नई दिल्ली: सरकार शहर के शकूर बस्ती इलाके में सचल कंटेनर के भीतर दो मोहल्ला क्लीनिक का निर्माण करा रही है. अधिकारियों की योजना इनके जरिये उन घनी आबादी वाले इलाको में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने की है, जहां पर जगह की कमी की वजह से समर्पित इमारत में स्वास्थ्य अवसंरचना तैयार करना चुनौतीपूर्ण होता है.
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली सरकार ने इस मॉडल को जमीन के मुद्दे पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और नगर निकाय के साथ खींचतान के मद्देनजर अपनाया है.
उन्होंने कहा, ‘जमीन का मुद्दा केंद्र के अधीन आता है. मोहल्ला क्लीनिक बनाने को लेकर राजनीति हो रही है. डीडीए ने दिल्ली उच्च न्यायालय में वादा किया कि वह मोहल्ला क्लीनिक बनाने के लिए जमीन देगा लेकिन उसने यहां तक एक मोहल्ला क्लीनिक बनाने के लिए भी कुछ नहीं किया.’
जैन ने संवाददाताओं से कहा, ‘नगर निगम भी हमारे लिए परेशानी खड़ी कर रहा है. इसलिए हम शिपिंग कंटेनर लेकर उसमें पूरी तरह से तैयार मोहल्ला क्लीनिक बना रहे हैं.’
उल्लेखनीय है कि दिल्ली की प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए मोहल्ला क्लीनिक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार की महत्वकांक्षी योजना है.
मोहल्ला क्लीनिक में डॉक्टर और नर्स होते है जहां पर चिकित्सा परामर्श के साथ मुफ्त में आवश्यक दवाएं दी जाती हैं.
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने शुक्रवार को शकूर बस्ती के उस स्थान का दौरा किया जहां पर विशाल कंटेनर में दो मोहल्ला क्लीनिक बनाने का काम चल रहा है और कार्य प्रगति की समीक्षा की. कंटेनर में बन रहे क्लीनिक पूरी तरह से वातानुकूलित होंगे.
इसके बाद जैन ने ट्वीट किया, ‘शकूर बस्ती में दो नए मोहल्ला क्लीनिक के निर्माण स्थल का दौरा किया. ये क्लीनिक सचल कंटेनर में बनाए जा रहे हैं. ऐसी क्लीनिक को झुग्गी बस्ती और संकरे इलाकों में स्थापित करना और परिवहन करना आसान होता है जहां पर स्वास्थ्य अवसंरचना की उपलब्धता कम होती है.’
मोहल्ला क्लीनिक के नए संस्करण के बारे में जैन ने बताया कि इन्हें एक कंपनी, निगम सामाजिक दायित्व (सीएसआर) गतिविधि के तहत बना रही हैं. कुछ स्थानों पर पोर्टा केबिन में भी मोहल्ला क्लीनिक बनाया गया है.
उन्होंने कहा, ‘ये शत प्रतिशत स्थानांतरण करने योग्य हैं और जहां पर जगह होगा वहां स्थापित किए जा सकते हैं. मौजूदा समय में हमने नमूने के तौर पर इसे तैयार किया है. मेरा मानना है कि इसकी लागत पोर्टा केबिन के बराबर होगी.’
जैन ने कहा कि यह बेहतर विकल्प साबित होंगे क्योंकि थोक में इनका निर्माण कारखाने में किया जा सकता है. बहुत कम समय में स्थापित किया जा सकता है और टिकाउ वस्तु से बना होता है.
उन्होंने कहा, ‘मोहल्ला क्लीनिक में चोरी की समस्या उत्पन्न हो रही है लेकिन शिपिंग कंटेनर ठोस धातु से बने होते हैं और चोरी से भी बचाने में कारगर होंगे.’
जैन ने कहा कि इन सचल मोहल्ला क्लीनिक को दिल्ली सरकार की जमीन पर स्थापित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पोर्टा केबिन क्लीनिक के स्थान पर ही बनाया जाता है लेकिन इन्हें कारखाने में बनाकर निर्धारित स्थान पर रखा जा सकता है. ये कम जगह घेरते हैं.
उन्होंने कहा, ‘मोहल्ला क्लीनिक 600 वर्ग फीट क्षेत्र में बनते हैं लेकिन ये महज 320 वर्ग फीट जगह घेरते हैं. यह विचार विमान से आया है जहां पर सभी सुविधाएं सीमित स्थान में होती है. दिल्ली में इस समय करीब 500 मोहल्ला क्लीनिक काम कर रहे हैं.’