नयी दिल्ली, 14 जुलाई (भाषा) अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने सोमवार को यहां ‘जय हिंद’ कैंप में हाल में बस्ती की बिजली काटे जाने के विरोध में धरना दिया।
यह बस्ती बांग्ला भाषी लोगों की बहुलता वाली है।
आठ जुलाई को एक अदालत के आदेश पर दिल्ली पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के साथ पहुंचे अधिकारियों ने इस बस्ती की बिजली काट दी थी। यह अनौपचारिक बस्ती पॉश वसंत कुंज और शहरी गांव मसूदपुर के बीच स्थित है। यहां रहने वाले लगभग 5,000 लोगों में से ज्यादातर ने दावा किया कि वे पश्चिम बंगाल के कूचबिहार से हैं।
तृणमूल के अनुसार, राज्यसभा सांसद सागरिका घोष, सुखेंदु शेखर राय, डोला सेन और साकेत गोखले स्थानीय निवासियों के साथ मिलकर सोमवार दोपहर तीन बजे से 24 घंटे के धरने पर बैठे हैं।
घोष ने स्थानीय लोगों को बंगाली में संबोधित करते हुए कहा, ‘‘कल यहां के लोगों ने हमें अपनी समस्याओं के बारे में बताया था। यहां बिजली नहीं है, पानी नहीं है… आज हम धरने पर बैठे हैं। आप अकेले नहीं हैं, हम आपके साथ हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक नया तरीका शुरू किया है, जो भी बंगाली बोलता है उसे बांग्लादेशी कहा जाता है। वे नागरिकता का सबूत मांगते हैं और अगर उन्हें वह पसंद नहीं आता तो लोगों को हिरासत में लेकर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को सौंप देते हैं ताकि उन्हें बांग्लादेश भेजा जा सके।’’
हालांकि यह बिजली कटौती अतिक्रमण के एक मामले में अदालत के आदेश के तहत की गई थी, लेकिन स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि उनके साथ बंगाली भाषी होने के कारण भेदभाव किया जा रहा है।
उन्होंने दावा किया कि कुछ महीने पहले दिल्ली पुलिस ने इलाके में सत्यापन किया था और वहां कोई ‘‘बांग्लादेशी या रोहिंग्या’’ नहीं पाया गया।
घोष, राय और गोखले ने रविवार को भी इलाके का दौरा किया था और उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से स्थानीय लोगों को सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया था।
भाषा राखी प्रशांत
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