नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (भाषा) दिल्ली पुलिस अपने कर्मियों के प्रशिक्षण पर खर्च को लेकर देश में सबसे आगे है और राष्ट्रीय राजधानी के पुलिस बल में महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है हालांकि अधिकारियों के पदों पर बढ़ती रिक्तियों के कारण निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है। मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।
‘इंडिया जस्टिस रिपोर्ट’(आईजेआर) राजधानी के पुलिस बल में प्रगति और व्यवस्थागत कमियों दोनों पर प्रकाश डालती है।
कई नागरिक समाज संगठनों के सहयोग से तैयार की गई इस रिपोर्ट में पुलिस, न्यायपालिका, जेल और कानूनी सहायता के चार क्षेत्रों के आधार पर राज्यों के प्रदर्शन को आंका गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने अपने बजट का दो प्रतिशत प्रशिक्षण के लिए आवंटित किया है, जो राष्ट्रीय औसत 1.25 प्रतिशत से काफी अधिक है और प्रति व्यक्ति 28,614 रुपये का व्यय भारत में सबसे अधिक है।
शहर के 88 प्रतिशत थानों में सीसीटीवी लगा हुआ है और महिला हेल्प डेस्क भी समान अनुपात में हैं, जो बेहतर सुसज्जित थाने की दिशा में एक मजबूत कदम को दर्शाता है।
दिल्ली के कुल पुलिस बल में 15 प्रतिशत और अधिकारियों में 11 प्रतिशत महिलाएं हैं, जो राष्ट्रीय औसत क्रमशः 12 प्रतिशत और आठ प्रतिशत से अधिक है।
ये संख्या दिल्ली पुलिस में महिलाओं की अधिक भागीदारी की दिशा में स्थिर प्रगति को दर्शाती है।
हालांकि, इसका दूसरा पहलू यह है कि जनवरी 2023 में अधिकारियों के पदों पर रिक्तियां आठ प्रतिशत थीं, जो 2022 में दो प्रतिशत से काफी अधिक थीं।
वहीं इसी अवधि में सिपाही के पदों की रिक्तियां 20 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत हो गईं।
रिपोर्ट में चेतावनी गयी कि यह उभरता असंतुलन वरिष्ठ नेतृत्व पर दबाव डाल सकता है और जमीनी स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है। रिपोर्ट में अधिकारी स्तर के पदों को भरने और प्रशिक्षण की गति को बनाए रखने के लिए तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया है।
भाषा जितेंद्र पवनेश
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