नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आपराधिक जांच से संबंधित सभी खबरों की रिपोर्टिंग और प्रसारण के लिए नियम, विनियम या दिशानिर्देश जारी करने का केंद्र को निर्देश देने के लिए दायर जनहित याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी.
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि नियम बनाना सरकार का विशेषाधिकार है और याचिकाकर्ता मोहम्मद खलील इस मामले में अधिकारियों को प्रतिवेदन देने के लिए स्वतंत्र हैं.
अदालत ने कहा, ‘जब भी इस तरह का प्रतिवेदन दिया जाएगा, तो संबंधित प्राधिकारी कानून, नियमों, विनियमों और सरकारी नीतियों के अनुसार इस पर फैसला करेंगे.’
अदालत ने आदेश में कहा, ‘हमें इसमें (याचिका में) विचार करने का कोई कारण नहीं दिखता है.’ पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने पिछले साल याचिका दायर करने के बावजूद अब तक प्रस्तुति नहीं दी है.
अदालत ने टिप्पणी की कि, ‘आपने एक भी दिन बहस नहीं की और आप लोग जनहित दाखिल कर रहे हैं. यह प्रचार के लिए दायर की गई जनहित याचिका है.’
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दिशानिर्देश मांगने के अलावा, याचिका में आरोप लगाया गया था कि एक समाचार एंकर और उनका चैनल अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर ‘विकृत और भ्रामक तथ्यों’ की रिपोर्ट कर रहा था.
याचिका में दावा किया गया था कि इस तरह की रिपोर्टिंग के कारण निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन होता है. इस प्रकार याचिका में कथित ‘पूर्वाग्रही रिपोर्टिंग’ के लिए एंकर और उनके चैनल के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया गया था.
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