नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर मंगलवार सुबह धूल भरी आंधी की चपेट में आ गया, जिससे विजिबिलिटी कम हो गई और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खराब हो गया. आंधी के बाद भी काफी समय तक दिल्ली में गुबार छाया रहा.
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने यह जानकारी दी कि दिल्ली में सुबह तेज हवा चली, जिससे धूल उड़ी और वायु गुणवत्ता पर काफी असर पड़ा और इसके साथ विजिबिलिटी घटकर 1,000 मीटर तक रह गई.
मौसम विभाग ने उपग्रह से ली गयी तस्वीरें जारी कीं जिसमें उत्तर पश्चिम भारत के बड़े हिस्से को धूल की एक मोटी चादर से ढका देखा गया.
मौसम विज्ञानियों ने धूल उड़ने के पीछे पिछले पांच दिन से उत्तर पश्चिम भारत में भीषण गर्मी, बारिश न होने के कारण मिट्टी सूखी होने और आधी रात से ही तेज हवा के संयोजन को जिम्मेदार ठहराया.
आईएमडी के क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा, “मई के पहले पखवाड़े में हीटवेव की स्थिति वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के कारण कम गंभीर थी जिसने उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों को प्रभावित किया. जैसा कि अगला वेस्टर्न डिस्टर्बेंस उत्तर पश्चिम भारत में आ रहा है, अगले 7 दिनों तक, हम वहां हीटवेव की स्थिति की उम्मीद नहीं कर रहे हैं. लेकिन तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक अधिक होगा. ”
उन्होंने आगे कहा कि हरियाणा, दक्षिण हरियाणा, दिल्ली एनसीआर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तर-पूर्वी राजस्थान में धूल भरी हवाएं चल रही हैं. श्रीवास्तव ने इसके पीछे मुख्य कारण एक वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के गुजर जाने और तेज हवाएं चलने को बताया है. इसके अलावा, पिछले एक हफ्ते से तापमान काफी अधिक था, ज्यादातर 40 डिग्री सेल्सियस या उससे ऊपर था.
उन्होंने कहा, “वातावरण ड्राई है और गर्म वातावरण के कारण मिट्टी ढीली हो गई है. इसलिए 40-45 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाएं सतह से धूल उठा रही हैं और इसे वायुमंडल में फैला रही हैं, और यह मुख्य रूप से ये 1-2 किमी की ऊंचाई तक फैल रही हैं.”
कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि दिल्ली में तड़के धूल उड़ाने वाली तेज हवा की गति 30-35 किलोमीटर प्रति घंटे से गिरकर सुबह नौ बजे तक 12 किलोमीटर प्रति घंटा रह गई. दिन में हवा की गति और कम हो जाएगी जिससे धूल के कण मिट्टी में बैठ जाएंगे.
आईएमडी के पर्यावरण निगरानी और अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वी के सोनी ने कहा, ‘‘धूल की सघनता कई गुना बढ़ गई है. पीएम10 सांद्रता सुबह चार बजे 140 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से बढ़कर सुबह आठ बजे 775 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गई है. यह इलाके में तेज हवाओं के कारण हुआ. धूल जल्द ही नीचे बैठ जाएगी.’’
धूल के कण, खासतौर से महीन धूल के कण (पीएम2.5) सांस लेने पर श्वसन तंत्र के अंदर प्रवेश कर सकते हैं. इससे फेफड़ों की, श्वसन संबंधी समस्या हो सकती है और अस्थमा, ब्रोंकाइटिस तथा एलर्जी से पीड़ित लोगों की स्थिति बिगड़ सकती है.
दिल्ली में न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री अधिक 27.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है.
दिल्ली में पिछले चार दिन में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार रहा जिससे गर्मी बढ़ गई.
आईएमडी के अनुसार, शाम तक आंशिक रूप से बादल छाने और बहुत हल्की बारिश होने से थोड़ी राहत मिल सकती है. रविवार तक अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने का अनुमान है.
हालांकि मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली के ऊपर मौजूद धूल राजस्थान पर बने साइक्लोनिक सर्कुलेशन के कारण है. चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के कारण उत्तरी राजस्थान में धूल भरी आंधी और हल्की बारिश की गतिविधियां हो रही हैं.
इसमें कहा गया है, “इस गतिविधि का असर राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों में अगले तीन से चार दिनों तक चरणों में देखा जा सकता है.”
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