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रविवार, 27 अप्रैल, 2025
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने नीट की उत्तर कुंजी से जुड़ी याचिका पर एनटीए का रुख जानना चाहा

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नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर कुंजी में दो सही जवाब वाले एक प्रश्न को लेकर शिकायत करने वाली ‘नीट-यूजी’ अभ्यर्थी की याचिका पर शुक्रवार को राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) का रुख जानना चाहा।

न्यायमूर्ति डी.के. शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने एनटीए के वकील से याचिका पर निर्देश प्राप्त करने को कहा। याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि परीक्षा में इस प्रश्न का उत्तर नहीं देने वालों को समान अंक दिये जाने चाहिए, जैसा कि दोनों सही उत्तर देने वालों को दिया गया है।

याचिका में कहा गया है कि प्रतियोगी परीक्षा में निष्पक्षता का सिद्धांत यह प्रावधान करता है कि सभी अभ्यर्थियों का मूल्यांकन समान मानदंड पर होना चाहिए और आरोप लगाया कि प्राधिकारों ने दो सही विकल्पों को अंक प्रदान कर निष्पक्षता के साथ समझौता किया, जबकि निर्देशों में स्पष्ट संकेत दिया गया है कि केवल एक विकल्प सही है।

अपने अंक पर नकारात्मक प्रभाव को टालने के उद्देश्य से 17 वर्षीय छात्रा व याचिकाकर्ता ने उक्त सवाल का जवाब नहीं दिया और 720 अंकों में 633 अंक और करीब 98 पर्सेंटाइल प्राप्त किया। अखिल भारतीय स्तर पर उसकी रैंक 44,700 के करीब है।

याचिकाकर्ता ने कहा है कि एक अंक भी उसकी अखिल भारतीय रैंक में बदलाव ला सकता है और इसलिए एनटीए को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-यूजी (नीट-यूजी) 2024 के परिणामों, रैंक एवं पर्सेंटाइल को ठीक करने और संशोधित अंकों के आधार पर नतीजे पुन:जारी करने के लिए निर्देश दिया जाए।

याचिका में कहा गया है, ‘‘तीन जून 2024 को प्रतिवादी ने अंतिम उत्तर कुंजी प्रकाशित की। यह पाया गया कि ‘टेस्ट बुकलेट कोड आर5’ की प्रश्न संख्या 29 के दो विकल्प 2 और 4 सही माने गए हैं, जबकि निर्देशों में यह कहा गया है कि केवल एक विकल्प सही हो सकता है।’’

याचिका में कहा गया है, ‘‘गलत प्रश्न के मामले में अंक नहीं देना और प्रश्न के दो सही उत्तर होने की स्थिति में अभ्यर्थियों को एक पर निशान लगाने के लिए मजबूर करना उस निर्देश के प्रतिकूल है, जिसमें कहा गया है कि केवल एक उत्तर सही होगा।’’

याचिका में यह दलील दी गई है कि इस परीक्षा में नकारात्मक अंक का प्रावधान है और प्रत्येक अंक से सैकड़ों रैंक ऊपर-नीचे हो सकता है।

इसमें कहा गया है कि प्राधिकारों द्वारा घोषित परिणाम मनमाना और सोचे-विचारे बिना कई उम्मीदवारों को दिये गए अनुचित अतिरिक्त अंक पर आधारित है।

याचिका में कहा गया, ‘‘अंतिम परिणाम प्रकाशित किये जाने के बाद, यह पाया गया कि 67 अभ्यर्थियों को 720/720 अंक मिले हैं। हालांकि, 2024 से पहले तक अलग तस्वीर होती थी।’’

विषय की सुनवाई अगले हफ्ते की जाएगी।

भाषा सुभाष माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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