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Thursday, 21 November, 2024
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कोरोनावायरस के बावजूद अयोध्या में लाखों लोग जुटेंगे क्योंकि इस बार की ‘राम नवमी कुछ अलग है’

इस समारोह का नेतृत्व राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट करेगा, जो विश्व हिंदू परिषद के साथ मंदिर निर्माण की देखरेख कर रहा है और इस अवसर का जश्न मनाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बना रहा है.

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार कोरोनावायरस महामारी के बावजूद अयोध्या में राम नवमी मेले का आयोजन कर रही है. सरकार विशेषज्ञों की सलाह को तरजीह ने देकर परंपरा को चुन रही है. देशभर के लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करने वाला मेला 25 मार्च से 2 अप्रैल तक आयोजित किया जाएगा.

जबकि अयोध्या के मुख्य मेडिकल अधिकारी ज्यादा लोगों के एक जगह इकट्ठा होने पर अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं लेकिन प्रशासन ने उसे अलग कर दिया है. आदित्यनाथ प्रशासन ने लोगों के एक जगह जमा होने जिसमें होली भी शामिल थी, सलाह जारी की थी. बीसीसीआई ने इस महीने लखनऊ और कोलकाता में होने वाले भारत-दक्षिण अफ्रीका एकदिवसीय मैचों को बंद करने का भी आह्वान किया था.

इस वर्ष होने वाला मेला इसलिए महत्व रखता है क्योंकि दशकों से हिंदू और मुस्लिमों के बीच चल रही अदालती लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद यह पहली बार हो रहा है.

मेले की शुरुआत एक समारोह से होगी, जहां उनके सम्मान में एक मंदिर के निर्माण की तैयारियों के बीच, शासन करने वाले देवता, शिशु राम या रामलला की मूर्ति को उनके विशाल तम्बू से बड़े पैमाने पर फाइबर ग्लास संरचना में स्थानांतरित कर दिया जाएगा.

इस समारोह का नेतृत्व राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट करेगा, जो विश्व हिंदू परिषद के साथ मंदिर निर्माण की देखरेख कर रहा है और इस अवसर का जश्न मनाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बना रहा है.

वीएचपी ने कार्यक्रम के लिए बड़े पैमाने पर लोगों के जुटने को धता बताया है लेकिन वे 2.75 लाख गांवों में राम की मूर्तियों या फोटो लगाने की अपनी योजना के साथ आगे बढ़ेंगे और नवंबर 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की याद में पूजा करेंगे.

राम के लिए बड़ा आयोजन

25 मार्च को, चैत्र के पहले दिन (हिंदू कैलेंडर का पहला महीना) नवरात्रि, राम की मूर्ति बुलेट-प्रूफ और वाटर-प्रूफ फाइबर ग्लास संरचना के अंदर स्थापित की जाएगी, जिसकी लंबाई 21 फीट और चौड़ाई 15 फीट होगी.

इसे रविवार को अयोध्या लाया गया था. चूंकि मूर्ति को वहां रखा गया है, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उसी दिन पहली आरती करेंगे.


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हजारों वर्षों से अयोध्या में आयोजित होने वाला राम नवमी मेला उसी दिन होगा.

इस दौरान मंदिरों में प्रार्थना करने के लिए लाखों भक्त अयोध्या में जुटते हैं. राम नवमी की रात को, राम के जन्म को धूमधाम से मनाया जाएगा. भक्त सरयू में डुबकी लगाते हैं और आरती और पूजा करते हैं.

वीएसपी के अध्यक्ष आलोक कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि कार्यक्रम को रद्द करने का कोई विकल्प नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘भगवान राम के तंबू से चबूतरा तक जाने की अवधि बहुत लंबी है. 24-25 मार्च को शुभ मुहूर्त है और इस आयोजन को स्थगित नहीं किया जा सकता है.’

‘ट्रस्ट ने पहली बैठक में (जिसमें वीएचपी के सदस्य भी शामिल थे) इस कार्यक्रम के बारे में फैसला लिया था….भगवान राम पिछले 28 सालों से तंबू में रह रहे हैं…मंदिर निर्माण से पहले, शुभ मुहूर्त में यह कार्यक्रम होगा.’

