scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमदेशदिल्ली: दुनिया का सबसे धीमा फ्लाईओवर प्रोजेक्ट बनाने की रेस में सबसे आगे

दिल्ली: दुनिया का सबसे धीमा फ्लाईओवर प्रोजेक्ट बनाने की रेस में सबसे आगे

काम में हो रही देरी के लिए पर्यावरणीय मंजूरी की कमी और ठेकेदारों द्वारा सामना किए जा रहे वित्तीय संकट को वजह माना जा सकता है.

Text Size:

नई दिल्ली: यह एक फ्लाईओवर का निर्माण नहीं होने की कहानी है. भारत के नीति निर्माताओं को यह सबक सीखने के लिए देश की राजधानी के ‘दिल’ से 10 किमी से अधिक दूर जाने की ज़रूरत नहीं है.

दक्षिणी दिल्ली में 2.7 किलोमीटर की राव तुला राम मार्ग फ्लाईओवर परियोजना नवंबर 2014 में शुरू की गई थी. 30 प्रतिशत अधूरे काम के साथ इसमें पांच समय सीमाएं पूरी हो गई हैं और अगले महीने छठीं समय सीमा भी चुकने की पूरी उम्मीद है.

काम में हो रही देरी, पर्यावरणीय मंज़ूरी की कमी, निर्माण के साथ खराब ढांचागत समर्थन और ठेकेदार द्वारा सामना किए जा रहे वित्तीय संकट को वजह माना जा सकता है. 22 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के साथ निर्माण लागत 2014 में 278 करोड़ रुपये से बढ़कर 340 करोड़ रुपये हो गई.

फ्लाईओवर परियोजना, दक्षिण दिल्ली और इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (आईजीआई) हवाई अड्डे के बीच यात्रा को सुगम बनाने का प्रयास करती है, जो कि राष्ट्रीय राजधानी का एक प्रमुख राजमार्ग है. इसे 2014 में सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) की सबसे महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक माना गया था, जो कि आज यह भारत के सबसे धीमे परियोजना के रूप में प्रदर्शित किया जा रहा है.

नया थ्री-लेन फ्लाईओवर, वसंत विहार के पास बाहरी रिंग रोड के साथ राव तुला राम मार्ग के टी-जंक्शन पर 900 मीटर लंबे सिंगल-कैरिजवे फ्लाईओवर के समानांतर आ रहा है. मौजूदा फ्लाईओवर 2009 में खोला गया था, लेकिन लगभग 2 लाख वाहनों के अनुमानित दैनिक प्रवाह को संभालने में अक्षम है.

समानांतर फ्लाईओवर नेल्सन मंडेला मार्ग (मुनिरका पेट्रोल पंप) में मौजूदा फ्लाईओवर के पास से शुरू होता है, और सुब्रोतो पार्क के पास सेना अस्पताल अनुसंधान और रेफरल के पास समाप्त होता है.

फ्लाईओवर का मैप

प्रारंभिक अध्ययन और प्रस्ताव

फ्लाईओवर की कहानी राष्ट्रीय राजधानी की अधिकांश अन्य बड़ी परियोजनाओं की तरह शुरू होती है.

मार्च 2012 में पीडब्ल्यूडी द्वारा परियोजना की स्थापना रिपोर्ट प्रस्तुत की गई और व्यापक क्षेत्र सर्वेक्षण और माध्यमिक डेटा के माध्यम से अध्ययन के लिए एक व्यापक डेटाबेस तैयार किया गया. फरवरी से अगस्त 2012 तक कई स्कूल / कॉलेज की छुट्टियों, त्योहारों और लंबे सप्ताहांत के लिए दिए गए विचार के साथ यातायात सर्वेक्षण किया गया, जिसका असर यातायात पर पड़ सकता है.

परिवहन ढांचे में विशेषज्ञता रखने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की इंजीनियरिंग कंपनी आरआईटीईएस ने मई 2013 में स्थिति को समझाते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसके बाद इसे अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय करने के लिए एकीकृत यातायात परिवहन अवसंरचना (योजना और इंजीनियरिंग) केंद्र, (यूनियन ट्रैफिक एंड ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर) को प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया.

यूनियन ट्रैफिक एंड ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर के निदेशक मनीष कुमार वर्मा ने कहा कि फ्लाईओवर को आउटर रिंग रोड पर भीड़ कम करने और एयरपोर्ट व गुरुग्राम-बाउंड ट्रैफिक को आसान बनाने के उद्देशय से शुरू की गई थी.

मनीष कुमार वर्मा ने दिप्रिंट को बताया, ‘यूनियन ट्रैफिक एंड ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर’ ने पीडब्ल्यूडी के सर्वेक्षणों के बाद परियोजना पर बहुत सारे शोध कर प्रस्ताव को मंजूरी दी. उम्मीद है कि फ्लाईओवर यातायात के आवागमन को लाभान्वित करेगा, क्योंकि यह प्रस्ताव भविष्य में शहर में बढ़ते ट्रैफिक को देखते हुए बनाया गया है.’

