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Friday, 29 March, 2024
होमदेश'प्राइवेट पार्ट्स पर हमला'- AISA की महिला कार्यकर्ताओं ने दिल्ली पुलिस पर लगाया उत्पीड़न का आरोप

‘प्राइवेट पार्ट्स पर हमला’- AISA की महिला कार्यकर्ताओं ने दिल्ली पुलिस पर लगाया उत्पीड़न का आरोप

10 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी की घटना के खिलाफ और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग को लेकर आइसा के कार्यकर्ता अमित शाह के आवास के पास विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.

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नई दिल्ली: वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने आरोप लगाया कि उनके दो सदस्यों का दिल्ली पुलिस ने यौन उत्पीड़न किया, जब वे बीते रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे.

नेहा तिवारी (25) और श्रेया कपूर बनर्जी (22) ने आरोप लगाया कि पुलिस ने कई बार उनके प्राइवेट पार्ट्स पर लातों से हमला किया और सड़क पर घसीटा.

मंगलवार को जारी एक बयान में आइसा ने चाणक्यपुरी की एसीपी प्रज्ञा आनंद, यौन उत्पीड़न करने वाले और वहां मौजूद इसे देखकर कोई कार्रवाई ना करने वाले अधिकारियों को निलंबित करने की मांग की.

10 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी की घटना के खिलाफ और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग को लेकर आइसा के कार्यकर्ता अमित शाह के आवास के पास विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.


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‘वो मुझे शर्मिंदा करने की कोशिश कर रहे थे’

आइसा दिल्ली की उपाध्यक्ष श्रेया कपूर ने दिप्रिंट को बताया, ‘हिरासत में ले जाते समय मुझे पुलिसकर्मी मारते घसीटते हुए ले गए. वो मुझे कह रहे थे कि हम तुम्हें तुम्हारी औकात दिखाएंगे. उन्होंने मेरा पूरा कुर्ता उठा दिया था, वहां मौजूद सारे पुरुष पुलिसकर्मी मुझे देख रहे थे. वो तमाशबीन बने हुए थे. वो मुझे शर्मिंदा करने की कोशिश कर रहे थे.

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‘मुझे बस के अंदर 15 से 20 मिनट तक मारा. उन्होंने मेरे प्राइवेट पार्ट पर लातों से हमला किया. जब मुझे बहुत दर्द होने लगा और मैं रोने लगी तभी उन्होंने मुझे पीटना बंद किया. यह सब कुछ एसीपी प्रज्ञा आनंद के कहने पर ही हुआ है. वो महिला पुलिस कर्मियों से कह रहीं थीं कि तुम इनके साथ सख्ती दिखाओ, इन्हें मारो.’

आइसा की कार्यकर्ता नेहा ने बताया, ‘मुझे बस के दरवाज़े पर पीटा जा रहा था. मेरे हाथ पर बस की एक रोड टूट कर लग गई. उन्होंने लातों से मेरे सीने और प्राइवेट पार्ट में मारा. हमारे साथ गाली गलौच की गई. हमें मेडिकल इलाज भी नहीं दिया गया.’

उन्होंने कहा, ‘हमें छह से सात घंटे तक पुलिस स्टेशन में बैठा कर रखा गया हमने उनसे कहा कि हमें इलाज की ज़रूरत है लेकिन उन्होने हमारी नहीं सुनी. इसके साथ ही हमने जब उनसे मेडिको लीगल केस (एमएलसी) करने की बात की तो उन्होने हम पर ही काउंटर एफआईआर करने की धमकी दी.’

‘इन्हें लगता है कि हम इससे डर जाएंगे लेकिन जरूरत पड़ने पर हम फिर से अपनी मांगों के साथ अमित शाह के घर के सामने विरोध प्रदर्शन करेंगे.’

हालांकि पुलिस ने यौन उत्पीड़न के आरोपों से साफ इनकार किया है. एक बयान में दिल्ली पुलिस के ज्वॉइंट कमिश्नर (डीसीपी) जसपाल सिंह ने कहा, ‘ये गलत बयान दे रहे हैं. ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. जिस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं वो दुर्भाग्यपूर्ण हैं.’


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‘ऐसी घटनाएं एक तरह का पैटर्न दिखाती हैं’

ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेंस एसोसिएशन (ऐपवा) की सचिव कविता कृष्णन, कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया की वरिष्ठ नेता एनी राजा समेत छह लोगों के एक डेलीगेशन ने अपनी मांगों के साथ दिल्ली पुलिस के डीसीपी जसपाल सिंह से मुलाकात की.

कविता ने बताया, ‘हमने उनसे कहा कि जब तक आप एसीपी प्रज्ञा आनंद को सस्पेंड नहीं करेंगे तब तक भरोसेमंद जांच संभव नहीं है. उन्होंने बताया कि पुलिस के विजिलेंस डिपार्टमेंट को यह मामला सौंपा जाएगा.’

एनी राजा ने कहा, ‘इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं. जब भी महिला प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतरती हैं तो पुलिस उनके साथ इसी तरह का व्यवहार करती है. यह नहीं होना चाहिए.’

ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेंस एसोसिएशन (ऐपवा) की सचिव कविता कृष्णन ने आरोप लगाया कि बुधवार को दिल्ली पुलिस द्वारा दो छात्राओं के यौन उत्पीड़न के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के बाद से उन्हें बलात्कार की धमकियां मिल रही हैं.

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ हुए एक प्रोटेस्ट में झड़प के दौरान जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्राओं ने पुलिस पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे.  वहीं, इसी साल जनवरी में मजदूर अधिकार संगठन (एमएएस) संघ की सदस्य नौदीप ने हरियाणा पुलिस पर आरोप लगाया था कि कस्टडी में उनके साथ यौन उत्पीड़न किया गया और जाति सूचक बातें कही गईं.

कविता कृष्णन ने पूरे मामले की जांच की मांग करते हुए कहा, ‘यह प्रदर्शन सिर्फ दो छात्राओं को लेकर नहीं है बल्कि हर एक महिला को इंसाफ दिलाने के लिए किया जा रहा है. जामिया की छात्राओं ने इसी तरह के यौन उत्पीड़न के आरोप पुलिस पर लगाए थे. ऐसी घटनाएं एक तरह का पैटर्न दिखाती हैं.’


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