(सौम्या शुक्ला)
नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) दिल्ली पुलिस ‘डिजिटल अरेस्ट’ धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए एक बहुआयामी रणनीति तैयार कर रही है, जिसमें एक केंद्रीकृत शिकायत तंत्र स्थापित करना और ऐसे अपराधों में शामिल गिरोहों का ब्योरा संकलित करना शामिल है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि इस कदम के लिए दिशा-निर्देश, नीतियां और नियमन का मसौदा तैयार करने के लिए चार सदस्यीय एक समिति गठित की गई है। उन्होंने कहा कि विशेष आयुक्त स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता वाली इस समिति में पुलिस उपायुक्त स्तर का एक संयोजक और संयुक्त आयुक्त तथा अतिरिक्त आयुक्त स्तर के दो सदस्य शामिल हैं।
यह कदम ऐसे मामलों की संख्या बढ़ने के बीच उठाया गया है, जिनमें साइबर अपराधी पुलिस अधिकारी या सरकारी अधिकारी बनकर पीड़ितों को यह झूठा दावा करके धोखा देते हैं कि वे अपराधों में शामिल हैं।
‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर ठगी का नया तरीका है। हालांकि, ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी किसी प्रक्रिया का हकीकत में कोई कानूनी वजूद नहीं होता। ऐसे मामलों में ठग खुद को कानून लागू करने वाले अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके डराते हैं और उन्हें गिरफ्तारी का झांसा देकर उनके ही घर में डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं।
गृह मंत्रालय भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) के माध्यम से केंद्रीय स्तर पर साइबर अपराध की निगरानी करता है। मंत्रालय के अनुसार, 2024 में जनवरी से अप्रैल के बीच भारतीयों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामलों में 120 करोड़ रुपये गंवाए।
जिन प्रमुख चुनौतियों का समाधान किया जा रहा है, उनमें से एक यह है कि पीड़ितों को अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए उपयुक्त पुलिस थाने की पहचान करने में कठिनाई होती है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘हम एक ऑनलाइन एकीकृत और केंद्रीकृत मंच पर काम कर रहे हैं, जहां पीड़ित अधिकार क्षेत्र की चिंता किए बिना शिकायत दर्ज करा सकेंगे। इससे प्रतिक्रिया समय और समन्वय में उल्लेखनीय सुधार होगा।’’
सूत्रों ने बताया कि विशेष साइबर अपराध इकाइयों के साथ समन्वय करके, दिल्ली पुलिस धोखाधड़ी के ऐसे मामलों में शामिल गिरोहों का एक विस्तृत ब्योरा भी तैयार कर रही है। उन्होंने बताया कि इस विवरण में उनके प्रोफाइल, पिछले मामले, स्थान और संचालन के तरीके को शामिल किया जायेगा।
अधिकारी ने कहा, ‘‘इन अपराधियों की कार्यप्रणाली का विश्लेषण करके, हम एक कदम आगे रहने के लिए निवारक तंत्र और चेतावनी प्रणाली बना सकते हैं।’’
‘साइबरपीस’ के संस्थापक एवं वैश्विक अध्यक्ष विनीत कुमार ने कहा कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामले साइबर अपराध परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण चुनौती है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस संदर्भ में, ‘डिजिटल अरेस्ट’ धोखाधड़ी के पीड़ितों के लिए एक केंद्रीकृत मंच शिकायत प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और आपराधिक तरीके की पहचान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।’’
हाल में, दिल्ली के हौज खास इलाके में 79 वर्षीय पूर्व पत्रकार से सीबीआई अधिकारी बनकर जालसाजों ने 2.36 करोड़ रुपये ठग लिए थे। जालसाजों ने उन्हें फर्जी धनशोधन मामले में गिरफ्तार करने की धमकी दी थी।
बाद में उन्होंने पुलिस में इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी।
भाषा
देवेंद्र दिलीप
दिलीप
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