नई दिल्ली: 12 सदस्यों का निलंबन रद्द करने की मांग पर अड़े विपक्षी सदस्यों के व्यवधान की वजह से सोमवार को राज्यसभा की बैठक एक बार के स्थगन के बाद 12 बजकर करीब पांच मिनट पर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी.
हंगामे की वजह से सदन में शून्यकाल और प्रश्नकाल दोनों नहीं हो पाए.
एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा. हंगामे के बीच उपसभापति हरिवंश ने प्रश्नकाल शुरू करने का प्रयास किया.
इसी दौरान सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि निलंबित सदस्यों के मुद्दे पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल सरकार पर गलत आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सदन में गलत बातें बतायी गयीं और सरकार से जवाब मांगा गया, ऐसे में सरकार की ओर से स्पष्टीकरण जरूरी है.
गोयल ने कहा, ‘हमने लगातार कोशिश की और विपक्षी दलों से अलग अलग चर्चा करने का प्रयास किया. लेकिन सदन के बाहर से जिस प्रकार के बयान आ रहे हैं, वे सही नहीं हैं… हम माफी नहीं मांग सकते, हमने कोई गलती नहीं की.’
उन्होंने कहा कि आज आसन पर आरोप लगाया गया और विपक्षी सदस्य जिस तरह का व्यवहार कर रहे हैं, उससे लगता है कि उनके मन में कोई पश्चाताप और संवेदना नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी सदस्यों ने आसन, कर्मचारियों, सदन, मार्शल और देश का अपमान किया है. लेकिन उन्हें इसका कोई पश्चाताप नहीं है.
उपसभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत रहने और प्रश्नकाल चलने देने की अपील बार-बार की. लेकिन अपनी अपील का कोई असर नहीं होते देख उन्होंने बैठक शुरू होने के पांच मिनट के अंदर ही कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
इससे पहले सुबह बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए. इसके बाद उन्होंने जैसे ही शून्यकाल शुरू कराया, कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में कथित अशोभनीय आचरण के लिए शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए गए बारह सांसदों का निलंबन रद्द करने की मांग की.
सभापति ने सदस्यों का निलंबन वापस लिए जाने की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों से शांत रहने और शून्यकाल चलने देने की अपील की. लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने 11 बज कर करीब 15 मिनट पर बैठक को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.
इससे पहले, सदन में संसद पर हमले की 20वीं बरसी पर, लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर की रक्षा करते हुए जान गंवाने वाले सुरक्षा कर्मियों और आतंकियों की गोलीबारी में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी गई.