार, जिस तरह से कंपनी ने अपनी क्षमताओं का बयान किया है- जो जेनलीप पैकेज का हिस्सा हैं, उससे ज्योतिष की लापरवाही से की गईं सामान्य भविष्यवाणियां दिमाग़ में आती हैं. यहां पर ये उल्लेख करना ज़रूरी है, कि व्यापक रूप से माने जाने के बावजूद, वैज्ञानिक समुदाय ज्योतिष को आमतौर से छद्म विज्ञान समझते हैं.
डीएनए जांच के बारे में अनुस्निग्धा ने कहा कि जिनेटिक निर्धारण- ये विचार कि पर्यावरण और सांस्कृतिक कारकों से आगे, जीन्स ही हमारी तक़दीर तय करते हैं- सुजन विज्ञान की याद ताज़ा करता है, और स्वाभाविक रूप से नस्लवादी है.
एक अग्रणी सरकारी संस्थान के जिनेटिक्स रिसर्चर ने, नाम न बताने की शर्त पर कहा, कि जिनेटिक्स के आधार पर भविष्यवाणियों का वैज्ञानिक आधार सीमित होता है. जिनोम, जो हमारे जिनेटिक मटीरियल का कुल जोड़ होता है, हर चीज़ में भूमिका रखता है- हमारे शारीरिक दिखावे से लेकर व्यवहार के लक्षण, और उन बीमारियों तक जो हमें हो जाती हैं, लेकिन वो हमें निश्चित रूप से ये नहीं बता सकता, कि आगे चलकर हमारा जीवन कैसा रहेगा.
रिसर्चर ने समझाया कि ‘आनुवांशिकता’ एक ऐसा मानदंड है, जिससे पता चलता है कि जीन्स के अंतर, हमारी विशेषताओं में किस तरह भेद पैदा करते हैं. रिसर्चर ने कहा, ‘ज़्यादातर विशेषताओं में कम ‘आनुवांशिकता’ होती है, और यही कारण है कि जीन्स विश्वसनीय ढंग से हमारे पूर्वाभासों और कार्यों की भविष्यवाणी नहीं कर सकते’.
एक्सपर्ट्स की आशंकाओं के बारे में पूछे जाने पर, जेनलीप के सह-संस्थापक निमीश गुप्ता ने ज़ोर देकर कहा, कि कंपनी के दावे ‘वैज्ञानिक साक्ष्य और शोध’ पर आधारित हैं.
‘किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व, व्यवहार, और रुझानों के पार-सत्यापन के लिए, हम तीन विज्ञानों का सहारा लेते हैं. जिनॉमिक्स जन्मजात विशेषताएं बताता है, साइकोमेट्रिक्स से अर्जित शक्तियों का पता चलता है, और खगोल विद्या जन्म शक्तियां बताती है. हम जो काम कर रहे हैं उसके समर्थन में पर्याप्त वैज्ञानिक सबूत और शोध हैं, और ये एक उभरता हुआ क्षेत्र है’.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
यह भी पढ़े: कैसे भारतीय किशोरी नासा की ‘पैनलिस्ट’ बनी और फिर बाहर कर दी गई