नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक वकील को शराब के नशे में मजिस्ट्रेट अदालत में पेश होने और ‘‘अभद्र तथा अपमानजनक’’ भाषा का इस्तेमाल करने के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मजिस्ट्रेट अदालत की अगुवाई कर रही न्यायिक अधिकारी एक महिला हैं और जिस तरह से अवमाननाकर्ता ने उन्हें संबोधित किया वह ‘‘पूरी तरह से अस्वीकार्य’’ है और नशे की हालत में अदालत के समक्ष उपस्थित होना ‘‘अक्षम्य’’ है।
न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने हाल ही में दिए एक आदेश में कहा, ‘‘ न्यायिक अधिकारी के संबंध में प्रतिवादी-अवमाननाकर्ता द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा के अवलोकन से इस बात में कोई संदेह नहीं रह जाता कि यह न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहत परिभाषित आपराधिक अवमानना के दायरे में आता है। अवमाननाकर्ता द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा ने वास्तव में न्यायालय को विक्षुब्ध किया है। बोले गए शब्द अभद्र और अपमानजनक हैं…।’’
अदालत ने कहा, ‘‘ नशे की हालत में अदालत के समक्ष उपस्थित होना भी अक्षम्य है। यह अदालत की अवमानना है। इस अदालत को यह मानने में कोई संदेह नहीं है कि प्रतिवादी आपराधिक अवमानना का दोषी है।’’
पीठ ने कहा कि मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (यातायात) द्वारा पारित आदेश से पता चलता है कि 30 अक्टूबर 2015 को वाहन का आरोपी-मालिक अपने वकील, जो वर्तमान मामले में अवमाननाकर्ता है, के साथ अदालत में उपस्थित हुआ था। वकील ने कार्यवाही के दौरान चिल्लाना शुरू कर दिया तथा अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया।
अदालत ने कहा कि यद्यपि वह वकील को आपराधिक अवमानना के लिए दंडित करना चाहती थी लेकिन उसने कोई सजा नहीं दी क्योंकि वह इसके लिए पहले ही पांच माह से अधिक की सजा काट चुका है।
भाषा शोभना रंजन
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