‘इसके अलावा, कोई आरटीआर फ्लाईओवर को अलग करके नहीं देख सकता. बेनिटो हुआरेज़ मार्ग और एक स्काईवॉक पर एक अंडरपास भी निर्माणधीन है, जो न केवल दक्षिणी दिल्ली बल्कि मध्य दिल्ली में भी यातायात को आसान करेगा.’

Rao Tula Ram Marg Flyover
राव तुला राम मार्ग फ्लाईओवर | सूरज बिस्ट

परेशान एचसीसी को मिला ठेका

2014 में, हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) ने तीन-लेन फ्लाईओवर के निर्माण के लिए सबसे कम बोली लगाने वाले के रूप में ठेका प्राप्त किया. एचसीसी ने मुंबई में बांद्रा-वर्ली सी लिंक और दिल्ली में बदरपुर एलिवेटेड रोड जैसी परियोजनाओं पर काम किया है.

100 साल पुरानी कंपनी ने भारत की जल विद्युत परियोजनाओं का 25 प्रतिशत और देश की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमताओं का 65 प्रतिशत निर्माण किया है. इसने 320 किमी लंबी सुरंगों और 365 से अधिक पुलों का निर्माण किया है. और हाल ही में एक जापानी कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम में असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर मेगा टू-टियर बोगीबील पुल, एचसीसी द्वारा निष्पादित हालिया परियोजनाओं में से एक था.

हालांकि, एचसीसी अब कर्ज में डूबा है और उसे 2015 में देश के सात राज्यों में लगभग 25,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के लिए बोली लगाने से सरकारी एजेंसियों द्वारा रोक दिया गया था.

एचसीसी का मुख्यालय मुंबई में स्थित है. उसने इस रिपोर्ट के लिए परियोजना पर कोई कॉमेंट करने या चर्चा करने से इनकार कर दिया.

डेडलाइन क्यों छूटी

पहली समय सीमा: नवंबर 2016

पीडब्लूडी अधिकारियों के अनुसार, फ्लाईओवर के लिए पहली तिथि नवंबर 2016 को निर्धारित की गई थी, लेकिन उस समय तक एचसीसी द्वारा केवल 5 प्रतिशत कार्य पूरा किया गया था. परियोजना को लगभग 465 पेड़ों, और बिजली, पानी और सीवरेज लाइनों जैसी उपयोगिताओं की कमी के लिए वन विभाग से अनुमति लेने जैसी बाधाओं का सामना करना पड़ा.

वहां के प्रभावशाली निवासियों के एक समूह ने भी फ्लाईओवर के निर्माण के लिए सर्विस लेन का त्याग करने से इनकार कर दिया था यही नहीं इसको लेकर वे अदालत पहुंच गए. जहां उन्होंने दावा किया कि उनके प्राइवेट सर्विस लेन में अतिक्रमण किया जा रहा है. और फ्लाईओवर बनने की स्थिति में उससे गुज़रने वाले वाहन उनके मकान के टॉप फ्लोर से होकर जाएंगे जिससे उनकी निजता पर असर पड़ेगा. स्थानीय निवासी फ्लाईओवर बनने के प्रस्ताव पारित होने से ही उसका विरोध कर रहे हैं.

वसंत विहार के निवासी रुचिर वत्स ने कहा, ‘हमारी सबसे बड़ी चिंता निजता की थी. इसके अलावा एक और बड़ी समस्या शोर अवरोधों की थी, जोकि किसी काम के नहीं थे. पीडब्ल्यूडी ने इस फ्लाईओवर पर कुछ प्रभावी ध्वनि अवरोधकों को स्थापित करने की योजना बनाई थी लेकिन आज तक इसका कोई असर नहीं हुआ.’

एक अन्य निवासी रेणु सिंह ने कहा, ‘हमारे पार्किंग क्षेत्र पर कब्ज़ा है और हमारे घरों के सामने सड़क पर बहुत जगह नहीं बची है.’

देरी की वजह से एचसीसी को काम पूरा करने के लिए 10 महीने और दिए गए थे. हालांकि, एचसीसी अधिकारियों ने दावा किया कि निर्माण कार्य के लिए पर्याप्त ज़मीन नहीं दी गई थी.

दूसरी समय सीमा: सितंबर 2017

दस महीने बाद, केवल 30 प्रतिशत परियोजना पूरी हुई. भले ही पीडब्ल्यूडी ने जून 2017 तक एचसीसी को 100 प्रतिशत ज़मीन देने का दावा किया था. तब तक पेड़ों को काटने की अनुमति मिल गई थी, लेकिन फरवरी 2017 में एचसीसी ने लिखित में दिया था कि कंपनी एक वित्तीय संकट से गुजर रही है जिससे परियोजना में देरी होगी.

ठेकेदार ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की जिसके बाद एक नई समय सीमा निर्धारित की गई. पीडब्ल्यूडी के कार्यकारी अभियंता मयंक सक्सेना ने कहा, ‘हमने उस समय एचसीसी को संचलित करने के लिए टेंडर राशि का लगभग 10 प्रतिशत दी थी, ताकि वे अपने बचे काम पूरा कर सकें. हमने उनकी मदद के लिए हरसंभव प्रयास किए.’

