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Sunday, 3 November, 2024
होमदेश'भगवान के वास्ते, अल्लाह के वास्ते मुझे छोड़ दो' कहता रहा रफीक, पुलिस जबर्दस्ती राष्ट्रगान गवाती और पीटती रही

‘भगवान के वास्ते, अल्लाह के वास्ते मुझे छोड़ दो’ कहता रहा रफीक, पुलिस जबर्दस्ती राष्ट्रगान गवाती और पीटती रही

पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगे के दौरान की सबसे वायरल हुई वीडियो में रफ़ीक की वीडियो शामिल हैं. उनके साथ चंद और लोग ज़मीन पर लेटे हैं. इसमें पुलिसकर्मी ज़मीन पर लेटे लोगों से राष्ट्रगान गाने को कह रहे हैं.

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नई दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान एक वीडियो तेज़ी से वायरल हुआ जिसमें दिल्ली पुलिस एक मुस्लिम युवक को प्रताड़ित करते हुए उसे राष्ट्रगान गाने को कह रही थी. दिप्रिंट से बात करते हुए रफीक की मां सलमा ने कहा, ‘पुलिस के भेष में कौन से लोग थे हमें क्या पता…हमारे बच्चे को तो हमारे इलाके के पुलिस वालों ने ही बचाया है.’

दिप्रिंट की टीम जब बुधवार को दंगा प्रभावित पूर्वोतर दिल्ली के इलाक़े में पहुंची तो वहां रफ़ीक के परिवार से बातचीत हुई. परिवार साधारण से मकान में किराए पर रहता है और दंगों के दौरान मिले ज़ख़्मों से अभी तक उबर नहीं पाया है. सलमा ने बताया कि वो और उनके बेटे दोनों मिलकर काम करते हैं. उसी से घर चलता है. दोनों ही लोग पिछले हफ्ते से बाहर नहीं जा पाए हैं.

पिछले सोमवार को बाकी के इलाक़ों की तरह कर्दमपुरी में भी माहौल तनावपूर्ण बना हुआ था. उस दिन पुलिया पर बहुत शोर शराबा चल रहा था. प्रदर्शन में काफ़ी महिलाएं मौजूद थीं. इस मंज़र का ज़िक्र करते हुए बिस्तर पर लहूलुहान पड़े रफ़ीक बताते हैं, ‘ऐसा लगा जैसे दंगा हो गया, कोई पथराव कर रहा हो. मेरी अम्मी घर से बाहर थी. मैं उन्हें देखने के लिए वहां पहुंचा.’

उन्होंने कहा कि वहां पहुंचकर देखा कि पथराव हो रहा है और पुलिस वाले भी वहीं पर खड़े थे. अपने गहरे ज़ख़्मों से जूझ रहे रफ़ीक का आरोप है कि पत्थरबाज़ पुलिस के पीछे खड़े होकर सीएए विरोधी महिलाओं पर पथराव कर रहे थे.

उस दिन की घटना का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं जब कर्दमपुरी की पुलिया पर पहुंचा तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. फिर सबके साथ मैं भी भागा. भगदड़ में लोग गिरने लगे और मैं भी गिर गया. फिर वो मुझे वहां से खींचते हुए ले गए जहां पहले से कुछ लोग पड़े हुए थे.’


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दंगे के दौरान की सबसे वायरल हुई वीडियो में रफ़ीक की वीडियो शामिल हैं. उनके साथ चंद और लोग ज़मीन पर लेटे हैं. इसमें पुलिसकर्मी ज़मीन पर लेटे लोगों से राष्ट्रगान गाने को कह रहे हैं. इस वीडियो का हिस्सा रहे रफ़ीक ने कहा, ‘उन्होंने मुझे बहुत मारा. मैंने उनसे कई बार कहा कि भगवान के वास्ते, अल्लाह के वास्ते मुझे छोड़ दो पर वो नहीं मानें.’

वो कहते हैं कि उन्होंने कुछ भी नहीं किया था और पुलिस की वर्दी में मौजूद लोग उनसे कह रहे थे, ‘तुम्हें आज़ादी चाहिए…हम तुम्हें आज़ादी देंगे. अभी हमने तुम्हें आधी आज़ादी दी है, अब पूरी आज़ादी देंगे.’ रफ़ीक कहते हैं कि उन्हें तो पता ही नहीं कि ये कहां कि पुलिस थी क्योंकि जब उन्हें होश आया तो ज्योति नगर थाने की पुलिस उन्हें वहां से ले गई थी.

उन्होंने कहा, ‘जब मुझे होश आया तो मेरे इलाके़ की पुलिस मेरे सामने हस्पताल में खड़ी थी. मुझे नहीं पता कि ये कौन से पुलिस वाले थे.’ उन्होंने ये भी कहा कि जिन्हें उनके साथ ज़मीन पर गिराकर पीटा जा रहा था उनमें से वो किसी को नहीं जानते.

रफ़ीक की मां ने भी इसकी पुष्टी करते हुए कहा कि उन्हें नहीं मालूम की पुलिस की वर्दी में ये कौन लोग थे. उन्होंने कहा, ‘हमारे इलाक़े की पुलिस ने तो बच्चे की जान बचाई. हमें नहीं पता जिन्होंने हिंसा की वो कौन से लोग थे.’ उन्होंने कहा कि ना तो वो हमलावर पुलिस वालों को पहचानती हैं और ना ही उन लड़कों को जिन्हें उनके बेटे के साथ पीटा जा रहा था.


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उनका आरोप ये भी है कि पुलिस वाले उन्हें जान से मारना चाहते थे. ज़ख़्मों का आलम ऐसा है कि वो न ठीक से चल पाते हैं, ना ठीक से बैठ पाते हैं. ऊपर से अभी डॉक्टर ने ये तक नहीं बताया है कि वो कब तक ठीक होंगे. उनकी ऐसी हालत मां से नहीं देखी जाती जिसकी वजह से घर से बाहर तक का सारा काम ठप पड़ा है.

इस हिंसात्मक वीडियो में फ़ैज़ान नाम का एक शख़्स शामिल था. दर्द नहीं झेल पाने की वजह से फ़ैज़ान की मौत हो गई. इलाक़े से आम आदमी पार्टी के विधायक गोपाल राय परिवार का हाल जानने पहुंचे थे. दिप्रिंट के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वो परिवार की कानूनी मदद करेंगे.

हालांकि जब दिल्ली दंगों में हो रही उनके सरकार की भूमिका से जुड़ा सवाल उनसे पूछा गए तो उन्होंने कहा, ‘हमारी भूमिका पर कोई सवाल नहीं है. जितना दिल्ली सरकार ने किया है, उतना किसी और सरकार ने नहीं किया है. सवाल अमित शाह से पूछो.’

उनके इस जवाब से ऐसा लगा जैसे दिल्ली सरकार यहां भी खानापूर्ति करने आई हो और कठिन सवालों से अपना पल्ला झाड़ रही हो.

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2 टिप्पणी

  1. What about the police personnel who were burnt with acid by these Islamic terrorist. Even after these persons who were part of that crowd are innocent because they are saying so.

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