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शुक्रवार, 16 मई, 2025
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दिल्ली के मंत्री ने कचरा प्रबंधन योजना में देरी के बीच लैंडफिल को ‘विलुप्त’ करने का संकल्प लिया

जबकि दिल्ली सरकार का लक्ष्य 2028 तक कचरे के तीनों पहाड़ों को खत्म करना है, एमसीडी गाजीपुर लैंडफिल से सालाना 90,000 मीट्रिक टन ताज़ा कचरा ओखला में डालने पर विचार कर रही है.

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नई दिल्ली: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने गुरुवार को ओखला लैंडफिल के निरीक्षण के बाद कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में लैंडफिल जल्द ही “डायनासोर की तरह विलुप्त हो जाएंगे”, लेकिन ऐसा लगता है कि दिल्ली नगर निगम के पास एक अलग योजना है — एक लैंडफिल से कचरा दूसरे में स्थानांतरित करना.

एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एजेंसी पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल साइट से सालाना लगभग 90,000 मीट्रिक टन ताज़ा कचरा दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के ओखला में स्थानांतरित करने की योजना बना रही है.

यह योजना इसलिए बनाई जा रही है क्योंकि देश के सबसे बड़े लैंडफिल में से एक गाजीपुर में जगह की कमी है और साथ ही कचरे के पहाड़ की ढलान लगातार अस्थिर होती जा रही है. दिल्ली में मानसून के मौसम से पहले कचरे को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है.

अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “ओखला लैंडफिल साइट पर फिलहाल कोई नया कचरा नहीं डाला जा रहा है, लेकिन गाजीपुर में अस्थिर ढलानों को देखते हुए नए कचरे को ओखला ले जाना पड़ सकता है. हालांकि, इस योजना को मंजूरी की ज़रूरत होगी.”

एमसीडी के शीर्ष पर मौजूद भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व का दावा है कि गाजीपुर से ओखला तक, दिल्ली के सभी लैंडफिल 2028 तक गायब हो जाएंगे. सिरसा के अनुसार, ओखला लैंडफिल, जिसके बारे में अधिकारियों का कहना है कि उसने कचरा निपटान में सबसे अधिक प्रगति दिखाई है, 2026 तक साफ हो जाएगा.

ओखला लैंडफिल के संयुक्त निरीक्षण के दौरान सिरसा ने मीडिया से कहा, “हमारा लक्ष्य 2028 तक दिल्ली से कचरे के सभी पहाड़ों को खत्म करना है. उसके बाद, ये लैंडफिल केवल तस्वीरों में ही रह जाएंगे.”

उन्होंने आगे कहा, “जिस तरह डायनासोर विलुप्त हो गए, उसी तरह ये लैंडफिल भी देश से गायब हो रहे हैं.”

सिरसा के साथ, दक्षिण दिल्ली से भाजपा सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी और दिल्ली के मेयर राजा इकबाल सिंह ने भी स्थल का निरीक्षण किया.

दिल्ली की विरासती कचरे की समस्या

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) को 2024 में MCD द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट से पता चला है कि राजधानी में तीन लैंडफिल — गाजीपुर, ओखला और भलस्वा में लगभग 28 मिलियन टन विरासती कचरा फैला हुआ है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2019 से अब तक इसमें से 11.9 मिलियन टन कचरा साफ किया जा चुका है.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ओखला ने कचरा निपटान में सबसे अधिक प्रगति दिखाई है, जहां 2019 से अब तक कुल 6 मिलियन टन कचरे में से 5 मिलियन टन से अधिक कचरा साफ किया गया है. गाजीपुर में कचरा निपटान सबसे धीमा रहा है, जहां इसी अवधि में केवल 2.5 मिलियन टन कचरा ही साफ किया जा सका है.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा 2019 में निगम को ऊपर बताए गए तीन लैंडफिल में बायोमाइनिंग की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया गया था, जिसमें सख्त निर्देश दिए गए थे कि डंप किए गए विरासती कचरे को एक साल के भीतर साफ किया जाना चाहिए और छह महीने में प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए.

एनजीटी के निर्देशों के बावजूद, तब से कई बार समयसीमाएं बदली जा चुकी हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार, अगर दिल्ली को अपने लैंडफिल से छुटकारा पाना है, तो उसे एक प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन योजना लागू करनी होगी.

दिल्ली स्थित पर्यावरण कार्यकर्ता भावरीन कंधारी ने कहा, “दिल्ली के लिए एक व्यवस्थित अपशिष्ट प्रबंधन योजना होनी चाहिए, जिसमें अनिवार्य रूप से अपशिष्ट पृथक्करण शामिल होना चाहिए. वर्तमान में शहर का सारा कचरा, जिसमें पुनर्चक्रण योग्य कचरा भी शामिल है, लैंडफिल में जा रहा है. जब तक आप इन साइटों पर डंपिंग बंद नहीं करेंगे, आप कुछ भी कैसे सुधारेंगे?”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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