वीएचपी द्वारा राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना के बारे में बताते हुए कुमार ने कहा, ‘हमने 25 मार्च से भव्य राम महोत्सव की योजना बनाई है जो 8 अप्रैल को होने वाली हनुमान जयंती तक चलेगी.’

‘2.75 लाख गांवों में, राम की मूर्ति या तस्वीर स्थापित की जाएगी और पूजा की जाएगी, लेकिन कोरोनावायरस के खतरे के कारण, हमने सलाह दी है कि इस अवधि में बड़े सामूहिक कार्यक्रमों से बचा जाए.’

सीएमओ ने जताई चिंता

अयोध्या के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी घनश्याम सिंह इस मेले को लेकर अपनी चिंता जताते रहे हैं और उनका कहना है कि लाखों भक्तों की स्क्रीनिंग करना और संक्रमण से बचाना नामुमकिन होगा.

सोमवार को सीएमओ ने मुख्यमंत्री को हिदायत का हवाला दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि लोग बड़े जमावड़े न करें क्योंकि ‘उनके पांच लाख लोगों की स्क्रीनिंग करने और उन्हें मास्क देने की क्षमता नहीं है.’ उनका कहना था, ‘मैंने ज़िला प्रशासन को कहा है कि इस बार राम नवमी मेले को रद्द किया जाये.’

सीएमओ के सुझाव को अयोध्या के ज़िला न्यायाधीष अनुज कुमार झा, जोकि मंदिर निर्माण समिति के सदस्य भी हैं ने अस्वीकार कर दिया. झा का कहना था कि ‘ये हमारी परंपरा है और हम सभी सावधानी बरतेंगे पर राम नवमी के मेले को रद्द करने की कोई योजना नहीं है. ज़िला प्रशासन पिछले एक महीने से इसकी तैयारी कर रही है.’

अयोध्या ज़िले के वीएचपी प्रमुख शरद शर्मा ने दिप्रिंट को बताया कि राम नवमी का भक्तों के लिए बहुत महत्व है. हर साल ये आयोजव होता है और ‘ये हमारी आस्था का हिस्सा है. इस साल राम नवमी पर और अधिक संख्या में लोग सरयू नदी में डुबकी लगायेंगे. राम महोत्सव को रद्द करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता.’

भाजपा के स्थानीय विधायक और नेता, वेद प्रकाश गुप्ता का कहना था, ‘ये ज़िला प्रशासन की ड्यटी है कि वो मास्क वितरित करें ताकि भक्तजन सुरक्षित रहें. पर राम नवमी उत्सव रद्द करना हमारी परंपरा और आस्था के खिलाफ है.’

देश भर के मंदिरों में श्रद्धालुओं को न इकट्ठा होने की हिदायत

देश के दूसरे भागो में कोरोनावायरस के मद्देनज़र मंदिरों ने रविवार को कई कदम भी उठाएं हैं और भक्तों के लिए एडवाइज़री भी जारी की है ताकि वे सुरक्षित रहे.

शिरडी साई मंदिर के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी ने रविवार को सभी श्रद्धालुओं से घर में रहने की अपील की, वहीं बात वैश्नो देवी श्राइन बोर्ड ने भी कही. उन्होंने खास तौर पर अप्रवासी भारतीयों से 26 दिनों तक माता के दर्शन करने न आने की अपील की.


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सोमवार को मुम्बई के प्रसिद्ध सिद्धीविनायक मंदिर के ट्रस्ट ने कोरोनावायरस संक्रमण को देखते हुए मंदिर को बंद करने का फैसला लिया.

भारत के गृह मंत्रालय ने करतारपुर कॉरिडोर को बंद कर दिया था, वहीं स्वामीनारायण मंदिर ने भी दुनिया भर में सभी बड़े आयोजन रद्द कर दिये हैं. दतिया के पीतांबरी पीठ ने भी भक्तों के बड़े जमावड़े पर रोक लगा दी है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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