सितंबर तक, बिजली, पानी और सीवरेज लाइनों जैसी उपयोगिताओं उपलब्ध नहीं थीं, जबकि वसंत विहार के निवासियों ने निर्माण का विरोध जारी रखा और बाद में फ्लाईओवर निर्माण के लिए पीडब्ल्यूडी के फैसले का विरोध करते हुए एक याचिका दायर की. उन्होंने केंद्र और दिल्ली सरकारों से यह भी निर्देश मांगा कि मौजूदा फ्लाईओवर को एक सिंगल कैरिजवे के रूप में क्यों बनाया गया है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर उचित कार्रवाई की जाए.

पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का कहना है कि उस समय एक और रुकावट यह भी आ रही थी कि इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड भी उसी लेन पर गैस पाइपलाइन बिछा रहा था, जिसके कारण काम में देरी हो रही थी.

तीसरी समय सीमा: जून 2018

नौ महीने बाद, यह परियोजना केवल 40 प्रतिशत पूरी हुई थी. पीडब्ल्यूडी के अनुसार, इस समय तक एकमात्र रुकावट एचसीसी का वित्तीय संकट था, क्योंकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने निवासियों की याचिका को खारिज कर दी था.

पीडब्लूडी के एक अधिकारी ने, ‘पेड़ों को काट दिया गया, बिजली और सीवरेज की समस्याओं को खत्म कर दिया गया. एचसीसी ने समय सीमा बढ़ाने की फिर से मांग की, लेकिन इस बार, पीडब्ल्यूडी ने परियोजना के शेष 60 प्रतिशत को पूरा करने के लिए केवल एक महीने का समय दिया, इस शर्त पर कि यदि दिए समय पर परियोजना पूरी नहीं हुई तो जुर्माना (10 प्रतिशत टेंडर राशि) लगाया जाएगा.’

चौथा समय सीमा: 3 जुलाई 2018

3 जुलाई 2018 तक, आधे फ्लाईओवर (हवाई अड्डे के अंत) का निर्माण भी शुरू नहीं हुआ था. पीडब्ल्यूडी ने अंत में प्रति माह 4.2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया, जो कि टेंडर की लागत का अधिकतम 10 प्रतिशत है, जो कि कुल 27.8 करोड़ रुपये के आसपास होगा.

पीडब्ल्यूडी में कार्यरत सक्सेना ने कहा, ‘हमारे पास लगभग 18-20 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी थी, जिसमें से जुर्माना घटा दिया गया है. जब तक काम पूरा नहीं हो जाता, तब तक एचसीसी जुर्माना देना जारी रखेगी.’

पीडब्ल्यूडी द्वारा नई समय सीमा दिसंबर 2018 निर्धारित की गई थी.

पांचवीं समय सीमा: दिसंबर 2018

पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के अनुसार, हालांकि, जुर्माना लगाने के बाद परियोजना में बेहतर प्रगति देखी गई, फिर भी काम पूरा नहीं हुआ, और एचसीसी ने इसके पूरा नहीं होने की वजह वित्तीय कारण ही बताए. इस समय तक, 55-60 प्रतिशत काम पूरा हो चुका था, इसलिए पीडब्ल्यूडी ने एचसीसी को 31 मार्च 2019 तक एक और समय सीमा देने का फैसला किया.

सक्सेना के अनुसार, जुर्माना लगाने के बाद, ‘हर महीने लगभग 10 करोड़ रुपये की राशि का काम किया जा रहा है.’

छठी डेडलाइन: 31 मार्च 2019

पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के अनुसार, 11 फरवरी 2019 तक, 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. अधिकारियों को अभी भी उम्मीद है कि 31 मार्च की समय सीमा पूरी हो जाएगी, क्योंकि वे कहते हैं कि ‘कोई और बाधा नहीं है.’

बढ़ती लागत

पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के अनुसार, परियोजना के लिए आवंटित राशि 313.67 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 278 करोड़ रुपये अकेले फ्लाईओवर के निर्माण के लिए थे. पीडब्ल्यूडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निर्माण की मूल लागत में कोई भारी वृद्धि नहीं देखी गई, लेकिन उपयोगिता लागत में वृद्धि देखी गई.

पीडब्ल्यूडी को उपयोगिता शिफ्टिंग कॉस्ट (पेड़ काटने, शिफ्टिंग सीवरेज लाइन, बिजली लाइन आदि) के रूप में 14 करोड़ रुपये मिले. फ्लाईओवर के लिए 7 करोड़ रुपये और अंडरपास के लिए 7 करोड़ रुपये. लेकिन फ्लाईओवर की उपयोगिता लागत बढ़कर 15.9 करोड़ रुपये हो गई, जबकि अंडरपास की उपयोगिता लागत बढ़कर 46.7 करोड़ रुपये हो गई.

अकेले पेड़ों को काटने की लागत 2.39 करोड़ रुपये थी, जो कि वन विभाग को दी जाने वाली सुरक्षा राशि में से एक थी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments